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औद्योगिक नगरी कहे जाने वाले रायगढ़ जिले की सड़को की हालत बद से बदतर….सांसद, विधायक व जिला प्रसाशन चीर निद्रा मे लीन* ……विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों के आँखो पर बांधी पट्टी

रायगढ़ । वर्तमान भारत ।

रितेश सिदार की रिपोर्ट

रायगढ़ जिले कोऔद्योगिक नगरी के नाम से जाना जाता है घरघोड़ा की कोयला खदाने प्रचुर मात्रा में उत्पन्न करती है कोल खनिज छत्तीसगढ़ के कोने कोने से लेकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उड़िसा, महाराष्ट्र, तक भारी मात्रा में पहुंचती है अमुट कोयले की खेप। आदिवासी वनांचल क्षेत्र हमारी घरघोड़ा की भूमि अपना सीना चीर कर हजारों करोड़ रूपए का राजस्व शासन को प्रति वर्ष दे रही है, उसके बदले में इस क्षेत्र को क्या मिल रहा है?

बर्बाद जर्जर सड़कें, हर मार्ग में धुल धुआं राखड़ से लबालब धुल धुआं खेतों को प्रदूषित करती इसकी परतें उद्योग के काले धुएं व सड़क पर कायले कण से लोगों का सीना छलनी हो गया ना, सांस की बीमारी दमा आंख की रोशनी कम होना एलर्जी खुजली बाल झड़ना सीने में जलन होना अत्यादि अनेक बिमारियों से लोगों को रोज जुझना पड़ता है ।

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कारण सिर्फ विकास के नाम पर बेहिसाब उद्योग खदानों का नियम विरुद्ध संचालित होना शांत वनांचल ग्रामीण क्षेत्र घरघोड़ा के चारों ओर काले हीरे कोयले की खनन हो रही है जामपाली, बरौद, बिजारी, तलाईपाली, गारे पेलमा, में खुली खदानों से कोयला निकालने की होड़ में आमजनता को शासन प्रशासन दरकिनार कर दिया है।

गारे पेलमा से पुंजीपथरा जामपाली से रायगढ़ तक की सड़क आमजन के लिए मानो हथेली में जान रख कर चलना, नरक से बत्तर इस सड़क में चलने वालों का खून खौल उठता है, फिर भी अपनी जमीन अपना गांव घर होने के बावजूद लोगों का गुस्सा व्यवस्था के खिलाफ सड़क पर नही दिखता जिसके कारण आय दिन किसी ना किसी परिवार का निर्दोष मासूम की खून सड़क पर सना रहता है, कसूर जितनी सरकार की उतनी ही कसूरवान सहन करने वाले स्थानीय लोगों की भी है?

जो यह सब कुछ देखकर भी वर्षों से भुगत रहें हैं, नियम कानून सही ग़लत हर किसी को समझ है फिर भी जब सड़कों का निर्माण होता है तब कोई यह नहीं पुछताछ इस मार्ग में रोज हजारों भारी वाहन चल रही है जिसमें बत्तीस टन से उपर तक की भार वाली गाड़ी गुजरती है और सड़क का निर्माण उस तय माप के आधार पर नहीं हो रही ? जब तीस टन की कोयला लोड ट्रक लगातारनिर्माण उस तय माप के आधार पर नहीं हो रही ? जब तीस टन की कोयला लोड ट्रक लगातार चलेगी तब उसकी भार वहन करने की क्षमता सड़क में होगी क्या?

हम आप के सवाल नही करने के कारण हमारी करोड़ रुपए की टेक्स का पैसा हमारे आंखों के सामने भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती हैं जिसके कारण हम स्वयं तो नरकीय जीवन जीने को मजबूर हो रहे हैं, साथ में भविष्य की भावि पीढ़ी के लिए बर्बाद वातावरण व्यवस्था बना कर दे रहे हैं।

वर्तमान हमेशा अतीत से सवाल करती है?अतीत में हमारे ज़वाबदही लोगों ने व्यवस्था पर कुछ नहीं किया जिसके कारण आज हमारी वर्तमान जीवनशैली खराब हो रही है, वर्तमान रायगढ़ जिले के जामपाली से रायगढ़, घरघोड़ा, तमनार तक सड़क इस कदर नासुर बनकर घटिया विकास की सुई सीने में गड़ा रही की आम लोग मोटरसाइकिल में सफर करने से पहले हजार बार सोचते हैं, फिर भी जिसकी मजबुरी होती है किस्मत के साहरे रोज चलने को मजबुर है। देश के नक्शे में बदनाम सड़कों की लिस्ट में होने के बाद भी बेशर्म शासन प्रशासन के नुमाइंदे इस जर्जर सड़क पर अपनी महंगी गाड़ियों में बैठ आंखें मुदें चले जाते हैं, सड़क के बड़े बड़े खतरनाक गड्ढे खस्ताहाल सड़क पर अनियंत्रित तेज रफ्तार से चलती बिना तिरपाल बिना फिटनेस बिना लाइसेंस के नाबालिग चालक की बड़ी बड़ी ट्रक सड़क पर मौत बनकर दौड़ती रहती है जिसके कारण धुल मिट्टी छोटे छोटे कण से सड़क के चारों ओर अंधेरे से ढका सड़क कुछ दिखाई नही देता इस बीच में फंसे मोटरसाइकिल मुसाफिर की पीड़ा जन प्रतिनिधि जिम्मेदार विभाग के अधिकारियों को नहीं दिखाई देती है बेशर्मी से अपनी लक्जरी कारों से फराटे धुल उड़ाते चल लेते हैं

