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बिन ब्याही मां अपने बच्चे को पिता का नाम देने 9 महीने से दर – दर भटकने को मजबूर… तथाकथित पिता फरार… बलात्कार की शिकायत को महिला थाना ने लौटाया .. सखी – वन स्टॉप की भी भूमिका संदिग्ध …. शासन – प्रशासन मौन …. आखिर लड़की को न्याय दिलाएगा कौन ?

रायपुर । वर्तमान भारत ।

घटना छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले की है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार आज से करीब 9 महीने पूर्व रामेश्वरम नगर , भनपुरी (रायपुर) निवासी देवश्री नाम की एक युवती महिला थाना रायपुर मे इस आशय का एक हस्त लिखित शिकायत पत्र लेकर पहुंची थी कि संजय तांडी नामक एक युवक ने उसे अपने प्रेमजाल मे फांसकर उससे शादी करने का झांसा देते हुए उसके साथ धोखे से विगत एक वर्ष से शारीरिक संबंध बनाता आ रहा है जिसके परिणामस्वरूप वह गर्भवती हो गई । अपने गर्भवती होने की जानकारी जब उसने अपने प्रेमी संजय तांडी को दिया तो उसने गर्भ गिराने की बात कही जिसके लिए पहले तो वह तैयार नहीं हुई किन्तु बाद मे आपसी रजामंदी वह इसके लिए तैयार हो गई और डॉक्टर के पास गई किन्तु जच्चा की स्तिथि ठीक न होने का हवाला देते हुए डॉक्टर ने गर्भपात करने इस इंकार कर दिया। घटना की जानकारी जब लड़के के माता – पिता को हुई तो वे भी युवती के पास आए और मुंह मांगी रकम देने का प्रलोभन देकर गर्भ गिराने का दबाव उस पर बनने लगे जिसके लिए वह राज़ी नहीं हुई ,तब वे लोग वापस अपने गांव चले गए। उनके जाने के बाद उसने अपने प्रेमी से उसे अपनाने की बहुत मिन्नतें की लेकिन किन्तु उसका प्रेमी अब उसे अपनाने से इंकार कर रहा है। आवेदन पढ़ने के बाद थाने में तैनात जवानों ने उसे यह कहकर वहां से चलता कर दिया कि वह इस आवेदन को टाइप कराकर लाए तब उसे स्वीकार किया जाएगा।

महिला थाने से भगाए जाने के बाद युवती अपने आवेदन पत्र को लेकर इधर – उधर भटकती रही। इसी क्रम में वह सखी वन स्टॉप के संपर्क में आई। सखी सेंटर द्वारा संजय तांडी और उसके पिता को सेंटर में बुलाया गया। उस दिन लड़के के पिता ने युवती और बच्चे को स्वीकार कर लेने की बात कही , इसके बाद युवती , संजय तांडी और उसके पिता रायपुर स्थित अपने – अपने घर चले गए। लड़की इस बात के लिए आश्वस्त हो चुकी थी कि उसके प्रेमी के परिवार द्वारा उसे अपना लिया जाएगा , किन्तु ऐसा हुआ नहीं। मौका देखकर युवक एक दिन चुपके से अपने पैतृक गांव ( उड़ीसा) भाग गया । लड़की खून की आंसू रोती रही ,युवक से संपर्क करने की कोशिश करती रही । बड़ी मुश्किल से दिन कट रहे थे।इसी बीच युवती ने एक शिशु को जन्म दिया। शिशु को जन्म दिए अब लगभग 9 महीने गुजर चुके है और तब से वह लड़की अपने बच्चे को पिता का नाम देने दर – दर भटक रही है , मगर उसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है।

