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बगीचा : इस स्कूल के शिक्षक बच्चों के भविष्य को धकेल रहे हैं गर्त में……..सप्ताह में सिर्फ एक दिन आते हैं शिक्षक…… बच्चों का शैक्षिक स्तर अत्यंत घटिया…..जवाबदार अधिकारी भी कान में तेल डालकर सो रहे हैं…..आखिर अधिकारी – शिक्षक किस जुर्म की सजा दे रहे हैं इस स्कूल के बच्चों को?

कोमल ग्वाला की रिपोर्ट

जशपुर बगीचा:- जशपुर जिले के विकास खण्ड बगीचा में इन दिनों शिक्षा का स्तर लगातार गिरता नजर आ रहा है । कहीं स्कूलों में लटकता हुआ ताला तो कहीं तो शराब का सेवन कर स्कूल पहुँच कर डोल रहे शिक्षक का दिख जाना बगीचा क्षेत्र के स्कूलों के लिए आम बात है।आज जिस स्कूल के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं वह प्राथमिक शाला सुकमा का है। कहने को तो यहां दो शिक्षक पदस्थ हैं मगर सिर्फ नाम के हैं।शिक्षक मनमाने ढंग से स्कूल आते हैं और अपने कर्तव्य निर्वहन में घोर लापरवाही बरतते हैं। शाला में अध्ययनरत बच्चों और ग्रामीणों की माने तो यहां पदस्थ शिक्षकों में से एक दिनेश नाम के शिक्षक सप्ताह में अधिकतम दो दिन ही स्कूल आतें है और बाकी दिन नदारद रहते हैं।स्कूल आते भी हैं तो पढ़ात नही है । इसका सबसे बड़ा प्रमाण है यहां के बच्चों का शैक्षिक स्तर। यहां बच्चों को उनकी कक्षा के अनुरूप कुछ भी नही आता है।भाषा , गणित या अंग्रेजी हो, बच्चों का स्तर बहुत ही खराब है।इस प्रकार यहां के शिक्षकों द्वारा बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है ।

दूसरा मामला आपको बता दें यहाँ भी ग्रामीण और बच्चों का शिकायत है कि यहाँ के स्वीपर गीतेश्वर यादव जो महीने में दो से तीन दिन ही उपस्थित रहते हैं। ग्रामीणों ने जानकारी देते हुए बताया कि स्वीपर गीतेश्वर यादव जब भी स्कूल आते हैं तो बच्चों के डॉट डपटकर कर बच्चों से काम जैसे झाड़ू ,पानी लाना जैसे काम कराया जाता है और खुद स्कूल प्रांगण में हेडफोन लगाकर संगीत का आनंद लेते रहते हैं।

संकुल समन्वयक ने कही बड़ी बात

वही इस मामले में संकुल समन्वयक अनुग्रह कुजूर ने जानकारी देते हुए बताया कि इस मामले में हमे शिकायत मिली है ।मैं मौखिक रूप से अपने उच्चाधिकारियों को अवगत करा चुका हूं फिर भी एक बार मैं जांच कर प्रतिवेदन भेजता हूँ । संकुल समन्वयक की माने तो उन्होंने उच्च अधिकारियों को यहां के शिक्षकों के रवैय्ये की जानकारी दे दी है। यानि जानकारी होने के बावजूद अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। दूसरे अर्थों में यह कहा जा सकता है कि उच्च अधिकारी भी बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने में संलिप्त है।

अधिकारीगण ध्यान दें

इस स्कूल के बच्चों का जो शैक्षिक स्तर है वह अत्यंत शर्मनाक है। किंतु उससे भी शर्मनाक है – जानकारी होने के बावजूद बच्चों का भविष्य सुधारने की पहल न करना। जिम्मेदार अधिकारी यह न भूलें कि आज उनके बच्चों या परिवार के मुंह में जो निवाला जा रहा है वह इन जैसे बच्चो की ही देन है। इसके बावजूद गरीब बच्चों के भविष्य अंधकारमय करने में सहभागी होना उनकी ओछी मानसिकता और घोर लापरवाही का परिचायक है। संबंधित अधिकारीगण तत्काल सकारात्मक कदम उठवें और एक नेक भारतीय के रूप में इस देश , समाज और परिवेश को सबल और स्वस्थ बनाने में अपनी भागीदारी स्वयं तय करें , अन्यथा जन आक्रोश किसी दिन विकराल रूप धारण कर सकता है।