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जशपुर में मानव और हाथियों के बीच द्वंद्व युद्ध जारी…तपकरा के बलुवाटोली में हाथी देखने को उमड़ी भीड़…बीते 3 साल में 48 लोगों की हो चुकी है मौत..पढ़ें पूरी खबर



तुमला/जशपुर :- छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में हाथी और मानव द्वंद्व की स्थिति गंभीर होती जा रही है। हाथियों के बढ़ते हुए हलचल से हो रहे जन और संपत्ति हानि से विचलित होते ग्रामीण हाथियों को खदेड़ने के लिए गुलेल का प्रयोग कर रहें हैं।

इससे हाथियों के और अधिक आक्रामक होने की आशंका बनी हुई है। ऐसे ही एक घटना का वीडियों इंटरनेट मिडिया में जमकर प्रसारित हो रहा है। बताया जा रहा है कि यह वीडियो जिले के घोर हाथी प्रभावित तपकरा रेंज के बलुआटोली के जंगल की बताई जा रही है।

जानकारी के मुताबिक गुरूवार को तीन हाथियों का एक दल जिले के पत्थलगांव रेंज के मयुरनाचा की ओर से होते हुए बलुआटोली के छोटा झाड़ के जंगल में पहुंच गया। इस जंगल में किसानों के खेत मौजूद है। आसपास पालतू मवेशी भी चर रहे थे। हाथियों के हमले की आशंका को देखते हुए बड़ी संख्या में ग्रामीण जुट गए और हल्ला मचा कर हाथियों को खदेड़ने का प्रयास करने लगे। वीडियो में देखा जा सकता है कि शोरगुल करते हुए ग्रामीण हाथियों के पीछे दौड रहें हैं और उन पर गुलेल से गोटी मार रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक, आतंकित हो कर हाथी,स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए जंगल की ओर दौड़ रहें है। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि हाथी को देखने और खदेड़ने के लिए बलुआटोली के जंगल में बड़ी संख्या में ग्रामीणों के जुटने से आक्रामक हाथियों के हमले की आशंका बन गई थी। मौके पर मौजूद वनकर्मी लगातार ग्रामीणों को हाथियों से छेड़खानी ना करने और उन्हें अकेले छोड़ देने की समझाइश दे रहे थे।

लेकिन ग्रामीण उनकी एक नहीं सुन रहे थे। स्थिति को बिगड़ता हुआ देखकर वनकर्मियों ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस प्रशासन को सूचना दी। सूचना पर फरसाबहार थाना से पुलिस की टीम पहुंची और ग्रामीणों की भीड़ को हटाया। तपकरा के रेंजर राज बहादुर राय ने बताया कि हाथियों की हचलच पर लगातार नजर रखी जा रही है। उन्होनें बताया कि हाथियों का दल शाम 4 बजे कांसाबेल रेंज के तिलंगा की ओर चला गया था और लेकिन कुछ देर बाद बलुआटोली वापस आ गया।

तीन साल में 48 जिलेवासियों की हो चुकी है मौत

बता दें कि, प्रदेश के घोर हाथी प्रभावित जिलों में शामिल जशपुर में हाथियों के हमले में बीते 3 साल के दौरान 48 जिलेवासियों ने अपना जीवन असमय गवांया है। इन पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता देने के लिए प्रदेश सरकार ने तीन सालों में 2 करोड़ 58 लाख रूपये का मुआवजा बांटा है। विधानसभा के बजट सत्र में जशपुर की विधायक रायमुनि भगत ने अतारांकित प्रश्न के माध्यम से जिले में लगातार गहराते हुए हाथी समस्या की ओर प्रदेश सरकार का ध्यान आकृष्ट किया है। विधायकों के सवाल का जवाब देते हुए,वन मंत्री केदार कश्यप ने सदन को बताया कि वित्त वर्ष 2020-21 से 14 फरवरी 2024 तक जशपुर जिले में हाथियों के हमले में 40 लोगों की जानें गई है। इसमें सबसे अधिक 10 ग्रामीणों की मृत्यु कुनकुरी अैर 8 मौत फरसाबहार ब्लाक में हुई है। उल्लेखनिय है कि ओडिशा और झारखंड की अंतरराज्यीय सीमा में स्थित जशपुर जिले में हाथी समस्या सालों से बनी हुई है।

बढ़ रहा है हाथी प्रभावित क्षेत्र का दायरा

दरअसल, वन विभाग के मुताबिक जिले में 499 गांव हाथियों के उत्पात से प्रभावित हैं। हाथियों के उत्पात का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। गजराजों का दल अब ग्रामीण क्षेत्रों से बाहर निकल कर जिले के छोटे कस्बाई क्षेत्रों की ओर रूख करने लगा है। माना जाता है कि बिजली की रोशनी वाले क्षेत्रों में हाथियों की घुसपैठ नहीं होती। लेकिन जिले में भ्रमण कर रहे हाथियों के दल इस मिथक को तोड़ते नजर आ रहे हैं। हाथियों का दल तपकरा, बगीचा, कुनकुरी, दुलदुला जैसे नगरी क्षेत्रों में दस्तक दे चुके है। हाथियों के हमलों का सामना कर रहे ग्रामीणों के मुताबिक हाथी धीरे-धीरे बिजली की रोशनी के अभ्यस्त होने लगे हैं। हाथियों के दल अब घरो व गलियों को रोशन करने वाले बिजली के साथ वाहन व हाई बीम टार्च की रोशनी का प्रभाव पहले के मुकाबले कम होता जा रहा है। प्रभावितों को आशंका है कि हाथियों पर काबू करने के लिए जल्द ही ठोस कार्रवाई ना करने पर हाथियों का दल नगर में घुस कर तबाही मचाने लगेगा।

तपकरा रेंज में 18 हाथियों ने जमाया डेरा

फिलहाल, तपकरा वन परिक्षेत्र में इस समय 18 हाथियों ने डेरा जमाया हुआ है। वन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार तपकरा में 1,समडमा में 1 और कोनपारा में 14 हाथियों का बड़ा दल जमा हुआ है। हाथियों के इन सभी दलों की निगरानी और प्रभावित क्षेत्र ग्रामीणों तक सूचना पहुंचाने के लिए वन विभाग के कर्मचारियों के साथ हाथी मित्र दल सक्रिय है।

जिले में हाथियों से हुई जनहानि व वितरित मुआवजा

वर्ष- जनहानि -मुआवजा

▪️2018-19 09 32 लाख 25000
▪️2019-2020 20 1 करोड़ 12 लाख
▪️2020-21 17 1 करोड़ 56 लाख
▪️2021-22 11 66 लाख
▪️2022-23 17 1 करोड़ 2 लाख
▪️2023-24 15 90 लाख

‘हाथियों के हलचल पर नजर रखी जा रही है। ग्रामीणों को सूचना देकर हाथियों के नजदीक ना जाने और उनसे छेड़छाड़ ना करने की समझाइश दी जा रही है’- राज बहादुर राय,रेंजर,तपकरा