,उद्योग धंधों को फलने-फूलने के लिए हमेशा शासन प्रशासन प्रोत्साहित करता है इनको अलग से सुविधाएं देकर सहयोग करती रही है, परन्तु जब जन सरोकारों की आवश्यकताओं को पुरा करने की बात हो तो फंड का रोना रोते हैं?

नियमों के परिपालन नहीं होने के कारण उद्योग क्षेत्र के विकास रोजगार पर्यावरण संरक्षण संवर्धन व्यवस्थित जन जीवन के लिए योजनाएं सिर्फ कागजों पर ही सिमट कर रह जाती है, हर वृत्तीय वर्ष में भारी भारी योजना फाइलों मे बनकर तैयार हो जाती है लेकिन धारतल पर हकीकत यह है कि दुर्घटनाओं के लिए बदनाम सड़कों का आज तक शासन-प्रशासन के द्वारा कोई प्रभावशाली योजना हजारों मौतों के बाद भी नहीं बनाई ना इन दुर्घटनाओं को रोकने का ठोस कदम उठाए आज भी सड़क खून से सनी रहती है, एक का खून सुख नहीं पाता यह खुनी सड़क दुसरे के खून से लाल हो जाती है। भारी वाहनों का संख्या बढ़ता जा रहा है कोयले की मांग दिनों दिन बढ़ रही है,

जिम्मेदार अधिकारी हो या जिला के मुख्या जिलाधीश सरकार की योजनाओं पर ही फाइल मेनटेन करने में व्यस्त हो गये है जिसके कारण स्थानीय समस्याओं से दुर होना पड़ता है, जबकि राज्य सरकार को स्थानीय मुद्दों पर सर्वप्रथम निराकरण की खुली छुट प्रशासनिक तंत्र को देना चाहिए जिससे अधिकारियों को क्षेत्र का कार्य भार सौंपा गया वह पुरा हो सके, वास्तव में जनता के हुक्मरानों को अपने क्षेत्र की जनता के हितों पर सेवा का दावित्य होती है, परन्तु सरकार की निजी स्वार्थ लाभ के कार्य कराने में व्यस्त रहती है, आकाओं को खुश करने में लगी हो तब जनता को उनसे उम्मीद रखना बेमानी है?

पुलिस यातायात विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान? सड़क सुरक्षा व्यवस्था शून्य

रायगढ़ जिला यातायात पुलिस विभाग की जो अस्तित्व से आज तक कोई उपलब्धि वाला कार्य सड़क यातायात व्यवस्थित परिवहन संचालन के लिए नहीं कर सका कभी किसी प्रकार का सड़क में सुरक्षा जन-जागरूकता जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का आयोजन करते नजर नहीं आती ना ही कभी भारी वाहनों के लिए सड़क में भारी वाहन परिचालन की निगरानी में वाहन परिचालक नियम पालन के लिए कार्यक्रमों का आयोजन नहीं करती जिससे गाड़ी चलाने वाले चालक वास्तव में सड़क नियमों की जानकारी रखता है या नही? व्यस्त सड़क पर गाड़ी चलाने की काबिलियत है या नही? जिन्हें नियम ही नहीं पता उनसे पालन करने की उम्मीद कैसे होगी? नियमों का पालन हो इस लिए सरकार विभाग के उपर लाखों करोड़ों खर्च करता है अधिकारी कर्मचारी को प्रति महिना वेतन देती है, बिना फिटनेस की गाड़ी जिसके इंजन की लाइफ समाप्त हो चुकी है लाइट कमजोर है ब्रेक का पता नही ऐसे वाहनों के कारण दुर्घटना अधिक होती है, फिर भी जिला सड़क परिवहन विभाग, यातायात पुलिस विभाग कभी फिटनेस जांच नहीं करती ना गाड़ी मालिकों को इस ओर प्रेरित करने का प्रयास करती है, जबकि एक तय समय अवधि के उपरांत गाडियां की अवश्य रूप से जांच होनी चाहिए,जब ऊपर वाले जिम्मेदार अधिकारी मंत्री ही निरंकुश हो तो कोई अधिकारी कर्मचारी नियमों के तहत कार्य क्यों करें, पुलिस यातायात परिवहन विभाग सिर्फ वसुली उगाही वहन विभाग की जिम्मेदारी संभालने का कार्य करती है

