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जिला प्रशासन के नाक के नीचे वैध कब्जा … प्रशासन बेखबर या मौन स्वीकृति…?

बैकुंठपुर। वर्तमान भारत ।

आदर्श सिंह की विशेष रिपोर्ट

बैकुंठपुर में ‘ जिसकी लाठी उसकी भैंस ‘ वाली कहावत चरितार्थ होती नजर आ रही है और कुख्यात भू माफिया बनने का मार्ग प्रशस्त हो रहा है। बैकुंठपुर में ऊंची पहुंच और दबंग होने की धौंस दिखा कर एक व्यक्ति खुलेआम सरकारी जमीन पर कब्जा कर अवैध निर्माण कर रहा है और जिला प्रशासन मूक दर्शक बना हुआ है। विदित हो कि ओड़गी नाका पेट्रोल पंप के बगल में सरकार जमीन पड़ी हुई है।यही पर गर्ल्स हॉस्टल भी बना हुआ हैं और यहां से चंद कदमों पर हलका पटवारी का कार्यालय भी स्थित है।जिले के प्रशासनिक अधिकारियों का भी यहां से आना – जाना होता रहता है। इसके बावजूद गर्ल्स हॉस्टल के ठीक सामने स्थित सरकारी जमीन पर कब्जाकर एक व्यक्ति द्वारा मकान और दुकान धड़ल्ले से बनाया जा रहा है।जिस तरीके से बेखौफ होकर उस व्यक्ति द्वारा अवैध निर्माण किया जा रहा है उससे ऐसा प्रतीत होता है जैसे संबंधित अधिकारियों की उस पर कृपा दृष्टि बनी हुई है अन्यथा ऐसा दुःसाहस वह नही करता। खासतौर , पर हलका पटवारी की संलिप्तता को नकारा नहीं जा सकता। अवैध कब्जा करने वाला व्यक्ति चाहे जितना भी दबंग क्यों न हो प्रशासन से ऊपर नहीं हो सकता और यदि वह खुद को प्रशासन से ऊपर समझता है तो या तो उसने संबंधित अधिकारियों को चांदी के जूते मार रखा है अथवा प्रशासन की बागडोर निहायत कमजोर और अयोग्य व्यक्तियों के हाथों में है और यह दोनो ही स्थिति राष्ट्र और समाज के लिए अहितकर है। यदि भू माफिया रूपी इस चिंगारी को अभी नही बुझाया गया तो आने वाले समय में वह एक विकराल रूप धारण कर प्रशासन के लिए चुनौती बन सकता है।

जिला प्रशासन ध्यान दे

जिस सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा किया जा रहा है वह बेशकीमती जमीन है। कब्जाधारी द्वारा जहां मकान और दुकान बनाया जा रहा है उसके ठीक पीछे गर्ल्स हॉस्टल है। कब्जधारी व्यक्ति असामाजिक प्रवृति का है जिसके कारण आगे चलकर वहां अन्य असामाजिक तत्वों का जमावडा लग सकता है और क्षेत्र का माहौल बिगड़ सकता है। इसके पूर्व असामाजिक तत्वों द्वारा गर्ल्स हॉस्टल में अशांति फैलाने की दो बार कोशिश भी की जा चुकी है। किसी असामाजिक व्यक्ति का अवैध निर्माण असामाजिक तत्वों का अड्डा बन सकता है। इसके पूर्व कि कोई अप्रिय घटना हो जिला प्रशासन को तत्काल उक्त अवैध निर्माण को हटाए जाने की कार्यवाही की जानी चाहिए। हलका पटवारी चंद सिक्कों के लालच में “गांधारी” न बने और तत्काल कार्यवाही करना सुनिश्चित करें और यदि वे स्वयं कार्यवाही करने में सक्षम नहीं है तो उच्च अधिकारियों को सूचित करें जिससे प्रशासन के प्रति लोगों का विश्वास और सुदृढ़ हो और खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें , न्याय व्यवस्था कायम रह सके।