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सरकार की मंशा पर पलीता लगाने पर तुले शासन के नुमाइंदे, डेढ़ साल से झांकने तक नहीं आए संकुल समन्वयक, बच्चों ने दी स्कूल में ताला जड़ने की चेतावनी

बिलासपुर । वर्तमान भारत

आशीष यादव की रिपोर्ट


एक तरफ राज्य सरकार शिक्षा की गुणवत्ता को सुधार करने के लिए कोई समझौता नहीं करने का दावा करती है, तो वहीं दूसरी तरफ राज्य शासन के नुमाइंदे शिक्षकों को दूसरे कामों में लगाकर शिक्षा की बदहाली का नमूना पेश करते हुए राज्य सरकार के दावों की हवा निकालने में लगे हुए है. यहां आलम ये है कि बच्चे अपने मन से पढ़ना तो चाहते हैं, लेकिन अक्षर का ज्ञान कम होने के कारण बच्चों को पुस्तके पढ़ पाने में और याद करने में बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. स्कूल में शिक्षा हासिल करने वाले बच्चे अब पढ़ाई की मांग को लेकर जिद पर अड़ गए हैं और स्कूल में टीचर नहीं मिलने से विद्रोह पर उतर आए हैं.

डेढ़ साल साल झांकने नहीं आए संकुल समन्वयक

पूरा मामला बिलासपुर बिल्हा ब्लॉक अंतर्गत मिडिल स्कूल रानीगांव का है. यहां 3 टीचरों की पदस्थापना है और बच्चों की दर्ज संख्या 151 है. रानीगांव के शासकीय मिडिल स्कूल में सेटअप के आधार पर 4 टीचरों की पदस्थापना होनी चाहिए. लेकिन इन तीन टीचरों में एक प्रधानपाठिका जमुना गहवई है और दूसरे टीचर जितेंद्र कुमार साहू शामिल हैं. यहां के सरपंच श्रवण गहवई का आरोप है कि शिक्षक जितेंद्र साहू पिछले डेढ़ सालों से स्कूल में झांकने तक नहीं पहुंचे हैं, जबकि वे संकुल समन्वयक जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे हैं. इनके स्कूल ना आने से बच्चों का भविष्य अंधकार की ओर बढ़ चुका है.

स्कूल में ताला जड़ने की चेतावनी

जिला शिक्षा विभाग और स्कूल प्रबंधन की लापरवाही से त्रस्त होकर गांव वालों ने कलेक्टर के जनदर्शन में शिकायत की तो एक वैकल्पिक तौर पर लैब टैक्नीशियन ज्योति प्रभा जोशी को कुछ महीनों के लिए संलग्न जरूर किया गया है. लेकिन शिक्षा की व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हो पा रहा है. बच्चों का कहना है कि वे रोज स्कूल पहुंचते हैं, लेकिन यहां पढ़ने की बजाय पूरा समय खेलकूद में बीत जाता है. बच्चों ने बताया कि उन्हें मध्यान भोजन मिल रहा है. जिससे हम भरपेट खाना खा लेते हैं. लेकिन पढ़ाई नहीं हो रही है. हम सभी छात्रों की मांग है कि शासकीय मिडिल स्कूल में टीचर उपलब्ध कराया जाए. यदि टीचर नहीं आए तो हम स्कूल में ताला जड़ देंगे और स्कूल भी नहीं आएंगे.