Trending News

सावधान ! सावधान! : कहीं आपका बच्चा नशे के गिरफ्त में तो नहीं….नशे के सौदागरों से स्कूल भी सुरक्षित नहीं …..कोचिए हर रोज स्कूलों तक पहुंचा रहे ब्रेन डेड करने वाली नशे की डोज, हर दिन आती है स्कूलों से डिमांड

रायपुर । वर्तमान भारत ।

लेख: रामाशंकर जायसवाल ( प्रांतीय ब्यूरो चीफ)

नशे के सौदागरों ने अब स्कूलों को भी अपने टारगेट में ले लिया है और हर रोज लगभश 20 हजार नशीली दवाइयां स्कूलों तक सप्लाई हो रही है।सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लगभग 50 कोचिए इस काम में लगे हुए हैं जो तकरीबन सभी प्राइवेट और सरकारी स्कूलों तक नशे की प्रतिबंधित दवाइयां छात्रों तक पहुंचा रहे हैं।

दरअसल स्कूलों में पढ़ने और नशा करने वाले कुछ बच्चों के जरिए स्कूल में बड़ी मात्रा में गोलियां पहुंचाई जा रही हैं। कई बच्चों को नशीली गोलियाें का आदी बना दिया गया है। जो गोलियां बच्चों को मिल रही हैं वे मेडिकल स्टोर में भी बैन है। बिना डॉक्टर की पर्ची के उन्हें मेडिकल से भी नहीं देना है।

इस तरह बच्चों तक पहुंच रही हैं दवाइयां

शहर में नशीली दवाओं की सप्लाई कुछ मेडिकल स्टोर के गोदामों से हो रही है। मेडिकल स्टोर संचालकों से स्कूली बच्चों तक 5 अलग-अलग स्टेज से होकर ये दवाएं पहुंचती हैं। मेडिकल स्टोर वालों ने इस तरह की नशीली दवा का ऑर्डर लेने के लिए अलग-अलग सेंटर बना रखे हैं।

ये सेंटर पान ठेले और छोटी-छोटी गुमटियां हैं। बड़े-बड़े कोचिए अपनी मांग इन सेंटरों को बताते हैं। सेंटरों से मेडिकल स्टोर को मांग भेजी जाती है। वहां से छोटे-छोटे कार्टून में पैक कर दवा भेजी जाती है। कोचियों ने भी डिलीवरी बॉय बना रखे हैं। ये डिलीवरी बॉय वहां तक गोलियां पहुंचाते हैं, जहां से ऑर्डर दिया गया है।

एनर्जी ड्रिंक के साथ नशा

बच्चे इन दवाओं को बाजार में उपलब्ध एनर्जी ड्रिंक्स के साथ ले रहे हैं। ये एनर्जी ड्रिंक्स स्कूल के कैंटीन में भी उपलब्ध रहती है। इसके अलावा कोल्ड ड्रिंक में भी इसे ले रहे हैं।

औपचारिकता: समन्वय टीम कर रही कार्रवाई

प्रदेश में नशीली दवाओं के नियंत्रण के लिए प्रशासन, पुलिस और ड्रग विभाग की एक समन्वय टीम बनाई गई है। ओड़िशा और बालाघाट से इसकी सप्लाई रायपुर में सबसे ज्यादा है। ये टीम पड़ोसी राज्यों से आने वाली नशीली दवाओं को रोकने के लिए लगातार कार्रवाई कर रही है। हर माह बैठक में इसका रिव्यू किया जाता है। इसे लेकर विभाग गंभीरता से काम कर रहा है। जांच में तेजी लाएंगे।
-बसंत कौशिक, सहायक औषधि नियंत्रक

ग्वालियर से हिमाचल की बंद फैक्ट्री फिर रायपुर तक पहुंचती है दवा

ग्वालियर के नार्कोटिक्स हेड ऑफिस से लेकर हिमाचल की फैक्ट्रियों और रायपुर के दवा कारोबारियों तक पूरी एक चेन बनी हुई है। इसमें डेड लाइसेंस वाले मेडिकल स्टोर से फर्जी ऑर्डर निकाला जाता है और डेड लाइसेंस से ही दवाइयां बनाने वाली फैक्ट्रियों को ग्वालियर से रॉ मटेरियल (कोडिन फास्फेट) दिया जाता है।

डेड लाइसेंस के जरिए ही दवाइयों को बनाने वाली फैक्ट्रियां फर्जी जॉब वर्क तैयार करती हैं। इसी से इन दवाइयों को बनाने का बहाना बनाकर ग्वालियर से कोडिन फास्फेट ली जाती है। मिलीभगत के बाद ही यह हेड ऑफिस से मिलता है। 20 किलो का एक ड्रम होता है। एक ड्रम से 22 हजार बोतल सीरप और करीब 1 लाख गोलियां तैयार होती हैं।

यह मटेरियल बंद पड़ी फैक्ट्रियों तक पहुंचाया जाता है। यहां से कारोबारी डेड लाइसेंस वाले और बंद पड़े मेडिकल स्टोर के नाम से बिल्टी बनाकर दवाइयां मंगाते हैं। ओडिशा व बालाघाट के रास्ते ज्यादा सप्लाई होती है।

यहां बिक रहीं

लाखेनगर, लोधीपारा चौक, आजाद चौक के पास, यूनिवर्सिटी गेट के पास, बैरन बाजार के पास जितने भी स्कूल हैं, वहां खेल चल रहा। कोई स्कूल ऐसा नहीं है, जिसके आसपास ये दवाइयां नहीं बिक रहीं।

खिलवाड़: बच्चों के दिमाग पर असर

नाइट्रोटेन, स्पास्मो और अल्प्राजोलम जैसी दवाएं बड़ों के लिए घातक होती हैं, तो बच्चों के लिए ये तो जानलेवा है ही। लगातार खाने से ब्रेन डेड जैसी स्थिति बन जाती है। एनर्जी ड्रिंक में इसका सेवन होता है, तो मौत तक हो सकती है। शहर में बड़ी मात्रा में इसकी बिक्री हो रही है। बिक्री करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।

  • डॉ. राकेश गुप्ता, अध्यक्ष, हॉस्पिटल बोर्ड

खास फोकस: एसएसपी को निर्देश

नशे का कारोबार रोकने की कोशिश कर रहे हैं। स्कूलों तक नशीला पदार्थ न पहंुचे, इसके लिए एसएसपी रायपुर को निर्देशित किया है। बच्चों को नशे से दूर करने स्कूलों में अवेयरनेस प्रोग्राम भी चलाएंगे। रायपुर में नशे का कारोबार बढ़ गया है, जिसकी वजह से इस दिशा पर खास फोकस किया जा रहा है। नशीली दवा का अवैध कारोबार करने वाले मेडिकल स्टोर संचालकों पर भी कार्रवाई होगी।

अजय यादव, आईजी, रायपुर