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जाते- जाते दरवाजे पर रसूखदारों की भीड़जोड़ गया ,विश्वबंधु को कवियों ने दी काव्यांजलि, भिगोया सबका मन…

वर्तमान भारत/ जशपुर

जशपुरनगर. राष्ट्रीय कवि संगम, जशपुर इकाई के द्वारा ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें ज़िले के तमाम साहित्यकारों की उपस्थिति के अलावा राज्य भर के साहित्यकारों की गरिमामयी उपस्थिति बनी रही। रायपुर से जुड़े वरिष्ठ कवि डॉ. सतीश देशपाण्डे की अध्यक्षता में कार्यक्रम संपन्न हुआ। जशपुर राष्ट्रीय कवि संगम के अध्यक्ष मनव्वर अशरफ़ी ने संचालन का बागडोर संभाला। कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई, जिसे अंबिकापुर से जुड़े वरिष्ठ कवि रंजित सारथी ने आवाज़ दिया। गौरतलब है कि इस काव्य गोष्ठी का मकसद दिवंगत विश्वबंधु शर्मा की याद में एक साहित्यिक श्रद्धांजलि अर्पित करना था। सभी साहित्यकारों ने स्व.शर्मा की विशेष स्मृति में अपनी-अपनी भावपूर्ण बातें रखीं। वरिष्ठ गज़लकार अनिल सिंह ‘अनल’ ने भावुक होकर कहा कि विश्वबंधु मेरे दिल के बेहद करीब थे। हमलोग साथ में ही अपनी साहित्यिक सफ़र का आगाज़ किए थे। उनका इस तरह से अचानक चले जाना मेरे लिए बेहद दुखद व सद्मापूर्ण घटना है। इनके पश्चात वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मिथलेश पाठक ने दिवंगत के प्रति अपनी भावनाओं को प्रकट किया। तत्पश्चात हास्य कवि राजेश जैन ने अपनी बातें रखते हुए विश्वबंधु की आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की तथा उन्हें अपना दुःख-सुख का साथी व अभिभावक के तौर पर प्रतिस्थापित किया। इसके साथ ही ज़िले की दो वरिष्ठ कवित्रियों श्रीमती शुभा मिश्र और अनीता गुप्ता की नव-प्रकाशित काव्य संग्रह पुस्तकों पर बधाई स्वरूप खास चर्चाएँ भी हुईं। कार्यक्रम के आख़िरी सत्र में सभी कवियों-कवयित्रियों ने अपनी-अपनी प्रतिनिधि रचनाओं से कार्यक्रम की शोभा में चार चाँद लगाया। कार्यक्रम को कामयाब बनाने में जशपुर राष्ट्रीय कवि संगम के ज़िला संयोजक मिलन मलरिहा, कवि सुशील पाठक, कवि राजेंद्र प्रेमी, युवा कवयित्री शैली मिश्रा, कवि सिद्धि कांत मिश्र, कवि मुकेश चौहान, जयराम नागवंशी इत्यादि लोगों का विशेष योगदान रहा।
सुशील पाठक ने विश्वबंधु शर्मा जी की जीवनी पर प्रकाश डाला एवं उन्ही की रचना से श्रद्धांजलि अर्पित किया, “नजर में अश्क हाथों में छलकता जाम होता है, मोहब्बत करने वालो का यही अंजाम होता है।” सुशील पाठक ने सम्वेदना का जिक्र करते हुए भावुक होकर कहा कि मैं सम्वेदना का संस्थापक सदस्य होने के नाते उसे आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हूँ, आप सब का सहयोग अपेक्षित है, हम सब स्वर्गीय श्री शर्मा जी के समस्त कार्यों को मजबूती से आगे बढ़ाएं यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। कवि राजेश जैन ने ये पंक्तियाँ पढ़ीं “बडा हरदिल आजीज रहा वो सख्स
जाते जाते दरवाजे पर , रसूख दारो भीड़ जोड़ गया/
ऐसा क्या , बहाना था जो
फूल सी बेटी को बिलखता छोड़ गया/ जिसने हजारों को अपना, निवाला खिलाया
जिसने कई बिछड़ो को, अपनो से मिलाया
हर रोज हर पल ,दूसरो के लिए जिया जो शख्स
आज अपनो से रिश्ता तोड़ गया/ जाते जाते दरवाजे पर ,
रसूख दारों की भीड़ जोड़ गया/ सम्वेदना की अलख जगाकर,
खुद ओझल हो गया
कहीं नजर नही आता, तारा मंडल में खो गया/
आंखे भी बेइंतहा , निहार रही उसकी राह
अनिकेत शिव नाम से ,नाता जोड़ गया/
जाते जाते दरवाजे पर ,
रसूख दारो भीड़ जोड़ गया/