Navratri 6th Day 2022 : नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा…मिलेगी रोग,शोक,भय से मुक्ति…पूजन विधि और मंत्र…जाने संपूर्ण जानकारी
वर्तमान भारत । धर्म ।
गजाधर पैकरा
शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि की छठवें दिन मां कात्यायनी की पूजा को समर्पित होता है ।मां दुर्गा का यह छठा स्वरूप बहुत ही करूणामयी होता है। माना जाता है कि मां दुर्गा ने अपने भक्तों की तपस्या को सफल बनाने के लिए यह रूप धारण किया था।
पौराणिक कथा के अनुसार देवी दुर्गा ने महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर उनके घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया था ।महर्षि कात्यायन की पुत्री होने के कारण ही मां दुर्गा के इस रूप का नाम कात्यायनी रखा गया। इसके साथ ही आगे चलकर मां कात्यायनी ने दैत्य महिषासुर का वध किया और उन्हें महिषासुर मर्दिनी भी कहते हैं।
इस साल मां कात्यायनी की पूजा शनिवार 1 अक्टूबर 2022 को की जा रही है ।मान्यता है कि जो कोई सच्चे मन से और विधिवत मां कात्यायनी का पूजा आराधना करता है ।उसके सभी रोग दुख और भय दूर हो जाते हैं। साथ ही देवी की आराधना से सभी वैवाहिक बाधाओं से मुक्ति प्राप्त होती है ।आइए जानते हैं मां कात्यायनी की पूजा विधि और मंत्र के बारे में…
मां कात्यायनी की पूजा विधि
नवरात्रि के छठे दिन भोर को स्नान के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करें। तत्पश्चात पूजा स्थल की सफाई करके गंगाजल से शुद्धीकरण करें ।अब सबसे पहले मां कात्यायनी की प्रतिमा अथवा तस्वीर के सामने हाथ जोड़कर प्रणाम करें ।फिर पूजन के दौरान देवी को पीले अथवा लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें ।
इसके बाद देवी मां को पीले रंग के पुष्प ,कच्ची हल्दी की गांठ चढ़ाएं ।माता को शहद का भोग लगाएं ।मां कात्यायनी के सामने आसन पर बैठकर मंत्र ,दुर्गा चालीसा और सप्तशती का पाठ अवश्य करें। तत्पश्चात धूप, दीप जलाकर मां की आरती उतारे। पूजा के बाद सभी को प्रसाद का वितरण कर दे।
मां कात्यायनी मंत्र
चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दु लवर वाहना।
कात्यायनी शुभं दद्या देवी दानव घातिनी।।
या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
डिस्क्लेमर-:
यहां दी गई समस्त जानकारी सामान्य मान्यताओं एवं जानकारियों पर आधारित है .इसकी “वर्तमान भारत “पुष्टि नहीं करता है।