भ्रष्टाचार मे लिप्त प्रभारी रेंजर को बचाने की कवायद शुरू….जांच मे घोर लापरवाही …
रायगढ़ से रितेश सिदार की रिपोर्ट
रायगढ़ । वनमंडल के रायगढ़ रेंज के नेतनांगर में 57 लाख रुपए की लागत से बनाए जा रहे डैम के निर्माण में ठेकेदार व तत्कालीन अधिकारियों द्वारा बरती गई अनियमितता की जांच अब तक शुरू नहीं हो सकी है। बताया जाता है कि इस मामले में भी तत्कालीन प्रभारी रेंजर बुरी तरह से फंसते नजर आ रहे हैं। यही वजह है कि विभाग जांच को टालना चाह रहा है।
विदित हो कि नेतनागर में वन विभाग ने कैंपा मद से डेम निर्माण के लिए 56 लाख 68 हजार रुपए की स्वीकृति वित्तीय वर्ष 2020-21 में दी गई थी एक साल में निर्माण कार्य पूरा करना था लेकिन मौके पर देखा जाए तो कुछ भी काम नहीं हुआ है। एक छोर में पार बांधने का काम भी आधा – अधूरे स्थिति में है। पहले से बने सड़क में मिट्टी का ढेर लगाकर पार बना दिया गया है। प्रोजेक्ट रिपोर्ट के अनुसार कोई भी काम नहीं किया गया है। इस मामले के सामने आने के बाद डीएफओ ने एसडीओ को जांच करने का आदेश तो दिया है मगर एक पखवाड़ा बीत जाने के बाद भी अब तक इसकी जांच शुरू नहीं हो सकी है और न ही अधिकारी कुछ कहने की स्थिति में हैं। खास बात यह है कि पिछले दिनों कलेक्टर ने भी इस मामले को संज्ञान में लेते हुए डीएफओ को मामले की जांच कर कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया है। बावजूद इसके अब तक डैम निर्माण की जांच तक शुरू नहीं हो सकी है।
चूंकि यहां भी जुर्डा तालाब की तर्ज पर तत्कालीन रेंजर छोटेलाल डनसेना ने काम कराया है और आधा – अधूरा निर्माण होने के बाद भी 30 लाख रुपए का भुगतान किया जा चुका है। ऐसे में इस मामले में भी तत्कालीन रेंजर की गर्दन नपती दिखायी दे रही है। जुर्डा तालाब मामले में उच्च अधिकारियों द्वारा पहले से ही तत्कालीन रेंजर समेत तीन पर निलंबन की गाज गिरायी जा चुकी है। ऐसे में अब इस मामले की जांच शुरू होती है तो निलंबित प्रभारी रेंजर की मुश्किलें और भी बढ़ सकती है। यही वजह है कि विभाग इस मामले की जांच को लेकर उदासीन बना हुआ है।