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मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना गौठान रायगढ़ शहर में अधर में लटकी …गौठान के लिए फंड की कमी का रोना रो रही नगर निगम

रायगढ़ । वर्तमान भारत ।

आशीष यादव की रिपोर्ट

रायगढ़ शहर में एकलौता आदर्श शहरी गौठान संबलपुरी मे 45 लाख के लागत से बनवाया गया है जिसका शुभारंभ माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के दवारा 2 जनवरी 2021 को किया गया है जिसके जिम्मेदारी शासन से नगर पालिका निगम को दी गई है और नगर पालिका निगम के द्वारा गौठान के रखरखाव की जिम्मेदारी गौमाता मित्र समिति को दी गई है गौठान मे गौमाता मित्र समिति अभी कार्यरत है गौठान में अभी वर्तमान में पशुओं की संख्या 150 है. जहां गौठान में गौमाता मित्र समिति के सदस्य गौ माताओं की देखरेख कर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं. जबकि नगर पालिका निगम के पास गौठान के लिए फंड का रोना रो रही है.

मुख्यमंत्री द्वारा गोधन न्याय योजना के अंतर्गत गौठान मे वर्मी वर्मी कंपोस्ट खाद बनाया जा रहा था लेकिन वर्मी कंपोस्ट खाद की बिक्री नहीं हो रही है जिसके कारण वर्मी कंपोस्ट खाद बनकर कर गौठान में पड़ी है.गौठान का संचालन नगर निगम रायगढ़ द्रारा गौ माता मित्र समिति को दिया गया है इसमें शासकीय और निगम के तरफ किसी प्रकार की आर्थिक अनुदान तक नहीं दी जा रही है और गो मूत्र तक की खरीददारी नहीं की जा रही है वर्मी कंपोस्ट खाद की भी खरीदारी नहीं की जा रही है
लिहाज़ा समिति द्वारा गायों के चारे की पर्याप्त व्यवस्था नहीं हो पा रही है। जिससे मुख्यमंत्री के महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ गौठान समिति को नहीं मिल पा रहा है.

पिछले दिनों संबलपुरी गौठान से गुरुवार की रात तकरीबन 2.50 बजे मे 350 गायों को लैलूंगा शिफ्ट करने का मामला आया था

क्योंकि गौठान संचालन समिति का यह आरोप है कि उन्हें बिना सूचना दिए अचानक यह कार्य किया गया और इसमें से 140 से150 गाय वापस आ चुकी है लेकिन बाकी की गायें अब तक लैलूंगा गौठान में पहुंची ही नहीं है तो आख़िर बाकी की गायें गई तो गई कहाँ?

वहीं नगर निगम कर्मचारी मुन्ना ओझा व प्रदीप तिवारी का कहना है कि कलेक्टर रानू साहू,निगम कमिश्नर संबित मिश्रा और ललूँगा सीईओ के आदेश से यह शिफ्टिंग की गई है।इसलिए समिति संचालक शिव कुमार साहू द्वारा कलेक्टर,जिला प्रशासन, नगर निगम आयुक्त,चक्रधर थाना,पुलिस अधीक्षक, पशु विभाग को इसकी जनकारी पत्र और मौखिक रूप से दिया गया था.

निगम की मानें तो यही वजह है कि जब संबलपुरी गौठान में व्यवस्था ही नहीं है इसलिए गायों को शिफ्ट किया गया है।

कहते हैं गौठान संचालक
गौ मित्र समिति के संचालक शिव राज साहू ने बताया की अचानक निगम कर्मचारी उप अभियता मुन्ना ओझा एवं प्रदीप तिवारी द्वारा रात को दो से तीन बजे संबलपुरी गोठान से लगभग 350 मवेशियों को बाहर निकलवाया गया जिसमे लैलूंगा के सिओ की मौजूदगी मे करीब दस व्यक्ति जो की लैलूंगा से आए थे उनकी सहायता से सभी मवेशियों को बाहर निकाल दिया गया और लैलूंगा की तरफ हाक कर ले जाने लगे निगम ने समिति को बिना सूचित करे यह कार्य किया है व कुछ गायों को जगल मे छोड़ दिया गया है और लैलूंगा गौठनों में यहां से निकाली गई गायें पहुंची नहीं है।

क्या कहती हैं महापौर
महापौर जानकी काट्जू का कहना है कि संचालन समिति द्वारा कई बार पशुओं के लिए पर्याप्त चारे की व्यवस्था में कमी की बात की गई है लिहाज़ा संबलपुरी गौठान से सभी गायों को लैलूंगा में शिफ्ट किया गया है।अगर गायें लैलूंगा नहीं पहुंची हैं तो इस संबंध में सारी जानकारी प्राप्त कर सूचित किया जाएगा और यह भी पता लगाया जाएगा कि मामला पशु तस्करी से जुड़ा हुआ तो नहीं। इतना कह कर महापौर ने अपना पल्ला झाड़ लिया.

बहरहाल ये जवाब फ़िलहाल किसी के पास नहीं है कि आखिर वो गायें गई कहाँ..?और यदि उनको लैलूंगा शिफ्ट किया जा रहा था तो 150 गायें जंगलों से वापस कैसे आ गईं.?निगम कमिश्नर के पास भी इस संबंध में पूछे गये सवालों का कोई जवाब नहीं था। विगत माह पूर्व भी 46 गायों के शिफ्टिंग की जानकारी सामने आ रही है जिनका अब तक कोई अता पता नहीं मिल सका है।

बड़ा सवाल =

  1. नगर निगम के पास फंड नहीं है तो 45 लाख का गौठान बनवाया ही क्यों?
  2. जब सहरी संबलपुरी गौठान से लैलूंगा गौठान गायों को शिफ्ट किया गया तो लिखित में अनुमति जारी क्यों नहीं किया गया. सिर्फ मौखिक रूप से क्यों ?
  3. गायों को संबलपुरी शहरी गौठान से लैलूंगा गौठान मैं शिफ्टिंग दिन को भी कराया जा सकता था लेकिन रात को ही शिफ्टिंग क्यों ?
  4. विगत माह भी 46 गायों की शिफ्टिंग हुई थी तो यह गाये गए तो गए कहां इसका जिम्मेदार कौन?
  5. गायों को शिफ्टिंग करने हेतु किसी वाहन का प्रयोग क्यों नही किया गया?

7.गायो को पैदल ले जाने के लिए उनकी सुरक्षा वयवस्था क्या थी?