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फोर्टिस जिंदल हॉस्पिटल की मनमानी उजागर……..अस्पताल प्रबंधन ने 15 हजार रुपये के लिए महिला की मौत के बाद लाश को बना लिया बंधक ..……सीएचएमओ के निर्देश के बाद सौंपी लाश*

रायगढ़। वर्तमान भारत ।

रितेश सिदार

रायगढ़ /शहर के नामचीन फोर्टिज जिंदल अस्पताल प्रबंधन की एक बार फिर से हिटलरशाही रवैया देखने को मिली है। यूं तो यहां अक्सर आयुष्मान स्मार्ट कार्ड से निःशुल्क इलाज करने से इनकार किया जाता है मगर इस बार प्रबंधन ने हद ही कर दी। इलाज के दौरान एक महिला की मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन ने 15 हजार रुपये बिल के लिए लाश को सौंपने से मना कर दिया । ऐसे में परिजन भागे-भागे सीएचएमओ के निवास पहुंचे और मदद की गुहार लगायी। तब कहीं जाकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी के निर्देश पर परिजनों को शव सौंपा गया। शासन आमजनों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध हो सके, इसके लिए लगातार प्रयास कर रही है। आयुष्मान योजना के तहत स्मार्ट कार्ड भी बनाये जा रहे हैं ताकि मध्यम वर्ग से लेकर गरीबों को चुनिंदा बड़े निजी अस्पतालों में निःशुल्क चिकित्सा का लाभ मिल सके मगर ऐसा नहीं हो पा रहा है।

आज भी कई ऐसे नामचीन व बड़े निजी अस्पताल हैं जो कि शासन की योजनाओं का माखौल उड़ा रहे हैं और आयुष्मान योजना के तहत निःशुल्क इलाज कराने से इनकार कर रहे हैं । शहर के पतरापाली में स्थित फोर्टिज जिंदल अस्पताल भी उन्हीं में शामिल है। आये दिन यहां स्मार्ट कार्ड स्वीकार नहीं किये जाने की शिकायतें मिलते रहती हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से कई बार अस्पताल प्रबंधन को इस संबंध में चेतावनी दी जा चुकी है। इसके बावजूद प्रबंधन के रवैय्ये में कोई सुधार होता नजर नहीं आ रहा है। इसी कड़ी में एक बार फिर से फोर्टिज जिंदल अस्पताल की मनमानी देखने को मिली है। दरअसल , सोमवार की रात घरघोड़ा थाना अंतर्गत ग्राम छोटे गुमला निवासी विमला बाई महंत की तबीयत बिगड़ जाने के बाद परिजन उसे लेकर फोर्टिज जिंदल अस्पताल पहुंचे और इलाज के लिए उसे भर्ती कराया। जहां इलाज के दौरान महिला की मौत हो गई।

परिजनों का आरोप है कि महिला की मौत के बाद परिजनों को रुपए करीब 15 हजार रुपये जमा करने के लिए कहा गया, जब परिजन रुपए जमा नहीं कर पाए तब शव को देने से इनकार करते हुए बंधक बना लिया गया। चूंकि परिजन इतनी बड़ी राशि जमा करने में सक्षम नहीं थे । ऐसे में उन्होंने अस्पताल प्रबंधन से लाश ले जाने के लिए मिन्नतें की मगर उसका कोई असर नहीं हो सका। इस स्थिति में मृतिका के परिजन घनश्याम दास महंत व अन्य सीधे मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी कार्यालय पहुंच गये मगर अवकाश होने के कारण अधिकारी नहीं मिले। ऐसे में पीड़ित परिजन अधिकारी के घर का पता पूछते-पूछते भागे-भागे चक्रधरनगर स्थित सीएचएमओ डॉ. एसएन केशरी के निवास पहुंचे और उनसे मुलाकात कर वस्तुस्थिति की जानकारी दी जिस पर अधिकारी ने अस्पताल प्रबंधन से बातचीत की और उसके बाद शव को बिना पैसा लिए छोड़ा गया

स्मार्ट कार्ड से इलाज होना चाहिये- डॉ. केशरी

डॉ. एसएन केशरी ने बताया कि पैसे को लेकर लाश नहीं देने की शिकायत को लेकर परिजन सुबह आये थे। मैंने अस्पताल प्रबंधन से बातचीत की जिसके बाद लाश उन्हें सौंप दिया गया है। प्रबंधन का कहना है कि परिजनों ने उनकी पूरी बात नहीं सुनी और निकल गये। इसके अलावा पीड़ित परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन द्वारा स्मार्ट कार्ड से इलाज करने की भी शिकायत की। इस पर वे पता कराते हैं कि इलाज करने से क्यों इनकार किया जा रहा है।

अस्पताल प्रबंधन दे रहा अपनी सफाई

इधर, पूरे मामले पर अस्पताल प्रबंधन पल्ला झाड़ता नजर आ रहा है। उनका कहना है कि प्रबंधन ने इस तरह का कोई भी कृत्य नहीं किया है, किसी के शव को भी पैसे के लिए नहीं रोका गया है बल्कि अस्पताल प्रबंधन से बिना चर्चा किए परिजन मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी के शिकायत करने पहुंच गए थे।