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सच्चा मित्र सुख – दुख का साथी…किसे मित्र बनाना चाहिए और किसे नहीं… आइए जानते हैं आचार्य चाणक्य से ..

वर्तमान भारत । नीति शास्त्र ।

आलेख : गजाधर पैकरा

हमारी जिंदगी में मित्र को एक अहम दर्जा दिया जाता है ।मित्र ही हमारे सुख दुख के साथी माने जाते हैं। लेकिन एक सच्चे मित्र की खोज बहुत कठिन मानी जाती है ।लेकिन चिंता की बात नहीं ।इस मुश्किल को आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों से बहुत हद तक उत्तर ढूंढ निकाला है। चाणक्य नीति में कई ऐसी बातें कही गई है जिससे व्यक्ति अपने भविष्य में आने वाली कठिनाइयों से बच सकता है या उन चुनौतियों के लिए अपने आप को तैयार कर सकता है। वर्तमान समय में भी इनकी नीतियां अनगिनत लोगों को मार्गदर्शन दे रही है।

आचार्य चाणक्य ने अपने जीवन काल में ऐसे ही महत्वपूर्ण विषयों पर विभिन्न शास्त्रों और ग्रंथों की रचना की थी। चाणक्य नीति उसी का ही एक हिस्सा है ।जिसे संसार भर में प्रसिद्धि प्राप्त है ।आइए जाने किस तरह के मित्र सच्चे होते हैं-:

◾यह है आपका सच्चा मित्र-:

चाणक्य नीति के इस श्लोक के अनुसार विदेश में रहने वालों के लिए उसका सच्चा मित्र “विद्या “है ।घर में सभी बात ,सुख-दुख को साझा करने के लिए मित्र “पत्नी “है ।रोगी व्यक्ति के लिए मित्र “दवा “है और मृत्यु के बाद व्यक्ति का एकमात्र मित्र “धर्म “है। इसीलिए व्यक्ति को किसी भी परिस्थिति में विद्या अर्जित करनी चाहिए ।पति -पत्नी में संबंध हमेशा अच्छे रहना चाहिए ।स्वास्थ्य का अच्छा ध्यान रखना चाहिए और हमेशा धर्म का पालन करना चाहिए।

◾यह बातें मित्र से न कहें-:

न विश्वसेत्कुमित्रे च मित्रे चापि न विश्वसेत्।
कदाचित्कुपितं मित्रं सर्व गुह्यं प्रकाशयेत्।

इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य यह बताना चाहते हैं कि दोस्त, मित्र पर कभी भी विश्वास नहीं करना चाहिए और अपने मित्र से भी कुछ महत्वपूर्ण बातें छुपा कर रखनी चाहिए ।ऐसा इसलिए क्योंकि वह मित्र कभी भी क्रोधित होने के बाद अपनी गुप्त बातें अन्य व्यक्तियों को बता सकता है ।इसीलिए मित्र से भी उतनी ही जानकारी साझा करें जो आपके लिए किसी परिस्थिति में मुसीबत खड़ी ना कर दे।