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झोलाछाप डॉक्टरों के हौंसले …. बुलंद मरीजों की जान से कर रहे खिलवाड़ …..स्वास्थ्य विभाग बेखबर या मिलीभगत ?

रायगढ़। वर्तमान भारत ।

अशीष यादव की रिपोर्ट

रायगढ़ ब्लॉक के ग्राम पंचायत तिलगा मे झोलाछाप डॉ. दीपक बंगाली व जुनवानी गांव मे झोलछाप डॉ. रोहित मालिक बिंदास झोलाछाप डॉक्टर घर घर जाकर व तिलगा मे झोलाछाप डॉ. दीपक बंगाली बिना किसी डर के घर घर जाकर इलाज किया जा रहा है चाय की गुमटियों जैसी दुकानाें में झोलाछाप डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं ये झोलाछाप डॉक्टर पिछले कई सालो से प्रैक्टिस कर रहे हैं मरीज चाहे उल्टी, दस्त, खांसी, बुखार से पीड़ित हो या फिर अन्य कोई बीमारी से। सभी बीमारियों का इलाज यह झोलाछाप डॉक्टर करने को तैयार हो जाते हैं। खास बात यह है मरीज की हालत बिगड़ती है तो उससे आनन फानन में रायगढ़ मेडिकल कालेज अथवा जिला अस्पताल रायगढ़ भेज दिया जाता है। जबकि यह लापरवाही स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों की जानकारी में भी है।

जबकि ग्राम पंचायत तिलगा में उप स्वास्थ्य केंद्र स्थित है व ग्राम पंचायत भगोरा में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्थित है यहाँ आस पास दर्जनों गांव ऐसे हैं जहां सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हैं। वहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर सुविधाएं भी हैं। उसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था के कारण इसका फायदा सीधे तौर पर झोलाछाप डॉक्टर उठा रहे हैं। सरकारी स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध होने के बावजूद बीमार होने पर झोलाछाप डॉक्टरों से ही इलाज कराना पड़ता है।

बिना लाइसेंस के दवाओं का भंडारण भी करते हैं डॉक्टर
झोलाछाप चिकित्सकों द्वारा बिना पंजीयन के एलोपैथी चिकित्सा व्यवसाय ही नहीं किया जा रहा है। बल्कि बिना ड्रग लाइसेंस के दवाओं का भंडारण व विक्रय भी अवैध रूप से किया जा रहा है। दुकानों के भीतर कार्टून में दवाओं का अवैध तरीके से भंडारण रहता है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई सालों से अवैध रूप से चिकित्सा व्यवसाय कर रहे लोगों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई। इन दिनों मौसमी बीमारियों का कहर है। झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानें मरीजों से भरी पड़ी हैं। ठण्ड बढ़ने के कारण इन दिनो उल्टी, दस्त, बुखार जैसी बीमारियां ज्यादा पनप रही हैं। झोलाछाप इन मरिजो का इलाज ग्लूकोज की बोतलें लगाने से शुरू करते हैं। एक बोतल चढ़ाने के लिए इनकी फीस 100 से 200 रुपए तक होती है।

स्वास्थ्य विभाग नहीं करता कार्रवाई


झोलाछाप डॉक्टरों की वजह से अब तक कई लोगों की असमय जान चली जाती है । खंड चिकित्सा अधिकारी के संज्ञान में होने के बावजूद भी आज तक
स्वास्थ्य विभाग ने स्थाई तौर पर झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई नहीं की। आज तक कार्यवाही नहीं होने की वजह से इन झोलाछाप डॉक्टरों के हौसले बुलंद है ग्रामीण क्षेत्र में एक बार भी प्रशासन की कार्रवाई देखने को नहीं मिली है। झोलाछाप डॉक्टर मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं और प्रशासन दूर से ही इन्हें देखकर भी मुकदर्शक बना हुआ है

केस बिगड़ने पर अस्पताल रिफर कर देते हैं मरीज
बीते कुछ वर्षों से फर्जी डिग्रीधारी डॉक्टरों की वृद्धि हुई है। ग्रामीण क्षेत्र में कोई मात्र फर्स्ट एड के डिग्रीधारी हैं तो कोई अपने आप को बवासीर या दंत चिकित्सक बता रहा है लेकिन इनके निजी क्लीनिकों में लगभग सभी गंभीर बीमारियों का इलाज धड़ल्ले से किया जा रहा है। कुछ डॉक्टरों ने तो अपनी क्लिनिक में ही ब्लड जांच, यूरीन जांच इत्यादि की सुविधा भी कर रखी है।

सरकारी अस्पतालों पर लगा रहता है ताला

ग्राम पंचायत तिलगा में उप स्वास्थ्य केंद्र संचालित है व गांव के पास ग्राम पंचायत भगोरा में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी संचालित है शासन ने उप स्वास्थ्य केंद्रों के भवन बनवाकर उन पर रंगरोगन करा दिया लेकिन स्टॉफ की माकूल व्यवस्था नहीं की। जिससे यह यह उप स्वास्थ्य केंद्र प्राय: बंद रहते हैं । मजबूरन डॉक्टरों को झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कराना पड़ता है।

खंड चिकित्सा अधिकारी को कई बार संज्ञान में देने के बावजूद इन झोलाछाप डॉक्टरों के ऊपर कार्यवाही करने पर हाथ पैर फूलते है या स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत के कारण झोलाछाप डॉक्टर बिना किसी डर के बिंदास अपने क्लीनिक व घर घर जाकर
ग्रामीण मरीजों का इलाज कर रहे हैं या स्वास्थ्य विभाग कोई बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहे हैं इन झोलाछाप डॉक्टरों को पर कार्यवाही ना होना अनेक प्रकार के सवालों को जन्म देता है है.