छोटे वाहन के लिए ही नियम कायदे

मोटरसाइकल ,छोटे कार चालक वालों के लिए नियम कायदे कड़े है इन्हीं के ऊपर जुर्माने की रसीद फाड़ना ही काम रह गई है, जिला सड़क यातायात विभाग अपने इन्हीं महान कार्य प्रणाली की पहचान रखती है यह समुचा जिला जानती है, नीचे से ऊपर तक सबकी आवश्यकता पुर्ति का ख्याल यातायात पुलिस विभाग के पास होती है शायद इस लिए सड़क यातायात पुलिस व्यवस्था जिले में अपनी मूल कार्य करती नजर नहीं आती खास कर घरघोड़ा रायगढ़ सड़क परिक्षेत्र के अंतर्गत जहां सबसे अधिक भारी वाहनों का संचालन होता है, रोज यातायात व्यवस्था बाधित रहती है। आज यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ कर व्यवस्थित करने के लिए विभाग का सड़क पर कार्य करने की आवश्यकता है,

कहीं भी मानक बोर्ड नहीं दिखाई देता साइन बोर्ड की आवश्यकता सबसे ज्यादा रायगढ़ जिले के सड़कों पर है इस ओर पुलिस अधीक्षक व यातायात पुलिस अधीक्षक को ध्यान देने की आवश्यकता है जिले के हर सड़क खून से सनी हुई है आय दिन आमजन सड़क को लेकर आन्दोलित होते रहते हैं फिर भी प्रशासनिक अमला जनप्रतिनिधि संज्ञान तक नही लेते यह दुर्भाग्य है इस रायगढ़ जिले के लिए सड़क व्यवस्था नहीं होने के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त है पुर्व सरकार से लेकर वर्तमान सरकार तक सड़क के कारण चुनावों में मुंह की खाई है इस बात को दरकिनार नहीं किया जा सकता? जनता की उम्मीदों पर जनप्रतिनिधि खरी नहीं उतरती है

धरमजयगढ़ हो या रायगढ़-लैलूंगा विधानसभा विधायक हो सड़क के विषय को लेकर सभी विफल साबित होते नजर आते हैं, सड़क के विषय पर कोई नेता सुनने को तैयार नहीं है ना ही इस ओर ध्यान देकर सड़क को बेहतर बनाने की मंशा रखते हैं, इस कारण आज सड़कों की हालत गंभीर बनती जा रही है,

सरकार के पास क्षेत्र के जनप्रतिनिधि कभी सड़क के विषय को मजबूती से नहीं रखा वास्तव में धरमजगढ़ से घरघोड़ा से रायगढ़, घरघोड़ा से खरसिया, घरघोड़ा से लैलूंगा, तमनार से रायगढ़ को जोड़ने वाली सैंकडों किलोमीटर सड़क मार्ग के लिए अलग से परियोजना बनाकर वन-वे रोड़ का निर्माण करना अतिआवश्यक है यह भारी व्यस्ततम सड़क मार्ग है जहां दुर्घटना अधिक होती है, इस मार्ग के कारण अरबों रुपए की कमाई रोज हो रही है, जिसके तहत सीएसआर मत की सैकड़ों अरब रुपए की राशि शासन के पास जमा होती है, जो इसी सड़क के कारण मिलती है

फिर भी स्थानीय विधायक सांसद इन राशि को सड़क सुधार पर खर्च करने के लिए सोचते तक नही है सड़क ही उद्योग खदानों की मूल आधार है उसी प्रकार किसी क्षेत्र का सड़क बिजली पानी व्यवस्था ही विकास की पहचान होती है, फिर इन उद्योगों के संचालन में सहायक सड़क मार्ग की मरम्मत तक नहीं हो रही यह कैसा विकास है ? इस दुर्दशा वाले विकास के कारण क्षेत्र में जीवन यापन करने वाले जन समुदाय का सिर्फ शोषण किया जा रहा है शारीरिक आर्थिक रूप से लोग कमजोर हो रहे हैं नरकीय जीवन जीने के मजबूर लोगों की कमाई स्वास्थ्य पर चली जाती है, विकास की जो सपना दिखाकर क्षेत्र को प्रदुषित किया जा रहा है उससे किसान हो या व्यावसायिक सभी का हनन हो रही है, जिस गति और संपुर्ण व्यवस्था के साथ क्षेत्र का मूल-भूत आवश्यकता से विकास होना चाहिए वह हुआ ही नही जो स्थान रायगढ़ जिला का देश में होना चाहिए था वह आज तक नही मिला उपेक्षा का दंश झेल रहा रायगढ़ जिला के निवासी अपनी गुहार ऊपर जाकर ईश्वर से करें क्या? यह सवाल जन जन के मन में बुलबुले की तरह पनप रही है।