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Chhath Puja 2022:चार दिनों की छठ पूजा की परंपरा और रीति-रिवाज…आज से शुरू हो रहा है आस्था का महापर्व छठ

वर्तमान भारत। धर्म/ आस्था डेस्क

गजाधर पैकरा

ऐसी मान्यता है कि छठ पूजा करने वाला व्यक्ति पवित्र स्नान करने के पश्चात संयम की अवधि के 4 दिनों तक अपने मुख्य परिवार से भिन्न हो जाता है ।पूरी अवधि के दौरान शुद्ध भावना के साथ एक कंबल के साथ फर्श में सोता है।सामान्यतः यह माना जाता है कि यदि एक बार किसी परिवार में छठ पूजा शुरु कर दी तो उन्हें और उनकी अगली पीढ़ी को भी इस पूजा को प्रत्येक साल करना पड़ेगा और इसे तभी छोड़ा जा सकता है ।जब उस वर्ष परिवार में किसी की मृत्यु हो जाती हो।

व्रत करने वाले भक्त छठ पर मिठाई, खीर, ठेकुआ और फल, कच्ची हल्दी की गांठ, घी से बने मीठी पुड़ी, मालपुआ, नारियल, चने की प्रसाद सहित अनेकों प्रकार की वस्तुओं को छोटी बांस की टोकरी में सूर्य देव को प्रसाद के रूप में अर्पण करती है। प्रसाद की शुद्धता बनाए रखने के लिए बिना नमक, प्याज और लहसुन की निर्मित किया जाता है ।यह त्यौहार 4 दिन तक चलता है।

◾पहले दिन जिसे नहाय खाय कहा जाता है। इस दिन भक्त जल्दी सुबह पवित्र जल में स्नान करते हैं और अपने घर प्रसाद तैयार करने के लिए कुछ जल घर भी लेकर आते हैं। इस दिन घर और घर के आस-पास साफ सफाई करते हैं ।वह एक वक्त का खाना लेते हैं। जिसे कद्दू भात के रूप में कहा जाता है ।जो केवल मिट्टी के (चूल्हे) पर आम की लकड़ियों का प्रयोग करके तांबे या मिट्टी के बर्तन में बनाया जाता है।

◾ दूसरे दिन अर्थात पंचमी को जिसे खरना कहा जाता है ।इस दिन व्रत करने वाले भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं। और शाम को धरती माता की पूजा के बाद सूर्य अस्त के बाद व्रत खोलते हैं ।वे पूजा में खीर, पूड़ी और फल मिठाई अर्पित करते हैं। शाम को खाना खाने के बाद व्रत करने वाले भक्त बिना पानी पिए अगले 36 घंटे का उपवास रखते हैं।

◾तीसरे दिन अर्थात प्रमुख दिन नदी के किनारे घाट पर संध्या के समय सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं ।अर्घ्य देने के बाद वे पीले रंग की साड़ी पहनती हैं। परिवार के अन्य सदस्य पूजा से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इंतजार करते हैं ।छठ की रात 5 गन्नों से कवर मिट्टी के दीए जलाकर पारंपरिक कार्यक्रम मनाया जाता है। 5 गन्ने पंच तत्वों जैसे पृथ्वी, जल ,अग्नि ,वायु और आकाश को प्रदर्शित करते हैं। जिससे मानव शरीर का निर्माण करते हैं।

◾चौथे दिन अर्थात अंतिम दिन की सुबह व्रत करने वाले भक्त अपने परिवार और मित्रों के साथ नदी के किनारे बिहानिया अर्थात सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। उसके बाद ही छठ का प्रसाद खाकर व्रत खोलते हैं।