जिले मे सूचना का अधिकार बना मजाक! सचिव द्वारा सूचना के अधिकार नियमों की खुलकर उड़ाई जा रही है धज्जियां?
रायगढ़ । वर्तमान भारत ।
आशीष यादव की रिपोर्ट
शासन की मानें तो हर नागरिक जिसकी उम्र 18 वर्ष पूर्ण हो उन सभी की मौलिक अधिकार समान मिलती हुई दिखाई देती है पर यहां जमीनी स्तर में कुछ अधिकारी कर्मचारी अधिनियम को अपनी घर की जागीर समझ लेते हैं ओर अपने गांव के आम जनता को स्वयं के मौलिक अधिकार को अपने हाथों में होना बताते हैं जिससे गांव के लोग अपनी ही अधिकार से अछूता रहा हे. आपको बता दे कि मामला जनपद पंचायत पु सौर अंतर्गत ग्राम पंचायत कोतासुरा का है जहां शासन से विकास कार्य के लिये पंचायत के समस्त स्रोत जेसे मनरेगा, मूलभूत, 14 वें, 15 वें वित्त से जो राशि पंचायत को प्रदान की जाती है उन सभी की जानकारी प्राप्त करने के लिये अपनी मोलिक अधिकार में से सूचना का अधिकार भारत के हर नागरिक को 12 अक्टूबर सन् 2005 को सूचना का अधिकार अधिनियम लागू किया गया हैं जिससे प्रत्येक नागरिक जानकारियां प्राप्त करने की अधिकार रखता है।
19/7/2022 को ग्राम पंचायत कोतासुरा जनपद पंचायत पुसौर स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत बने शौचालयों की बिंदुवार जानकारी मांगी गई थी
सूचना के अधिकार आवेदक जुलाई को भारतीय डाक के माध्यम . से ग्राम पंचायत जन सूचना अधिकारी सचिव ग्राम पंचायत कोतासुरा जन सूचना अधिकारी को आवेदन के साथ शुल्क 10 रूपए का स्टाम्प पेपर के रूप में दिया था आज अधिनियम समय सीमा समाप्त होने के पश्चात् भी जन सूचना अधिकारी के द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम की नियमों क प्रति लापरवाही, उदासीनता, को प्रदर्शित करते हुये अपनी कर्तव्यां के प्रति स्वयं की लाभ और जानकारी से वंचित रखा गया है तो आम जनता को उनके अधिकार के प्रति कितनी अहमियत दी जाती होगी आप खुद समझ सकते हैं । जन सूचना अधिकारी की कार्य शैली से तो लगता है कि सूचना के अधिकार अधिनियम से जानकारी प्राप्त करन वाले आवेदन को ये कचरे के ढेर समझते हैं । जानकारियां देने से इंकार कर रहे जनसूचना अधिकारी की जड़े कहीं न कहीं घोटालों में पनप रही होगी तभी आवेदक का अब तक जानकारी स वंचित रखा जा रहा है अब आगे देखत हैं कि अपीलीय अधिकारी से जानकारी मिल पाती है या और कहीं दूसरा दरवाजा खटखटाना पड़ेगा।