कैसे – कैसे संपादक : “वर्तमान भारत ” के पोर्टल पर प्रकाशित समाचार को एक साप्ताहिक समाचार पत्र ने अक्षरशः छापा…..धन्य हैं ऐसे संपादक

अंबिकापुर । वर्तमान भारत ।

इन दिनों पत्रकारों की बाढ़ सी आई हुई है। समाचार पत्र और सेटेलाइट चैनल के अलावा पोर्टल ,यूट्यूब , फेसबुक , व्हाट्सएप और न जाने अन्य किन – किन साधनों का उपयोग लोग स्वयं को पत्रकार घोषित करने के लिए कर रहे हैं। यह कल के जागृत भारत का एक शुभ संकेत हो सकता है।मगर , आज की पत्रकारिता जिस स्तर की हो रही है वह चिंता का विषय है।

मीडिया यानि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ! यानि चार स्तंभों में एक स्तंभ मीडिया भी हार जिस पर लोकतंत्र टिका हुआ है। इसमे कोई संदेह नही है कि आज अगर भारत में मीडिया न होती तो देश की बहुत ज्यादा दुर्दशा हो जाती ।वह मीडिया ही जिसने लोगों को जागरूक किया है और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का काम किया है।यह लोकतंत्र को बचाने में सतत प्रयारत है। लेकिन जरा सोचिए यदि कोई संपादक ही नकलची हो जाए तो वह पत्रकारिता की गरिमा की रक्षा कब तक कर पायेगा ?

पत्रकारिता एक सम्मानजनक काम है।यह पढ़े – लिखे और चिंतनशील लोगो का काम है।मगर आज के दौर में ऐसे प्रवृत्ति के पत्रकारों को ढूंढ निकालना थोड़ा मुश्किल काम है।जिस बाढ़ का मैने ऊपर उल्लेख किया है उस बाढ़ में योग्य और चिंतनशील पत्रकार शामिल नहीं है। ये बाढ़ तो उनकी है जो पत्रकारिता के मर्म को समझते ही नही हैं।

आजकल पत्रकारिता में एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है – संपादक बनने का ट्रेंड । जो पत्रकार आज बाढ़ या भीड़ की शक्ल में आपको नजर आ रहे हैं उनमें से अधिकांश संपादक ही है और इनमे इनमे से अधिकांश को ये भी पता नही है कि पत्रकारिता में संपादक की क्या भूमिका होती है। इनमे से अधिकांश को समाचार लिखना तो दूर नकल मारने की भी अक्ल नहीं है।पोर्टल का जमाना है । किसी भी समाचार पोर्टल से जस का तस कॉपी करके अपने पोर्टल या अखबार में परोस देते हैं। इसका एक ताजा उदाहरण यहां प्रस्तुत कर रहा हूं । ” वर्तमान भारत ” समाचार समूह को एक व्यक्ति ने कुछ जानकारियां और वीडियो उपलब्ध कराया था, जिसके आधार पर समाचार बनाकर ” वर्तमान भारत ” के पोर्टल पर दिनांक 23. 01. 2023 को ” निलंबन बना वरदान:निलंबित शिक्षक खुलेआम अवैध क्लिनिक और मेडिकल स्टोर के संचालन से कमा रहा है लाखों….झूठी जानकारी दे गुजार भत्ता का भी ले रहा है लाभ ……….मरीजों को भर्ती करने की भी सुविधा है इसके यहां ….. स्वास्थ्य विभाग बना ” गंधारी” …… बचाव में पाल रखा है गुंडे .. रिपोर्टिंग के लिए पहुंचे पत्रकारों पर हमले की कोशिश… ” शीर्षक से प्रकाशित किया गया था। देखने के नीचे के लिंक को क्लिक करें –

https://vartmanbharat.com/?p=25864

बाद में इसी समाचार को बगैर किसी परिवर्तन के ” छत्तीसगढ़ का पहरेदार ” नामक साप्ताहिक समाचार पत्र के वर्ष 7अंक 25 ( दिनांक 2 फरवरी – 8 फरवरी ) के पृष्ठ 5 पर अक्षरशः छाप दिया गया ।

इसी अंक में छात्रावास को जो समाचार प्रकाशित किया गया है वह समाचार भी” वर्तमान भारत ” के पोर्टल का ही है। पत्रकारिता एक चुनौती और जिम्मेदारीपूर्ण काम है। मगर यदि इस प्रकार चोरी करने वाले और विवेकहीन संपादक होंगे , तो वे इसे किस दिशा में ले जायेंगे सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है।संपादक महोदय कम से कम कुछ शब्दों को बदल दिए होते! आपने तो हेडिंग तक नहीं बदला। धन्य है आप जैसे संपादक !