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अब फ्लाईएश डंप की अनुमति लेना होगा मुश्किल, सारंगढ़ जिले में हैं सभी प्रतिबन्धित खदानें, वहीं की कमेटी दे सकती है अनुमति

रायगढ़ । वर्तमान भारत ।

आशीष यादव

रायगढ़। सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला अलग होने के बाद कई बदलावों से रायगढ़ जिला प्रभावित हो रहा है। इसमें एक महत्वपूर्ण मामला फ्लाई एश का है। अब तक रायगढ़ और जांजगीर-चांपा के पावर प्लांटों से फ्लाई एश गुड़ेली और टिमरलगा के प्रतिबंधित खदानों में डाला जाता था। इसके लिए अनुमति रायगढ़ से दी जाती थी लेकिन अब यह सिस्टम बदल जाएगा।

रायगढ़ और जांजगीर-चांपा के कई पावर प्लांट टिमरलगा व गुड़ेली के अवैध लाइमस्टोन खदानों में एश डंप कर रहे हैं। पर्यावरण विभाग ने इसके लिए एक कमेटी बनाई है जिसमें कलेक्टर के अलावा क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी, सारंगढ़ एसडीएम, उप संचालक खनिज शामिल थे। यह कमेटी ही भूमि स्वामी की सहमति और पावर प्लांट के आवेदन पर फ्लाई एश पाटने की अनुमति देती है। लो लाइंग एरिया के लिए भी यही नियम है, लेकिन अब सब बदल गया है। अब प्रतिबंधित खदानें सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में आ रही हैं, इसलिए कमेटी भी वहीं गठन करना होगा। पावर प्लांटों को अब वहीं से अनुमति मिलेगी। अवैध डंपिंग पर अब रायगढ़ की तरह चुप्पी भी नहीं साधी जाएगी।

अनुमति से ज्यादा हो चुकी है डम्पिंग
टिमरलगा और गुड़ेली की खदानों में अब तक जेएसपीएल, डीबी पावर, रायगढ़ एनर्जी, जेएसडब्ल्यू समेत कई कंपनियों ने फ्लाई एश डंप किया है। यहां लात नाले में भी एश पाटा गया था। इस क्षेत्र में अनुमति से अधिक एश डाला जा चुका है। मॉनिटरिंग में कमी के कारण पावर प्लांटों ने फायदा उठाया। एनजीटी की गाइडलाइन का पालन नहीं किया गया।