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छत्तीसगढ़ समाचार: मां बाप से शादी खर्च के लिए दावा कर सकती है अविवाहित बेटी… छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का फैसला…

बिलासपुर । वर्तमान भारत ।

गजाधर पैकरा की रिपोर्ट

बिलासपुर( छत्तीसगढ़)! वर्तमान भारत !अविवाहित बेटियां अपने माता पिता से शादी के खर्च पर दावा कर सकती है! छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपने फैसले में माना है कि अविवाहित बेटियां हिंदू दत्तक और भरण पोषण अधिनियम 1956 के तहत अपने माता-पिता से शादी के खर्च का दावा कर सकती है !दुर्ग फैमिली कोर्ट के एक आदेश को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है !

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जस्टिस गौतम भादुड़ी और न्यायमूर्ति संजय एस अग्रवाल की खंडपीठ ने मामले को वापस भेज दिया है! इसके साथ ही कोर्ट ने दोनों पक्षों को फैमिली कोर्ट में पेश होने के लिए कहा है! साथ ही कोर्ट ने 6 साल पुराने मामले में पुनर्विचार का फैसला लेने का आदेश दिया है !

दरअसल भिलाई स्टील प्लांट में कार्यरत रहे भानु राम की बेटी राजेश्वरी ने 2016 में हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी !उस समय हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर फैमिली कोर्ट में आवेदन देने के लिए कहा था! राजेश्वरी ने फैमिली कोर्ट में आवेदन जमा कर कहा था कि कोर्ट उसके पिता को शादी के लिए 25 लाख रुपए देने के लिए निश्चित करें !पिता को सेवा निर्मित के बाद स्टील प्लांट से 55 लाख रुपए मिलने वाले थे !

25 लाख रुपये शादी खर्च की मांग

राजेश्वरी की याचिका को फैमिली कोर्ट ने 20 फरवरी 2016 को खारिज कर दिया !इसके बाद राजेश्वरी ने फिर से हाई कोर्ट का रुख किया !हाई कोर्ट में राजेश्वरी के वकील की तरफ से कहा गया है! उसके पिता को रिटायरमेंट के बाद 75 लाख रुपए मिले हैं !इसमें से बेटी 25 लाख शादी के खर्चे के लिए मुहैया कराने की मांग कर रही है !अपील कर्ता ने अपनी याचिका में यह दावा किया था कि वह एक अविवाहित बेटी है!

हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि हिंदू दत्तक और भरण पोषण अधिनियम 1956 की धारा 20 के तहत बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल की जिम्मेदारी तय की गई है! कानून में दिए गए अधिकारों के तहत बेटी की शादी का उचित खर्च और उसकी शादी के लिए होने वाला खर्च शामिल है! भारतीय समाज में आमतौर पर शादी से पहले और शादी के समय भी खर्च करने की आवश्यकता होती है !इस प्रकार 1956 के अधिनियम की केंद्रीयता दोनों को सुरक्षा प्रदान करती है..!