भू माफियों के हौसले बुलंद सरकारी जमीन पर भी चला दी जेसीबी ,कब्रिस्तान की जमीन पर कॉलोनी खड़ा करने बिल्डर ने सबको दिखाई आंख,अफसरों की कार्रवाई को भी दे रहे खुली चुनौती
आशीष यादव की रिपोर्ट
रायगढ़। वार्ड न. 48 गोवर्धनपुर में दो समाजों के कब्रिस्तान में प्लॉट काटने के लिए बिल्डर ने जेसीबी चलवा दी। जांच हुई तो पता चला कि दोनों समाजों के कब्रिस्तान का आधा एकड़ हिस्सा जेसीबी से समतल किया जा चुका है। इसमें करीब 30 डिसमिल जमीन शासकीय भूमि भी है। रेरा की पंजीकृत कॉलोनी सूची में यह कॉलोनी है ही नहीं।
शहर में वर्तमान में बिल्डरों और भूमािफयाओं का राज है। न तो शहर सरकार का नियंत्रण है और न ही राजस्व विभाग का कोई भी कहीं भी कॉलोनी काट सकता है। इसके लिए अनुमति हो या न हो जेब में धन और सिर पर किसी नेता का आशीर्वाद होना चाहिए। गोवर्धनपुर में भी बिल्डर अनिल केडिया और उसके सहपाठीयों ने कॉलोनी काटने के लिए सरकारी जमीन पर भी जेसीबी चलवा दी। हंगामा तब हो गया, जब दो समाजों के कब्रिस्तान भी जेसीबी के पहियों के नीचे कुचल दिए गए। दोनों समाजों के कई पूर्वज इस जमीन पर दफन थे, जिनके निशान तक मिटे नहीं.
तहसीलदार ने जब नापजोख की तो पता चला कि कब्रिस्तान का कुछ हिस्सा निजी भूमि पर भी था, जिसके मालिक बिल्डर अनिल केडिया नहीं कोई और हैं। निजी भूमि खनं 12/2 कुल रकबा 0.607 हे. में से 0.112 हे. में और खनं 9/3 कुल रकबा 1.822 हे. में से 0.007 हे. भी श्मशान भूमि के रूप में उपयोग की जा रही थी। इसको भी समतल कर दिया गया।
सरकारी जमीन खनं 9/1 कुल रकबा 2.007 हे. में से 0.106 हे. को भी श्मशान व कब्रिस्तान के रूप में उपयोग किया जा रहा था। इसको भी बिल्डर ने प्लॉटिंग के लिए समतल किया है। हैरत की बात यह है कि न तो निजी भूमि बिल्डर के नाम पर है और न ही कॉलोनी का कोई पंजीयन है। रेरा की सूची में गोवर्धनपुर के किसी कॉलोनी का नाम तक नहीं है।
कृषि भूमि है, डायवर्सन भी नहीं
निजी भूमि खसरा नंबर 12/2 और 9/3 के मालिक कोई बिल्डर नहीं है। राजस्व रिकॉर्ड में अभी भी यह भूमि द्वारिका प्रसाद, गंगाप्रसाद, पार्वती, लक्ष्मीदेवी, चंद्रिकाप्रसाद, सरोज, लव कुमार के नाम पर है। यह कृषि भूमि के रूप में दर्ज है, इसका डायवर्सन भी नहीं हुआ है। ऐश्वर्यम अपार्टमेंट के ठीक बगल में यह कॉलोनी काटी जा रही है। यहां निर्माण सामग्री भी गिराने का काम जारी है।
बिना पंजीयन नहीं काट सकते कॉलोनी
जमीन अगर किसी से खरीदी गई है तो नामांतरण नहीं हुआ है। आवासीय प्रोजेक्ट के लिए भूमि का डायवर्सन होना चाहिए जो नहीं हुआ है। कॉलोनी काटने के लिए मनमाने तरीके से नियम विरुद्ध काम किया जा रहा था। रेरा में बिना पंजीयन के कोई भी कॉलोनी नहीं बनाई जा सकती। हाउसिंग बोर्ड को भी रेरा में पंजीयन कराना अनिवार्य है लेकिन शहर के बिल्डर सारे नियमों को अपने पैरों तले रौंद रहे हैं।
क्या कहते हैं गगन शर्मा एसडीएम =तहसीलदार को जांच के लिए कहा था। रिपोर्ट सौंपी जाएगी तब मामला साफ हो जाएगा। लोगों की शिकायत पर कार्रवाई की जा रही है