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कोई अनुमति से अधिक कर रहा खनन, कहीं क्षमता से अधिक भंडारण ….क्रेशर संचालकों के मन में प्रशासन का कोई डर ही नहीं…चंद बोटीनुमा रिश्वत के आगे खनिज विभाग नतमस्तक

रायगढ़ । वर्तमान भारत ।

आशीष यादव की रिपोर्ट

रायगढ़ । क्रेशर संचालकों ने सालों से जिले में एक अलग ही व्यवस्था बना ली है। वे अपने हिसाब से खनन करते हैं, बैरियर से बिना रोकटोक माल डिस्पैच करते हैं, रॉयल्टी पर्ची भी फर्जी आंकड़ों के आधार पर जारी करवाते हैं। ऐसा करने से खनिज विभाग इनको रोक नहीं पाता क्योंकि मुट्ठी भर सरकारी अमले के सामने सौ से ज्यादा क्रेशरो संचालको की ताकत ज्यादा है। टिमरलगा और गुड़ेली को पूरी तरह छलनी कर चुके क्रशर माफिया अब नई जमीनों को टारगेट कर चुका है। खनिज विभाग तो पुराने लीज और भंडारण अनुज्ञा की जांच नहीं कर सका है। किस पट्टेदार ने कितना खनन किया, इसका कोई हिसाब ही नहीं निकाला जा सका है।

गुड़ेली के सांई मेटल, जेके क्रेशर और छत्तीसगढ़ मिनरल्स की कहानी ऐसी ही है। इनकी जांच होती ही नहीं है। तीनों क्रशर संचालकों ने इस तरह से मोहरे बिठाए हैं कि जांच शुरू होने के पहले ही दफ्तर के अंदर ही खत्म हो जाती है। सांई मेटल संचालक अशोक अग्रवाल पिता स्व. भगवान दास अग्रवाल निवासी वृंदावन कॉलोनी और जेके क्रेशर संचालक रामप्रताप साहू पिता रेशमलाल साहू निवासी गोड़म तो पट्टे से भी अवैध खनन का रिकॉर्ड कायम कर चुके हैं। वहीं छग मिनरल्स का भंडारण लाइसेंस है, जिसमें से अनुमति से अधिक लाईमस्टोन डंप होता है।

30 साल की लीज, खनन का कोई हिसाब नहीं


हर खनिपट्टे का एक माइनिंग प्लान होता है जिसके तहत उसे प्रतिवर्ष एक निश्चित सीमा तक खनन की अनुमति होती है। गुड़ेली में जेके क्रेशर संचालक रामप्रताप साहू की चूना पत्थर की लीज है। खनं 495/1क, 495/2, 495/3, 510/1 रकबा 0.7 हे. रकबे का पट्टा मिला है। इसमें बीते 11 सालों में कितना खनन किया गया है, इसका खनिज विभाग हिसाब नहीं रखता। विभाग के डाटाबेस में केवल वही जानकारी है जो पट्टेदार बता देता है। हकीकत में जेके क्रशर संचालक ने सारे नियम दरकिनार कर मनमाने तरीके से खनन किया है। अवैध बोल्डर को भी जमकर खपाया जाता है।

प्रतिबंधित खदानों से बोल्डर की आपूर्ति


सांई मेटल में भी कुछ ऐसी ही कहानी है लेकिन संचालक अशोक अग्रवाल कुछ अलग तरीके से अंजाम देते हैं। सांई मेटल में डंप पर्ची यूज कर क्षमता से अधिक बोल्डर भंडारण कर लिया जाता है। सांई मेटल को गुड़ेली में खनं 17/1 रकबा 0.562 हे. में पट्टा स्वीकृत है। पट्टे की जमीन से अधिक में यह संचालित है। डंप पर्ची का उपयोग कर अवैध बोल्डर को खपाया जाता है, जो प्रतिबंधित खदानों से आते हैं। दस साल के लिए लीज मिली है। बताया जा रहा है कि प्रतिमाह उत्पादन के वास्तविक आंकड़े छिपाए जाते हैं। पर्यावरणीय नियम तो कोई मानता ही नहीं।

अनुमति से कहीं अधिक भंडारण


खनिज विभाग की सरपरस्ती में छत्तीसगढ़ मिनरल्स भी खूब बढ़ रहा है। खनिज विभाग के पूर्व अफसरों ने इस क्रेशर के लिए विशेष रियायतें दी थी। गुड़ेली में खनं 521/2, 523/13, 523/14, 523/15, 523/16, 524/5, 524/6, 527/1, 527/2, 527/3, 527/4, 527/5, 527/6, 527/7, 527/8 और 527/9 रकबा 1.228 हे. में छग मिनरल्स संचालक अमित अग्रवाल निवासी गांधीगंज को लाइसेंस मिला है। यहां पहले पट्टा भी स्वीकृत था। माइनिंग प्लान के अनुसार पट्टे में खनन हुआ या नहीं इसकर तस्दीक ही नहीं की गई। असेसमेंट में हमेशा क्रशर संचालक को अवैध लाभ पहुंचाया गया।