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आरक्षण समाचार : छत्तीसगढ़ में अति शीघ्र खत्म हो सकता है आरक्षण विवाद की अटकलें…कैबिनेट के बाद सदन में रखी जा सकती है रिपोर्ट…पढ़ें पूरी खबर

रायपुर । वर्तमान भारत ।

गजाधर पैकरा

रायपुर। वर्तमान भारत। छत्तीसगढ़ में लंबे वक्त से चले आ रहे आरक्षण विवाद का पटाक्षेप जल्द ही संभव होने की संभावना है। ऐसा इसलिए कि सरकार की तरफ से बनाए गए क्वांटिफायबल डाटा आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार के हवाले कर दी है।

ऐसा माना जा रहा है इसे कैबिनेट में चर्चा के पश्चात सदन के पटल पर रखा जा सकता है। अगर सहमति बनी तो इसे सरकार अपने पक्ष में कोर्ट में भी इस्तेमाल कर सकती है। दूसरी ओर रिपोर्ट पर सियासत भी तेज हो गई है।

फिलहाल सेवा निवृत जज छविलाल पटेल की अध्यक्षता में बने क्वांटिफायबल डाटा आयोग ने 1 करोड़ 20 लाख से कुछ अधिक लोगों का आंकड़ा इकट्ठा किया है। इसी के बलबूते पर रिपोर्ट तैयार की गई है। जिसे सरकार को सौंप दिया गया है आयोग की रिपोर्ट में कुछ इस तरह के आंकड़े हैं…

◾ छत्तीसगढ़ में अन्य पिछड़ा वर्ग ओबीसी की आबादी 41% है।

◾ सामान्य वर्ग के गरीबों की संख्या आबादी के 3% तक पाई गई है।

◾ दुर्ग जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वाधिक 72% आबादी पिछड़ा वर्ग की है।

टिप्पणी-:रिपोर्ट के तथ्यों को सार्वजनिक नहीं किया गया है यह अनुमान और दावों के आंकड़े हैं.!

सूत्रों के अनुसार सरकार इस रिपोर्ट को 24 नवंबर को प्रस्तावित राज्य कैबिनेट की बैठक में चर्चा के लिए प्रस्तुत करेगी। वहां से मंजूरी अगर मिली तो इसे विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा। बताया जा रहा है कि इसे लेकर सरकार में एक राय बनी तो इसका उपयोग न्यायालय में भी किया जाएगा। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रदेश में पिछड़ा वर्ग समाज के संगठनों का लगातार यह दावा रहता है कि उनकी आबादी 52 से 54% तक है।

राज्य सरकार ने 2019 में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% कर दिया था। केंद्र सरकार ने कानून बनाकर सामान्य वर्ग के गरीबों को भी 10% आरक्षण दे दिया। इसकी वजह से प्रदेश की नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 82% सीटें रिजर्व हो गई थी। यहां आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट से निर्धारित 50% की सीमा के पार था। इसी को लेकर कुछ लोगों ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।

उच्च न्यायालय ने इस पर रोक लगा दिया। सरकार से आरक्षण बढ़ाने के आधार पर अधिकृत आंकड़ा मांगा। इसी के बाद राज्य सरकार ने क्वांटिफायबल डाटा आयोग का गठन किया। अब आयोग की रिपोर्ट आ गई है। इसे सरकार देखेगी और सहमति बनी तो संभव है कि इसका इस्तेमाल कोर्ट में अपना पक्ष रखने के लिए किया जाए।

रिपोर्ट पर सियासत भी हुई तेज

आयोग की रिपोर्ट को लेकर जानकारी सामने आने के पश्चात सियासी बयानबाजी का दौर भी शुरू हो गया है। नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने सरकार को आरक्षण के मुद्दे पर आड़े हाथ लेते हुए कहा कि इस सरकार के खाने के दांत और हैं, और दिखाने के दांत और हैं। जिसको जितना अधिकार है। उसको उतना अधिकार मिलना चाहिए। सरकार विधानसभा के विशेष सत्र में सदन के पटल पर इसे रखें।