Latest:
जानकारी

निजी प्रैक्टिस करने वाले सरकारी डॉक्टरों की बढ़ी परेशानी……. अब वे बिना अनुमति नहीं खोल सकेंगे अपनी क्लीनिक, खोला भी देना होगा पूरा हिसाब किताब

रायगढ़ । वर्तमान भारत।

आशीष यादव


रायगढ़। बिलासपुर हाईकोर्ट के आदेश के बाद निजी प्रैक्टिस करने वालों सरकारी डॉक्टरों के लिए नए नियम बनाए गए हैं। नए नियम में किसी भी डॉक्टर की नियुक्ति प्रशासकीय पद पर होने पर उसे निजी प्रैक्टिस की छूट नहीं दी गई है। सरकारी हॉस्पिटल एवं महाविद्यालयों में आपातकालीन ड्यूटी करने वाले डॉक्टर अपनी ड्यूटी वाले दिन किसी भी प्रकार की निजी प्रैक्टिस नहीं कर पाएंगे।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद जिले के सरकारी डॉक्टरों में हडक़ंप मच हुआ है। आदेश के बाद से ही प्रदेश सरकार ने भी कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। इस नए नियम ने निजी प्रैक्टिस करने वाले सरकारी डॉक्टरों की नींद हराम कर दी है। अब डॉक्टरों को शपथ-पत्र के साथ पूरा हिसाब किताब देना होगा, जिसमें पांच बिन्दुओं का समावेश किया गया है। इसके अनुसार डॉक्टर्स को अपनी क्लीनिक में प्रैक्टिस के लिए सिर्फ तीन घंटे ही मिल सकेंगे। इन्हें मरीजों का रिकार्ड भी रखना होगा। यहां तक की फीस व रसीद भी भी पूरी जानकारी देनी होगी। यह जानकारी महीने की तय तारीख पर विभाग प्रमुख के पास जमा करनी होगी। छत्तीसगढ़ शासन चिकित्सा विभाग मंत्रालय ने नया आदेश जारी करते हुए चिकित्सा शिक्षिकों एवं डॉक्टरों को निजी प्रैक्टिस पर प्रतिबंध की स्थिति में अव्यवसायिक भत्ते की पात्रता संबंधी दिशा-निर्देश हैं। हाईकोर्ट के आदेश पर यह निर्देश सभी सरकारी डॉक्टर्स पर लागू किए जाएंगे। इन निर्देशों का पालन नहीं करने वाले सरकारी डॉक्टरों पर राज्य स्तरीय समिति अव्यवासयिक भत्ते, पेंशन व अनुशासनात्मक कार्रवाई का निर्णय लेगी। हालांकि यह फैसला सरकारी डॉक्टर्स के लिए है। इसलिए कोई मुखर होकर विरोध के लिए कोई सामने नहीं आ रहा है। नए नियम के तहत डॉक्टरों को तीन सत्यापित प्रतियों में जानकारी देनी होगी।

सरकारी डॉक्टरों के लिए जारी नए निर्देश


सबसे पहले तो कोई भी सरकारी डॉक्टर निजी प्रैक्टिस नहीं करेगा, अगर बेहद जरूरी है तो उसे इसके लिए मेडिकल कॉलेज के डीन, प्राचार्य या किसी अन्य बड़े अफसर को लिखित में जानकारी देनी होगी और अनुमति मांगनी होगी। चिकित्सा शिक्षक अपनी ड्यूटी टाईम के बाद प्राईवेट प्रैक्टिस कर पाएंगे लेकिन जितना समय ड्यूटी के लिए निर्धारित किया गया है उस दौरान मौजूद रहना पड़ेगा।आपात स्थिति में प्राईवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर को प्राईवेट क्लीनिक या हॉस्पिटल छोडक़र ड्यूटी पर आना पड़ेगा। प्राईवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर दिन में तीन घंटे ही कहीं और अपनी सेवाएं दे पाएंगे। छुट्टी के दिन वे पांच घंटे प्राइवेट प्रैक्टिस कर सकते हैं सरकारी हॉस्पिटल में आए किसी भी मरीज को डॉक्टर अपने निजी हॉस्पिटल या क्लीनिक का पता नहीं बताएंगे।

अब तक ये होता आ रहा है


दरअसल, अब तक होता यह आ रहा है कि सरकारी अस्पताल में नियुक्त डॉक्टर अस्पताल में कम और अपने निजी क्लीनिक में ज्यादा दिखते हैं। सरकारी अस्पताल में निर्धारित समय से कम सेवाएं देते हैं और वहां आने वाले मरीजों को अपनी क्लीनिक का पता थमा देते हैं। इसके अलावे कई डॉक्टर्स तो ऐसे भी हैं जो तनख्वाह तो शासन का लेते हैं मगर अस्पताल में पार्टटाइम ही समय देते हैं बाकी समय वे नामचीन क्लीनिकों में निजी प्रैक्टिस करते नजर आते हैं। इसको लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी जिसपर कोर्ट ने विगत दिनों एक आदेश जारी किया है जिसके बाद निजी प्रेक्टिस करने वाले सरकारी डॉक्टरों के लिए नए व कड़े नियम बनाये गए हैं। इससे आम मरीजों को तो फायदा होगा मगर मलाई खाने वाले डॉक्टरों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी।