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बलरामपुर में लगे बोर्ड को पुनः लगाया जाए … घटना का उग्र विरोध करें बलरामपुर वासी हम सब साथ हैं – देवेन्द्र तिवारी

कोरिया ( छत्तीसग़ढ ) । वर्तमान भारत ।

बलरामपुर जिला मुख्यालय से।एक बड़ी बात सामने यह आयी है कि वहां पर मुस्लिम समाज के कुछ लोगों ने बलरामपुर नाम को लाइटिंग द्वारा एचडीएफसी बैंक के ऊपर लिखे जाने का विरोध किया। अब समझ मे नहीं आता कि शहर वासियों को शहर के नाम और उसके पहचान से इतनी नफरत क्यों हो सकती है। बलराम या राम शब्द हमारे भारत के उत्तम चरित्रों से उत्पन्न हुए हैं।रामायण में श्री राम और महाभारत में श्री बलराम मनुष्य जीवन के आदर्श चरित्र के के प्रत्यक्ष दर्शन हैं। यदि शहरों की ऐतिहासिक विशेषताओं के आधार पर रखे हुए नामों को गर्व के साथ लिखा जाए और इन समुदाय के लोग आपत्ति करें तो यह बहुत आपत्तिजनक है।और उससे भी चिंताजनक बात यह है कि आपत्ति के बाद वो जो बलरामपुर रोशनी में दिखता था।उसे प्रशासन ने बंद करा दिया और बोर्ड को हटा कर जमीन में फेंक दिया गया।अगर कुछ गलत हो तो चलो स्वीकार कर लें लेकिन आखिर ये क्या है। मुस्लिम समाज कहीं भी अपनी धार्मिक भावनाओं का प्रदर्शन करता है तो क्या हममें से कोई भी आपत्ति करता है। क्या मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकर जो आवश्यकता से अधिक आवाज में बजाए जाते हैं वो सही हैं, फिर अभी तक हममें से किसी ने भी मना किया। सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक क्रियाकलापों पर कभी कोई टिप्पणी की क्या।


फिर शहर के नामपर सवाल उठाना और उसको भी धार्मिक असहिष्णुता की भावना से देखना ये तो बिल्कुल समझ के परे है । हम अभी रामनवमी का पर्व मना रहे हैं। बस प्रशासन से यह अनुरोध करते हैं कि जो बलरामपुर जगमगा रहा था वह पुनः जगमगाना चाहिए। हिन्दू समाज के लोगों और बुद्धिजीवियों से भी आग्रह है कि अपने शहर में इस तरह की अंधी कट्टरता को तनिक भी स्थान न दें। मुस्लिम समाज से भी आग्रह है कि लोगों के बहकावे में न आवें और जो परंपरा चल रही है उससे नफरत न करें। ये बातें सामाजिक भावनाओं के विरुद्ध हैं।


सभी जन एक होकर जो पहले लिखा हुआ था उसे पुनर्स्थापित करें।
अन्यथा यह विषय पूरे संभाग के विषय बनेगा।समाज का विषय बनेगा। और हम सब पूरे शहर में में शान के साथ अपनी पहचान को स्थापित करेंगे।