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ऑफिस में टेबल के ऊपर टांगे रखकरकर शिक्षकों के बीच गप्प मारने वाला गपोड़ संकुल समन्वयक…..! क्या ऐसे संस्कारहीन समन्यवक के माध्यम से समग्र शिक्षा के लक्ष्यों को हासिल कर पाना संभव हो पाएगा….?

अंबिकापुर । वर्तमान भारत ।

इरफान सिद्दीकी ( उप संपादक )

शिक्षक समाज का आइना होता है । इसे समाज में एक विशिष्ट और सम्मानजनक स्थान प्राप्त है। समाज को इनसे उत्तम आचरण की अभिलाषा होती है। समाज इन्हे अपना आदर्श मानता है और इनका अनुकरण भी करता है। सरकार भी प्रति वर्ष शिक्षा पर करोड़ों रुपए खर्चकर शिक्षको के माध्यम से भारत को एक पूर्ण विकसित और सुसंस्कारित राष्ट्र बनाना चाहती है। मगर ,इस देश का दुर्भाग्य है कि कुछ नीतिगत खामियों का लाभ उठाकर कुछ ऐसे भी लोग शिक्षक बन बैठे हैं जो शिक्षा जगत के लिए आज एक कलंक साबित हो रहे हैं। ऐसे ही शिक्षकों में एक नाम शुमार है – जय तिवारी का। जिन्हे ऑफिस में बैठने तक की तमीज नही है । ऊपर इन्हे बना दिया गया संकुल समन्वयक । धन्य है इनकी किस्मत और धन्य हैं वो अधिकारी जिन्होंने ऐसे महान शिक्षक को संकुल समन्वयक बनाया है।नीचे की तस्वीर को देखिए ,जय तिवारी नाम का यह संकुल समन्वयक किस तरह अपनी दोनो टांगे टेबल पर अपनी दोनो टांगे रखकर बैठा हुआ शिक्षको से गप्पें मार रहा है।

जरा गौर फरमाइए ,उसने अपना पैर अपने से अधिक उम्र दराज शिक्षक की ओर करके बैठा है। लगता है इस जन शिक्षक को अपने परिवार और परिवेश से कोई संस्कार ही नहीं मिला है। ऐसे संकारहीन शिक्षक संकुल समन्वयक बनाया गया है। यानी इसके द्वारा शिक्षकों को मार्गदर्शन दिया जाता है। क्या सरकार ने इसे इसी तरह के मार्गदर्शन के लिए रखा है? क्या शिक्षको को इसी तरह के मार्गदर्शक की जरूरत है?

सरकार की जन शिक्षक से अपेक्षाएं

शिक्षा के समुचित विकास और हर बच्चे को शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राजीव गांधी शिक्षा मिशन की शुरुवात की गई थी जिसके तहत कुछ प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं को मिलाकर एक संकुल केंद्र बनाया गया था ,जिसके प्रभारी का पदनाम “संकुल प्रभारी” रखा गया ।संकुल प्रभारी प्रशासनिक दायित्वों का निर्वाहन करते हैं जबकि उनके सहयोग और शैक्षिक गतिविधियों के लिए संकुल समन्वयक या जन शिक्षक का पद सृजित किया गया।शैक्षिक दृष्टिकोण से जन शिक्षक या संकुल समन्वयक का पद अत्यंत महत्वपूर्ण है। अभियान के प्रारंभिक दिनों में एक जन शिक्षक को प्रतिदिन एक शाला की मॉनिटरिंग करनी होती थी।उसे सारा दिन उसी स्कूल में रहना होता था और शिक्षको की शैक्षिक गतिविधियों का अवलोकन करने के साथ – साथ उन्हे मार्गदर्शन देना होता था। मगर जय तिवारी जैसे कुछ जन शिक्षक अपने पदीय दायित्वों को विस्मरण कर स्वयंभू अधिकारी बन बैठे और अनाधिकृत रूप से शिक्षको पर रोब झाड़ने लगे। कालांतर में राजीव गांधी शिक्षा मिशन को सर्व शिक्षा और अब समग्र शिक्षा के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है और अब भी यह एक महत्वपूर्ण पद है। उच्च कार्यालय से प्राप्त आदेशों और निर्देशो का क्रियान्वयन करना ,उच्च कार्यालय और शालाओं के बीच समन्वय स्थापित करना , शैक्षिक कार्यों में सहयोग प्रदान करना , शासकीय योजनाओं का लाभ हरेक छात्र तक पहुंचाना और शिक्षको को लगातार प्रेरित करते रहना इनके अत्यंत महत्वपूर्ण दायित्वों में से हैं । यह एक जिम्मेदार पद है लेकिन जय तिवारी अपने दायित्वों का निर्वाहन किस तरह करते होंगे , तस्वीर देखकर एक सामान्य आदमी भी अंदाज लगा सकता है।

