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कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी में हिंडाल्को पूर्ण रूप से फेल ……. आदित्य सौर नल – जल योजना मात्र एक दिखावा नहीं मिल रहा ग्रामीणों को लाभ

कुसमी से अमित सिंह की रिपोर्ट

हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड खान प्रभाग सामरी में कारपोरेट सामाजिक दायित्व जिसे हम सीएसआर कहते हैं इसके तहत जन कल्याणकारी कार्य करने में हिंडालको पूर्ण रूप से फेल है। इसका जीता जागता उदाहरण ग्राम पंचायत सामरी के आश्रित ग्राम कुटकु में देखा जा सकता है। पिछले 3 दिनों से हमारी टीम हिंडालको कंपनी के द्वारा उत्खनन कराए जा रहे हैं खदानों को एवं उसके आसपास के गांव के दौरे पर हैं जहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव तो है ही साथ ही साथ पेयजल की बहुत ही विकट समस्या से भी आम आदिवासी परिवार जूझ रहा है। हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा वर्ष 2016 में आदित्य सौर नल जल योजना के तहत ग्राम कुटकु के सबाग मुख्य मार्ग में बोर खनन के साथ-साथ सोलर प्लेट के माध्यम से पानी की व्यवस्था की थी जो कि वर्ष 2020 में अज्ञात कारणों से खराब हो गया था, जो वर्तमान में अभी तक नहीं बन पाया है ग्रामीणों ने कई बार हिंडालको के अधिकारियों से भी चर्चा किया लेकिन परिणाम शून्य मिला वहीं दूसरी ओर सामरी के आश्रित ग्राम कुटकु के बीच पारा में शौचालय स्नानागार के साथ-साथ सोलर प्लेट के माध्यम से पानी की व्यवस्था की गई थी जो विगत 3 वर्षों से खराब है आसपास के लोगों को दूर जाकर पानी लाना पड़ता है जो उनके रोजमर्रा का काम हो चुका है । इस संबंध में सीएसआर प्रमुख विजय मिश्रा बात करना चाहा गया तो काफी मशक्कत करनी पड़ी चाहे खान प्रमुख विजय चौहान हो या सीएसआर प्रमुख विजय मिश्रा इनके द्वारा हमारे टीम के किसी भी व्यक्ति का फोन नहीं उठाया जाता है इसलिए हमारी टीम ने अन्य व्यक्ति के मोबाइल फोन से जब विजय मिश्रा से संपर्क करना चाहा तो उनके द्वारा फोन रिसीव कर समस्याओं के संबंध में यह बताया कि यह मेरी जानकारी में है मैं इसे सुधारने की कोशिश करूंगा , इन सब बातों से यह स्पष्ट होता है कि कंपनी सामाजिक उत्तरदायित्व के प्रति कितना सजग है 3 वर्षों से कंपनी इसे बना ही रही है और वह अभी तक नहीं बन पाया है इन सबके बीच हिंडालको कंपनी वाह वाही लूटने का मौका कभी नहीं छोड़ती है लेकिन जमीनी स्तर की बात करें तो स्थिति कुछ और ही है।
क्या है सीएसआर ?

कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी वास्तव में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ट्रस्टीशिप के सिद्धांत को व्यवहार में उतारने का एक माध्यम है गांधी जी ने परिकल्पना की थी कि उद्योगपति तथा धनवान लोग अपने धन के ट्रस्टी बनकर सामाजिक उत्तरदायित्व के निर्वहन के लिए काम करेंगे वह स्वयं को अपने धन का मालिक नहीं अपितु उसका ट्रस्टी अर्थात रखवाला या चौकीदार मात्र ही समझेंगे करोड़ों रुपए प्रति वर्ष कमाने वाला उद्योगपतियों को सामाजिक जिम्मेदारियों का एहसास होना चाहिए । इन सब परिकल्पना के आधार पर सीएसआर का निर्माण किया गया था।
हिंडालको कंपनी सीएसआर के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी उनके बुनियादी समस्याओं का निराकरण करने में असमर्थ रही है। आज भी बड़े संख्या में आदिवासी वर्ग दूसरे राज्य की ओर पलायन करने को मजबूर हैं नगेसिया एवं बिरजिया जनजाति के आदिवासी पाठ क्षेत्र में अधिकांश निवासरत है जो आज भी गरीबी रेखा से नीचे की श्रेणी का जीवन यापन करने को मजबूर हैं ,इनके उत्थान के लिए ना तो हिंडालको कंपनी कारगर उपाय कर रही है ना तो सरकार। चाहे वह शिक्षा की बात हो या स्वास्थ्य की सामरी और उसके आसपास के उत्खनन क्षेत्र आज भी विकास की धारा से कोसों मीलों दूर है।