बेनकाब हुआ महिला पुलिस का चेहरा

थके – हारे ,शोषित – पीड़ित , बेसहारे का सहारा पुलिस को माना जाता। लेकिन इसका यथार्थ क्या है आज किसी से छुपा नहीं है।जिस तरह एक मजलूम महिला को महिला थाना से भगा दिया गया, वह महिला थाना के औचित्य पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है।जिसके प्रेमी ने साथ छोड़ दिया , जिसके परिवार वालों ने साथ छोड़ दिया , महिला पुलिस उसका भी सहारा न सकी। जिसके सर्वत्र अंधेरा ही अंधेरा था उसे उस पुलिस ने ही खाई मे धकेल दिया जिसके पास वह बड़े उम्मीद और विश्वास के साथ गई थी.मेरी जानकारी के अनुसार मौखिक सूचना पर भी FIR दर्ज किए जाने का प्रावधान है ,पर महिला पुलिस थाना रायपुर ने न जाने कानून की किस किताब में पढ़ लिया है कि टाइप किया हुआ आवेदन पत्र ही थाने में स्वीकार किया जाता है।आज पुलिस की अकर्मण्यता और मनमानी की वजह से एक नहीं , दो – दो जिंदगियां मौत के मुहाने पर खड़ी हैं। यदि पुलिस ने पीड़िता की अर्जी को स्वीकार कर लिया होता और आरोपी को बुलाकर सिर्फ डांट – डपट भी दिया होता तो शायद पीड़िता को ये दिन देखने न पड़ते। मगर जब तक ऐसे निष्ठुर और अज्ञानी पुलिसकर्मी विभाग में रहेंगे तब तक उनसे न्याय की अपेक्षा करना ही स्वयं को धोखा देने के बराबर है।

आरोपी संजय तांडी

सखी – वन स्टॉप की भूमिका संदिग्ध

सखी – वन स्टॉप एक ऐसा सेंटर है जहां निजी या सार्वजनिक अथवा दोनों स्थानों पर हिंसा या विपत्तिजनक स्तिथि से प्रभावित महिलाओं को एक ही छत के नीचे पुलिस सुविधा , चिकित्सा सहायता , विधिक सहायता एवम परामर्श तथा अस्थाई आश्रय सहित अन्य एकीकृत सेवाएं प्रदान की जाती हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो देवश्री बिल्कुल सही जगह पर पहुंची थी। किन्तु , पूरे मामले पर दृष्टिपात करने पर प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि सखी – वन स्टॉप सेंटर की कार्रवाई में कहीं न कहीं चूक अवश्य हुई है ,अन्यथा 9 महीने के दूध मुहें बच्चे को गोद मे लेकर भटकने को आज देवश्री मजबूर नहीं होती।केंद्र द्वारा देवश्री को एकीकृत सुविधाएं प्रदान करने में चूक हुई है। जब यह सबको पता था कि देवश्री और संजय तांडी की शादी नहीं हुई है और संजय तांडी देवश्री की अपनाने से इंकार कर रहा है तो केंद्र द्वारा तांडी के सिर्फ इस मौखिक आश्वासन पर कि वह उसे अपना लेगा , जाने ही क्यों दिया गया? संजय तांडे ने देवश्री के साथ धोखा किया। उसने अपनी पूर्व नियोजित योजना के अनुसार देवश्री को पहले अपने प्रेम जाल में फांसा, शादी करने का विश्वास दिलाया और लगातार एक वर्ष तक उसका दैहिक शोषण किया और जब वह गर्भवती हो गई तो उससे पीछा छुड़ाने की कोशिश करने लगा और देवश्री को तिल – तिल मरने को छोड़ दिया। सारी परिस्थिति को जानने – समझने के बावजूद सेंटर ने पूरे प्रकरण को हल्के में लिया , इसलिए कहा जा सकता है कि देवश्री की जिंदगी तबाह करने में किसी न किसी रूप में सखी – वन स्टॉप सेंटर का भी हाथ है। अतः पूरे मामले की जांचकर सखी – वन स्टॉप सेंटर के कर्मचारियों के विरुद्ध भी दंडात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए।