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सरगुजा छत्तीसगढ़ सहित भारत की सिनेमा को अंतर्राष्ट्रीय पटल पर स्थापित करना चाहता हूं- आनंद कुमार गुप्त

अंबिकापुर/ मुंबई- “कौन कहता है आसमान में सुराख हो नहीं सकता यारों’
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो तो सही…..।
दोस्तों क्या आप अपने आसपास के किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जिसने सिनेमा /नाटक/ रंगमंच/ नुक्कड़ नाटक और कला के विकास के लिए जैसे अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया हो, वह जीता है तो कला के लिए उठाता है तो सिनेमा के लिए,उस सोता है तो नाटक के लिए, अगर वह चलता है तो नुक्कड़ के लिए और बस एक ही जुनून सार्थक कार्य करना और वह भी कला के माध्यम से।


जी हां, आप बिल्कुल सही समझ रहे हैं आज हम चर्चा कर रहे हैं नुक्कड़ के महानायक, सार्थक सिनेमा के नए स्टार सरगुजा छत्तीसगढ़ के महान कलाकार आनंद कुमार गुप्त के बारे में,
जिस कलाकार ने अपने कला के माध्यम से न सिर्फ सरगुजा छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश का नाम देश विदेश में प्रचारित किया है, आज आनंद अपना जन्मदिन मना रहे हैं ऐसे अवसर पर इस संघर्षशील कलाकार के बारे में जिक्र करना लाजमी होगा।
पिछले 25 वर्षों में 50 से ज्यादा सामाजिक मुद्दों पर 1000 कलाकारों के सहयोग से पूरे देश में 20,000 से ज्यादा नुक्कड़ नाटक का प्रदर्शन कर करोड़ों लोगों को अपना संदेश दे चुके आनंद किसी परिचय के मोहताज नहीं है, मदारी आर्ट्स के माध्यम से पिछले 7 वर्षों में 4 हिंदी फीचर फिल्म 8 डॉक्यूमेंट्री और 45 से ज्यादा संदेश पर लघु फिल्मों के माध्यम से आनंद ने न सिर्फ सरगुजा छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे विश्व में संदेश देने का काम किया है, ऐसे कलाकार को हम सभी आज जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई देते हैं।


कहा जाता है कि कमल हमेशा कीचड़ में ही खिलता है ऐसा ही एक कमल अविभाजित सरगुजा जिले के अब बलरामपुर रामानुजगंज जिले के ग्राम लोधा/रामचंद्रपुर में खिला प्रारंभिक शिक्षा के बाद अंबिकापुर फिर दिल्ली और फिर मुंबई मैं संघर्ष और काम करता हुआ यह कलाकार वर्तमान समय में अपने संजीदा अभिनय से लेखक निर्देशक अजय आनंद की फिल्म ‘लंगड़ा राजकुमार” मैं एक गरीब मजदूर का अभिनय कर शिक्षा का संदेश देने का प्रयास किया है। इसी तरह लेखक निर्देशक गोविंद मिश्रा के फिल्म “आई एम नॉट ब्लाइंड” जिसमें आनंद है एक ब्लाइंड पर्सन का अद्भुत अभिनय किया

है, इस फिल्म के माध्यम से दिव्यांग जनों का प्रोत्साहन करने का कार्य किया गया है, इसी तरह छत्तीसगढ़ शासन की योजनाओं पर लेखक नैना जाटवर और निर्देशक जितेंद्र बिंदु की फिल्म नवा बिहान के द्वारा एक गरीब किसान के जीवन का संघर्ष और सफलता दिखाया गया है, आनंद कुमार गुप्त और संध्या मानिक द्वारा अभिनीत फिल्म “लाइफ ऑन रोड” जिसके लेखक और निर्देशक गोविंद मिश्र है यह फिल्म एक ऐसे मजदूर की कहानी है,जो रोजी-रोटी की तलाश में दिल्ली जैसे शहर में जाता है और कोविड-19 के समय लगे लॉकडाउन की वजह से अपनी गर्भवती पत्नी के साथ 1200 किलोमीटर का सफर तय करता है, इसके साथ ही आनंद कुमार द्वारा अभिनीत लघु फिल्में भी समाज को सार्थक संदेश प्रदान कर रहा है।


छत्तीसगढ़ प्रदेश के निर्माण में प्रदेश भ्रमण कर चुके सेंसर बोर्ड ऑफ इंडिया में भाषाविद के रूप में कार्य कर चुके साथ ही पिछले 25 वर्षों से नाटक, नुक्कड़ नाटक, रंगमंच, सिनेमा जुड़े आनंद का सपना है कि वह सरगुजा छत्तीसगढ़ सहित भारत की सिनेमा को अंतर्राष्ट्रीय पटल पर स्थापित करें ।आनंद बताते हैं कि इस क्षेत्र में हम लगातार प्रयास कर रहे हैं, क्योंकि सिनेमा समाज का आईना होता है और सिनेमा के माध्यम से हम किसी भी विषय को पूरी दुनिया में कह सकते हैं। इसी तरह नुक्कड़ नाटक के माध्यम से हम लगातार गणमान्य जनता के मध्य संदेश देने का कार्य कर रहे हैं और जनहित में कार्य आगे भी करते रहेंगे ।


अपना संपूर्ण जीवन कला के प्रति समर्पित कर देने के बाद सच्चाई यही है कि आनंद कुमार आज भी हाशिए पर है उन्हें न तो खुदा ही मिला और ना ही विसाले सनम
अच्छा तो यह होता कि समाज और सरकार के द्वारा इस कलाकार को प्रोत्साहित कर उसके जन्मदिन पर सच्ची बधाई दी जा सकती ?