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नवरात्रि में इस तरह करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा …. शत्रुओं पर मिलेगी विजय और पूरी होंगी सारी मनोकामनाएं

अंबिकापुर । वर्तमान भारत ।

पं अजय कुमार पाठक ( शास्त्री )

हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व बहुत ही पवित्र माना जाता है । शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो चुका है और आज उसक दूसरा दिन है। नवरात्रि में नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग – अलग नौ रूपों की पूजा – अर्चना की जाती है ।नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरे रूप में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है ।ऐसी मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से तप, शक्ति, त्याग ,सदाचार ,संयम और वैराग्य में वृद्धि होने के साथ – साथ शत्रुओं पर विजय मिलती है, जीवन में आने वाली परेशानियां दूर होती हैं और सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। तो आइए जानते है मां ब्रह्मचारिणी के रूप और उनकी पूजन विधि के बारे में ।

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप

मां ब्रह्मचारिणी

मां दुर्गा के नौवों रूप के स्वरूप अलग – अलग हैं।पौराणिक कथाओं में मां ब्रह्मचारिणी को महत्वपूर्ण देवी माना गया है।मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में तप की माला और बाएं हाथ में कमंडल होता है ।

इस वजह से कहा जाता है मां ब्रह्मचारिणी

पौराणिक कथाओं के अनुसार मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया था ।नारद जी के कहने पर मां पार्वती जी ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए 1000वर्षों तक निर्जला और निराहार रहकर कठोर तपस्या किया जिसके कारण देवताओं ने उन्हें ब्रह्मचारिणी का नाम दिया । इनकी कठोर तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी भी कहा जाता है।

इस तरह करें पूजा

नवरात्रि के दूसरे दिन प्रातः नित्य क्रिया से निवृत्ति के पश्चात स्नान कर लें , फिर स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूजा स्थल पर बैठ जाएं । गंगा जल से पूजा स्थल को पवित्र करें । दीप प्रज्वलित करें । फिर मां ब्रह्मचारिणी का गंगा जल से अभिषेक करें । ब्रह्मचारिणी को अर्घ्य दें । धूप और दीपक जलाएं ।फिर मां ब्रह्मचारिणी को अक्षत , फूल ,रोली, चंदन ,प्रसाद , पान ,सुपारी ,लौंग आदि अर्पित करें । दुर्गा चालीसा का पाठ करें और ” ऊं ब्रां ब्रिं ब्रूं ब्रम्हचारिण्ये नमः ” का जाप करें और हवन करें । इसके बाद स्थापित कलश ,नवग्रह , दसदिक्पाल ,नगर देवता और ग्राम देवता की पूजा करनी चाहिए ।