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जशपुर कलेक्टर तारीफ़े काबिल.! हुए मददगार साबित…ब्रेन ट्यूमर बीमारी से जूझ रही थी मासूम…उनकी संवेदनशीलता ने बचाई जान…पढ़ें पूरी खबर



जशपुर :- छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के कलेक्टर डॉ. रवी मित्तल की जितनी भी तारीफ करें उतनी ही कम होगी। व्यक्ति का दूसरों के प्रति नि:स्वार्थ सेवा का भाव रखना और संवेदनशीलत ही मानव जीवन में कामयाबी का मूलमंत्र है. इस बात को चरित्रार्थ कर रहे है जिला कलेक्टर डॉक्टर रवि मित्तल.

फिलहाल, जिनकी संवेदनशीलता और सेवा भाव की वजह से ब्रेन ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रही मासूम पहाड़ी कोरवा बच्ची का सफल ऑपरेशन हुआ और अब उसे एक नई जिंदगी मिल गई है.

जानकारी के मुताबिक, जिस मासूम ने ब्रेन ट्यूमर को मात दी है उसका नाम कुमारी सुफिला बाई, पिता दिलकुमार है जो कि ग्राम गासेबन की रहने वाली है. सुफिला जिले के बगीचा में संचालित एक मात्र विशेष पिछड़ी जनजाति आवासीय विद्यालय रूपसेरा में पढ़ाई करती है. कुछ महीनों पहले उसकी अचानक तबियत बिगड़ गई थी. इस बात की खबर लगने के बाद विद्यालय के अधीक्षक विश्वनाथ प्रधान ने पहले स्थानीय अस्पताल में सुफिला का इलाज करवाया, लेकिन इस दौरान उसके स्वास्थ्य में कोई भी सुधार नहीं आया. लगातार तीन महीनों तक उसे रुक-रुककर बुखार आता रहा, इस बात से चिंतिति विश्वनाथ बच्ची को बेहतर इलाज के लिए अंबिकापुर जिला चिकित्सालय ले गए. जहां उन्हें बच्ची के ब्रेन ट्यूमर के बारे में पता चला.

कलेक्टर डॉक्टर रवि मित्तल ने बढ़ाया मदद का हाथ

दरअसल, विद्यालय के अधीक्षक विश्वनाथ मासूम के परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिती के बारे में जानते थे, जिसके बाद उन्होंने बच्ची के इलाज में मदद के लिए जशपुर कलेक्टर डॉक्टर रवि मित्तल से मिलकर उन्हें बच्ची की स्थिती के बारे में अवगत करवाया. डॉक्टर होने के नाते कलेक्टर रवि मित्तल ने क्रिटीकल कंडीशन को समझकर बच्ची को तत्काल एम्बुलेंस की मदद से अम्बिकापुर से रायपुर स्थित दाऊ कल्याण सिंह सुपर स्पेश्यलिटी अस्पताल भेजवाकर इलाज की व्यवस्था की. कलेक्टर रवि मित्तल की संवेदनशीलता और निःस्वार्थ सेवा की भावना और विद्यालय के अधीक्षक विश्वनाथ प्रधान की संजीदगी का ही परिणाम है कि मासूम बच्ची के ब्रेन ट्यूमर का सफल ऑपरेशन हुआ और वह अब स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रही है.

परिजनों ने कलेक्टर और विद्यालय अधीक्षक का जताया आभार

बता दें कि, ब्रेन ट्यूमर जैसी घातक बीमारी के सफल ऑपरेशन के बाद पहाड़ी कोरवा बच्ची के परिजनों ने उसके उपचार में मदद करने के लिए कलेक्टर डॉ रवि मित्तल और विद्यालय अधीक्षक का आभार जताया है.

गरीब देशों में बच्चों में कैंसर बड़ी समस्या

गौरतलब है कि जानलेवा बीमारी कैंसर के साथ इसका इलाज भी तकलीफदेह होता है. गरीब देशों में हर 15 में से एक बच्चे की मौत कैंसर का सही इलाज नहीं मिलने के कारण हो जाती है. इसका खुलासा लैंसेट ऑन्कोलॉजी जर्नल में पब्लिश एक रिसर्च में हुआ. रिसर्च में कहा गया कि गरीब देशों में कैंसर पीड़ित 0-21 साल तक के 45% बच्चे सही ट्रीटमेंट न मिलने से या ट्रीटमेंट में कॉम्प्लिकेशन आने से मर जाते हैं. ये आंकड़ा विकसित देशों में 3-5 प्रतिशत है.

गरीब देशों में रहते है कैंसर से पीड़ित 90% बच्चे

इस रिपोर्ट के मुताबिक, कैंसर से पीड़ित 90% बच्चे गरीब देशों में रहते हैं। यहां उनके जीवित रहने की संभावना 20 प्रतिशत से भी कम होती है. गरीब देशों में सही इलाज न मिलने और ट्रीटमेंट में कॉम्प्लिकेशन आने के कई कारण हैं. जैसे- ट्रीटमेंट का महंगा होना. इलाज में लाखों रुपए खर्च होते हैं. लोग इसे अफोर्ड नहीं कर पाते. भारत में इलाज का खर्च 5 लाख से 27 लाख पहुंच जाता है. वहीं, साउथ अफ्रीका जैसे देशों में ये खर्च 51 लाख तक पहुंच जाता है.

कुपोषण भी कैंसर का एक कारण

फिलहाल, गरीब देशों में कुपोषण को रेट काफी ज्यादा है. बच्चों को पर्याप्त भोजन नहीं मिल पाता जिससे उनका इम्यून सिस्टम कमजोर रह जाता है. इस कारण शरीर कैंसर के लड़ नहीं पाता. UN की रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में 5 साल से कम उम्र वाले 4.5 करोड़ बच्चे कुपोषण का शिकार हैं.