बड़बोला जय तिवारी

जय तिवारी की यह तस्वीर हमारे एक प्रतिनिधि द्वारा बड़ी मुश्किलों से उस समय ली गई जब वे टेबल के ऊपर अपनी दोनों टांगें रखकर गप्पे मार रहा था। ये गपोड शिक्षक गप्प मारने में इतना मशगूल था कि उसे पता ही नही चला कि हमारे प्रतिनिधि ने उसकी फोटो कब ले ली । फोटो लेने के बाद हमारे प्रतिनिधि ने इसके बारे में जानकारी एकत्रित की तो पता चला कि यह एक बहुत ही बड़ा डिंगबाज हैं। स्वयं को ऐसा प्रस्तुत करता है जैसे ये बहुत बड़ा अधिकारी हैं और इनके ऊपर कोई अन्य है ही नही । अपना नाम उजागर न करने की शर्त पर कुछ शिक्षकों ने बताया कि इन्हे किसी विषय – वस्तु की जानकारी न होने के बावजूद स्वयं को खरख्वाह साबित करने के लिए पढ़ाते वक्त उन्हे टोकते रहते हैं । सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिले के कुछ सम्मानीय राजनेताओं से भी घनिष्ठ संबंध हैं जिनके दम पर ये कुलांचे मारते फिरते रहते हैं।

टेबल पर टांगें रखकर गप्प मारी जय तिवारी

यहां पदस्थ हैं जय तिवारी

टेबल पर पैर रखकर गप्पे मारने वाले गपोड़ जन शिक्षक जय तिवारी की वर्तमान पदस्थापना छत्तीसगढ़ राज्य के सरगुजा जिला के अंबिकापुर विकासखंड के संकुल केंद्र पोंडी खुर्द में है । ये महामना अंबिकापुर के रहने वाले हैं और अपने मुख्यालय में कभी नही रहते। अंबिकापुर से ही समय निकालकर आना – जाना करते हैं ।

माहौल दूषित हो रहा है ,अधिकारी ध्यान दें

एक संकुल समन्वयक ( जन शिक्षक ) का आचरण अन्य अधीनस्थ शिक्षकों के लिए अनुकरणीय होता है। लेकिन जिस तरह का आचरण जय तिवारी द्वारा प्रदर्शित किया जा रहा है उसे घोर लापरवाही , अनुशासनहीनता और गैर जिम्मेदारीपन प्रतिध्वनित हो रही है।तिवारी के इस तरह के आचरण से शिक्षको में उच्छृंखलता को प्रोत्साहन मिलेगा , जिसे किसी भी दृष्टिकोण उचित नहीं कहा जा सकता । संबंधित अधिकारी तत्काल तिवारी के विरुद्ध कार्रवाई करें या उनके लिए अच्छे प्रशिक्षण की व्यवस्था करें अन्यथा इनका आचरण शिक्षा जगत के लिए एक अभिशाप बन सकता है । शिक्षा जगत कलंकित हो सकता है ।