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शहर की प्यास बुझाने के लिए 11 करोड़ से बनी नल जल योजना नाकाम…अविभाजित एमपी के शासनकाल में बनाए गए इंटकवेल के भरोसे बुझ रही प्यास…पढ़ें पूरी खबर

गजाधर पैकरा की रिपोर्ट

जशपुर (छत्तीसगढ़) वर्तमान भारत। शहर की प्यास बुझाने के लिए 11 करोड़ की लागत से बनाई गई नल जल योजना, पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है। शहर की प्यास अब भी अविभाजित मध्यप्रदेश के शासन काल में निर्माण कराएं गए इंटकवेल के भरोसे बुझ रही है।

पूरी तरह से जर्जर हो चुके इस इंटकवेल की चार दिन तक चली सफाई कार्य के दौरान शहर में पानी के लिए हाहाकार मच गया था। मामले में आश्चर्य की बात तो यह है कि नगरपालिका सहित जिम्मेदार विभाग के अधिकारी अब भी यह बताने की स्थिति में नहीं है कि आखिर नया इंटकवेल कब तक शुरू हो पाएगा।

दरअसल, शहर के समीप मनोरा विकासखंड के ग्राम डूमरटोली में लावा नदी में नल जल योजना के तहत 11 करोड़ की लागत से एनीकट और इंटकवेल का निर्माण कराया गया था। इसके निर्माण के लिए तैयार किए गए प्रस्ताव में दावा किया गया था कि वर्ष 2025 तक यह इंटकवेल शहरवासियों की पानी की जरूरत को पूरा करता रहेगा। इंटकवेल से शहर के घरों तक पानी लाने के लिए लगभग 10 किलोमीटर पाइप लाइन बिछाया गया था।

बता दें, कि अधुनिकतम तकनीक से लैस इंटकवेल के निर्माण में ही लगभग डेढ़ करोड़ रूपए खर्च किया गया था। निर्माण कार्य पूरा होने के बाद जैसे ही इंटकवेल से पानी की आपूर्ति शुरू हुई, इसने जवाब देना शुरू कर दिया। इंटकवेल के पंप हाउस ने सबसे पहले जवाब दिया। तकनीकी जानकारों के अनुसार लावा नदी से पानी के साथ आने वाले बालू ने इस इंटकवेल के पंप हाउस को नकारा कर दिया। यहां पंप का जाम होना और इसका जल जाना आम बात हो गई। लगातार आ रही इन तकनीकी परेशानियों से तंग आकर नगर पालिका ने नए इंटकवेल में ताला लटका दिया और पुराने इंटकवेल से पानी की आपूर्ति की जा रही है। पुराने इंटकवेल का निर्माण अविभाजित मध्यप्रदेश के शासन काल में किया गया था। इस इंटकवेल का उद्घाटन तात्कालिन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने किया था।

दरअसल,अनुमान लगाया जा सकता है कि 80 के दशक और अब के समय के जनसंख्या और पानी की मांग में कितना अंतर होगा। बहरहाल,शहर में इस बूढ़े हो चुके इंटकवेल के भरोसे ही पानी की आपूर्ति की जिम्मेदारी नगर सरकार उठा रही है। पालिका के रिकार्ड के अनुसार शहर में 2800 से अधिक नल कलेक्शन है। इन नल कनेक्शनों में पानी आपूर्ति के लिए शहर में ओवरहेड पानी टंकी का निर्माण कराया गया है। इसके साथ ही पालिका,बोर के माध्यम से भी शहरवासियों की प्यास बुझाने की व्यवस्था कर रखी है। इन सारे तामझाम के बावजूद,शहर में आए दिन जल संकट की स्थिति बन रही है।

पीएचई और नगरपालिका के बीच चली थी लंबी खींचातानी

इंटकवेल के हैंडओवर को लेकर पीएचई और नगरपालिका के बीच लंबी खींचतान चली थी। इस नवनिर्मित इंटकवेल में आ रही तकनीकी खराबी को देखते हुए पालिका ने पीएचई के हैंड ओवर के प्रस्ताव को लेकर लंबे समय तक अटका कर रखा था। इंटकवेल की तरह ही लावा नदी में निर्मित एनकट की स्थिति भी हुई थी।जलसंसाधन विभाग द्वारा निर्मित एनीकट का एक बड़ा हिस्सा बरसात में बह गया था। इससे मचे बवाल के बाद,प्रशासन ने इसकी जांच के लिए टीम का गठन भी किया था। लेकिन इसकी रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक नहीं हो पाई है।