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शिक्षक पोस्टिंग घोटाले की जांच में ढिलाई :जिन पर दस्तावेज वैरिफिकेशन और लॉगिंग पासवर्ड की जिम्मेदारी, उनकी जांच नहीं; अब तक 2 टीचर गिरफ्तार, एक फरार

बिलासपुर में शिक्षकों की पोस्टिंग में घोटाले का मामला प्रकाश में आने पर पुलिस ने बड़ी तत्परता से दो शिक्षकों को गिरफ्तार किया था, किन्तु पुलिस की जांच अब ढीली पड़ गई है। शिक्षा विभाग भी इस मामले की जांच में महज खानापूर्ति कर रही है। ज्वाइंट डायरेक्टर ऑफिस के दस्तावेज से जाहिर है कि घोटाले की जांच की जाए तो यहां पदस्थ सात अफसर और कई कर्मचारी भी फंस सकते हैं। इधर, पुलिस भी सिर्फ दो शिक्षकों को गिरफ्तार कर आगे की जांच करना ही भूल गई है।

आरोपी शिक्षक जिसकी ऑडियो हुआ था वायरल


लोक शिक्षण संचालक ऑफिस ने 11 जनवरी को जब सहायक शिक्षक संवर्ग एवं शिक्षक संवर्ग भर्ती की अनुपूरक सूची जारी की। तब दस्तावेज सत्यापन के लिए भी टाइम टेबल जारी किया था। इसके साथ ही संयुक्त संचालक को चयनित शिक्षकों की सूची भेजकर निर्देशित किया था कि 19 जनवरी से 22 जनवरी तक दस्तावेजों का परीक्षण किया जाए। इसके बाद चयनित शिक्षकों को पोस्टिंग आदेश जारी किया जाए।

ज्वाइंट डायरेक्टर ने लोक शिक्षण संचालनालय के आदेश पर सात अधिकारी और छह सहायक अधिकारी के साथ ही 13 कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई थी। जाहिर है कि इन कर्मचारियों को भी शिक्षकों की पोस्टिंग की जारी रही होगी। लेकिन, पुलिस ने अब तक इस दिशा में कोई जांच नहीं की है और न ही संबंधित अधिकारी-कर्मचारियों से पूछताछ कर उनका बयान दर्ज किया है।

ज्वाइंट डायरेक्टर ने वैरिफिकेशन के लिए लगाई थी ड्यूटी

ज्वाइंट डायरेक्टर आरएस चौहान ने चयनित शिक्षकों के दस्तावेज सत्यापन करने के लिए सात टीम बनाई थी। इसमें सहायक संचालक एसके सराफ, सहायक संचालक एचसी दिलावर, सहायक संचालक प्रशांत राय, सहायक संचालक विनोद शुक्ला, सहायक संचालक जितेंद्र कुमार बावरे, सहायक संचालक क्रीड़ा जीडी गर्ग, सहायक संचालक एमआईएस प्रभारी विजय सोम के साथ ही सहायक अधिकारी और कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई थी। स्पष्ट है कि इनके पास चयनित शिक्षकों की पूरी जानकारी थी और इनके माध्यम से सूची बाहर जा सकती है।

पूर्व मे गिरफ्तार शिक्षक नेता योगेश पाण्डेय


बयान के आधार पर टिकी है पुलिस की जांच


पोस्टिंग घोटाले का ऑडियो रिकार्डिंग वायरल होने के बाद शिक्षक ने मोबाइल के जरिए शिक्षक नंदकुमार साहू की पहचान की। शुरुआती पूछताछ में उसने गोलमोल जवाब दिया, तब पुलिस ने चयनित शिक्षकों की जानकारी जुटाई और कॉल डिटेल्स के जरिए शिकायतकर्ता शिक्षक की पहचान की। इसके बाद भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज कर नंद कुमार साहू को पकड़ लिया गया। उसने पूछताछ में शिक्षक योगेश पांडेय का नाम बताया और पुलिस ने उसे भी गिरफ्तार दोनों को जेल भेज दिया। आरोपी योगेश पांडेय ने सहायक संचालक विजय सोम का नाम लिया है। अब वह फरार है। पुलिस का कहना है कि विजय सोम के पकड़े जाने के बाद उससे पूछताछ की जाएगी। फिर इसके आधार पर आगे की जांच की जाएगी।

योगेश के मोबाइल की नहीं हुई जांच


बताया जा रहा है कि पुलिस ने आरोपी शिक्षक नंदकुमार साहू के मोबाइल की जांच की है। लेकिन, अब तक योगेश पांडेय के मोबाइल की जांच नहीं की गई है। माना जा रहा है कि पुलिस उसके मोबाइल का कॉल डिटेल्स खंगालेगी, तब इस घोटाले से जुड़े अन्य नाम भी सामने आ सकता है।

अग्रिम जमानत की तैयारी में विजय सोम

बताया जा रहा है कि सहायक संचालक विजय सोम को अपनी गिरफ्तारी की भनक लग चुकी है। पुलिस की टीम उसकी तलाश में उसके दफ्तर और निवास में दबिश दे चुकी है। लेकिन, वह फरार है। अब अपनी गिरफ्तारी के डर से विजय सोम कोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी लगाने की तैयारी में है।