धर्म

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी: कृष्ण जन्माष्टमी कब,कैसे,क्यों मनाया जाता है…आइए जानते हैं…

वर्तमान भारत । धर्म ।

गजाधर पैकरा


श्री कृष्ण युगों युगों से हमारी आस्था के केंद्र रहे हैं ।वे कभी यशोदा मैया के लाल होते हैं तो कभी ब्रज के नटखट कान्हा। प्रतिवर्ष भाद्रपद कृष्ण अष्टमी के दिन श्री कृष्ण जन्माष्टमी त्यौहार को भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है ।धार्मिक आस्था के पर्व में भारत देश भक्ति में शराबोर हो जाता है।

जन्माष्टमी को भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं। यह पर्व पूरी दुनिया में पूर्ण आस्था एवं श्रद्धा के साथ मनाया जाता है ।मान्यता है कि जन्माष्टमी व्रत का विधि पूर्वक पूजन करने से मनुष्य मोक्ष प्राप्त कर बैकुंठ धाम को प्राप्त करता है।

कब और क्यों?-

जन्माष्टमी पर्व भगवान श्री कृष्ण की जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है ।जो रक्षाबंधन के बाद आने वाली अष्टमी तिथि को मनाया जाता है ।भाद्रपद कृष्ण अष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है ।श्री कृष्ण देवकी और वासुदेव के आठवें पुत्र थे।

मथुरा नगरी का राजा कंस था ।जो कि बहुत अत्याचारी था ।उसके अत्याचार दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे थे ।एक समय आकाशवाणी हुई कि उसकी बहन देवकी का आठवां पुत्र उसका वध करेगा ।यह सुनकर कंस ने अपनी बहन देवकी को उसके पति वासुदेव सहित कालकोठरी में डाल दिया ।कंस ने देवकी की कृष्ण से पहले के सात बच्चों को मार डाला।

जब देवकी ने श्रीकृष्ण को जन्म दिया तब भगवान श्री विष्णु ने वासुदेव को आदेश दिया कि वह कृष्ण को गोकुल में यशोदा माता और नंद बाबा के पास पहुंचा आए। जहां वह अपने मामा कंस से सुरक्षित रह सकेगा ।श्री कृष्ण का पालन पोषण यशोदा माता और नंद बाबा की देखरेख में हुआ। बस उनके जन्म की खुशी में तभी से प्रतिवर्ष जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है।

जन्माष्टमी उत्सव की तैयारियां –
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंदिरों को खासतौर पर सजाया जाता है ।जन्माष्टमी पर पूरे दिन व्रत का विधान रहता है। झांकियां सजाई जाती है ।जन्माष्टमी पर सभी 12:00 बजे तक व्रत रखती हैं और भगवान श्री कृष्ण को झूला झुलाया जाता है और रासलीला का आयोजन होता है।

कई घरों में बालकृष्ण की प्रतिमा पालने में रखकर पूरा दिन भजन कीर्तन करते हुए इस त्यौहार को मनाते हैं तथा सभी प्रकार के मौसमी फल ,दूध ,मक्खन ,दही ,पंचामृत, धनिया मेवे की पंजीरी, हलवे ,अक्षत, चंदन ,रोली, गंगाजल ,तुलसी दल, माखन मिश्री ,पंचामृत आदि से भगवान को भोग लगाकर रात 12:00 बजे पूजा अर्चना करते हैं।

प्रतियोगिताएं –

दही हांडी मटकी फोड़ -जन्माष्टमी के दिन देश में अनेक जगह दही हांडी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है ।दहीहांडी प्रतियोगिता में सभी जगह की बाल गोविंदा भाग लेते हैं ।छांछ-दही आदि से भरी एक मटकी रस्सी की सहायता से आसमान में लटका दी जाती है ,और बाल गोविंद द्वारा मटकी फोड़ने का प्रयास किया जाता है।दही हांडी प्रतियोगिता में विजेता टीम को उचित इनाम दिया जाता है ।जो विजेता टीम मटकी फोड़ने में में सफल हो जाती है ।वह इनाम का हकदार होता है।

क्षमतानुसार श्रद्धा से रखें व्रत

जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने का विधान है। अपनी सामर्थ्य के अनुसार फलाहार करना चाहिए। कोई भी भगवान हमें भूखा रहने के लिए नहीं कहता ।इसलिए अपनी श्रद्धा अनुसार व्रत करें ।पूरे दिन व्रत में कुछ भी ना खाने से आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है ।इसलिए हमें श्री कृष्ण के संदेशों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए।