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दो महीने में जो काम सोसाइटी के माध्यम से नहीं हो सका उसे महज सप्ताह भर मे तहसीलदार कैसे पूर्ण करेंगे??? जिम्मेदार चाहे जो भी खामियाजा अंततः किसानो को ही भुगतना पड़ रहा…!!

रायगढ़ से आशीष यादव की रिपोर्ट

रायगढ़:- छत्तीसगढ़ की स्थापना दिवस 1 नवंबर से पूरे प्रदेश में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर धान खरीदी शुरू हो चुकी है! किंतु रायगढ़ जिले के कई विकास खंडों में अभी भी बहुत सारे किसानो का पंजीयन तक नहीं हो सका है हालांकि पंजीयन की प्रक्रिया अब भी बदस्तूर जारी है किंतु किसानों के पंजीयन का कार्य पहले सोसाइटी को दिया गया था! तथा रकबा और फसल संशोधन का काम तहसीदारो को आखिरी समय मे दिया गया! 2 महीने में जो काम सोसाइटी के माध्यम से नहीं हो सका उसे महज सप्ताह भर मे तहसीलदार कैसे पूर्ण करेंगे???

किसानों का कहना है कि ज़ब सब दस्तावेज पटवारी के पास है तो पंजीयन का प्रारंभिक काम पटवारी स्तर पर क्यों नहीं किया गया? पटवारी स्तर से काम प्रारम्भ होता तो पटवारी पर जिम्मेदारी तय होता तहसीलदार भी जवाबदारी होता, किसानो का पटवारी और तहसील ऑफिस का चक्कर लगाना सोसाइटी स्तर पर हुए काम के गाथा गाने के लिए पर्याप्त है! किसान अपना धान बेचने की आस में दस्तावेजों को दुरुस्त कराने अब प्रतिदिन तहसील मुख्यालय के चक्कर काट रहे हैं,जिम्मेदार चाहे जो भी हो मगर इसका खामियाजा अंततः किसानो को ही भुगतना पड़ रहा है!

बहरहाल जिम्मेदार चाहे जो भी हो मगर इसका खामियाजा अंततः किसानो को ही भुगतना पड़ रहा है, अच्छा ये होता की पंजीयन गिरदावरी और दास्तांज के अधार पर पटवारी प्रारम्भ करता तहसीलदार दावा-आपत्ति का निराकरण कर सोसाइटी को भेजते!!