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शिक्षा विभाग का अजब खेल : एक शिक्षक के भरोसे 150 बच्चों का भविष्य…..शिक्षकों के अभाव में सभी विषय की नहीं हो पाती पढ़ाई…..बच्चों और शिक्षक ने अपनी व्यथा सुनाई……..शिक्षा का स्तर सुधार का ढोल पीटने वाला विभाग आखिर कब तक करता रहेगा बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ ….? समग्र शिक्षा अभियान भी साबित हो रहा है सफेद हाथी….

बगीचा ( जशपुर ) । वर्तमान भारत।

संजय गोस्वामी ( सह संपादक) के प्रतिवेदन पर आधारित

मामला छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के विकासखंड बगीचा के पूर्व माध्यमिक शाला ( अपर प्राइमरी स्कूल) भड़िया का है जहां की दर्ज संख्या 150 है , किन्तु वहा सिर्फ एक ही शिक्षक पदस्थ है। शिक्षक के अभाव में यहां सभी विषयों की पढ़ाई नहीं हो पाती और बच्चे प्रति दिन बस्ता लेकर सिर्फ पढ़ाई की कोरम पूरा करने आते हैं। वर्तमान में एक कक्षा के विद्यार्थी को कुल सात पीरियड की पढ़ाई करनी होती है। इस लिहाज से 3 कक्षाओं के लिए प्रतिदिन 21 पीरियड की पढ़ाई करनी होगी , जबकि एक दिन में एक शिक्षक अधिकतम 7 पीरियड ही पढ़ा सकता है। ऐसी स्थिति में एक अति सामान्य व्यक्ति भी यह आसानी से अंदाज लगा सकता है कि शिक्षक द्वारा क्या और किस तरह पढ़ाया जा रहा होगा और वहां के बच्चों का शैक्षिक स्तर क्या होगा?

शिक्षक , जन प्रतिनिधि और बच्चों ने ” वर्तमान भारत” टीम को बताई अपनी व्यथा

” वर्तमान भारत ” की टीम आज संजय गोस्वामी (सह संपादक) के नेतृत्व में बगीचा के पाठ क्षेत्र के दौरे पर थी। अपने भ्रमण के दौरान टीम मिडिल स्कूल भड़िया पहुंच थी। संजय गोस्वामी को देखते ही संस्था प्रभारी और वहां पहले से ही उपस्थित उप सरपंच संस्था की समस्या से उन्हे अवगत कराया । समस्या से अवगत होने के पश्चात संजय गोस्वामी ने वहां की रिपोर्टिंग की –

बच्चो और उप सरपंच ने लगाए ” शिक्षक दिलाओ ” के नारे

संजय गोस्वामी अभी संस्था प्रभारी से शाला की समस्याओं पर चर्चा कर ही रहे थे कि दूसरी ओर उप सरपंच और बच्चे ” शिक्षक दिलाओ ” के नारे लगाने लगे जिसे “वर्तमान भारत” टीम द्वारा कवर किया गया।

धनंजय यादव , उप सरपंच के साथ नारा लगाते बच्चे

नहीं हो रही है सभी विषयों की पढ़ाई

विगत एक वर्ष से यहां सिर्फ एक ही शिक्षक कार्यरत है जिसके कारण यहां सभी विषय की पढ़ाई नहीं हो पाती।सभी विषय की पढ़ाई नहीं होने की वजह से शिक्षक और बच्चे अपने भविष्य को लेकर बहुत चिंतित हैं और जल्द से जल्द शिक्षक की पदस्थापना चाहते हैं। कैमरे के सामने संस्था प्रमुख ने कही ये बात –

राम कृष्ण गुप्ता , प्रभारी प्रधान पाठक

अब जरा बच्चों की भी सुनिए

एक स्कूली छात्र

इस छात्रा ने भी कही ये बात

उच्च अधिकारियों से लगा चुके हैं गुहार

उप सरपंच धनंजय यादव ने हमारी टीम से चर्चा करते हुए बताया कि बच्चों के शैक्षिक स्तर और शिक्षक की कमी के संबंध में उनके द्वारा उच्च अधिकारियों को कई बार लिखित और मौखिक में अवगत कराया जा चुका है लेकिन प्रशासन द्वारा अभी तक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है। कल उप सरपंच द्वारा पुनः कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी को लिखित में इस आशय का आवेदन दिया गया है।

धनंजय यादव ( उप सरपंच)

इस वजह हमारी टीम से लगाई गुहार

हमारी टीम के साथ संजय गोस्वामी को देखकर शिक्षक , बच्चे और उप सरपंच अत्यंत प्रफुल्लित हो उठे और उनसे शिक्षक व्यवस्था कराने का निवेदन करने लगे। दरअसल , संजय गोस्वामी ने पिछले दिनों भड़िया के हाई स्कूल की खबर प्रमुखता से प्रकाशित किया था। हाई स्कूल की बिल्डिंग पूर्ण हो जाने के बावजूद उसे प्राचार्य को हैंडओवर नहीं किया गया था और शाला के बच्चे जर्जर भवन के छोटे कमरे में भेंड़ – बकरियों की तरह बैठने को मजबूर थे। इस समाचार के प्रकाशन के बाद दो दिवस के अंदर ही नवीन भवन प्राचार्य को हैंडओवर कर दिया गया था। मिडिल स्कूल के शिक्षक , बच्चे और उप सरपंच ने उन्हें देखा तो एक बार फिर उनकी उम्मीदें जग उठीं और उनसे निवेदन करने लगे।

सफेद हाथी साबित हो रहा है समग्र शिक्षा अभियान

शिक्षा विभाग के अस्तित्व में रहते हुए सभी बच्चों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा संसाधन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से पहले सर्व शिक्षा अभियान चलाया गया और वर्तमान में समग्र शिक्षा अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान में भारी – भरकम खर्च भी किया जा रहा है। लेकिन , मगर यह अभियान अपने लक्ष्य से अभी कोसों दूर नजर आ रहा है। सिर्फ कागज़ों पर सफलता की कहानियां लिखी जा रही हैं। हकीकत की धरातल पर इस अभियान की सच्चाई कुछ और ही नजर आ रही है, जिसका जीता – जागता उदाहरण है बगीचा ब्लॉक का पूर्व माध्यमिक शाला भड़िया, जहां आज तक शिक्षकों की व्यवस्था तक नहीं हो सकी। ऐसे में गुणवत्तायुक्त शिक्षा की बात करना आम आदमी की आंखों में धूल झोंकने के बराबर है। शासन – प्रशासन द्वारा बच्चों के साथ धोखा किया जा रहा है और उनके पालकों को बेवकूफ बनाया जा रहा है। समग्र शिक्षा अभियान का जितना ढिंढोरा पीटा जा रहा है वह सिर्फ एक दिखावा मात्र है। यथार्थ की कसौटी पर समग्र शिक्षा अभियान मात्र एक सफेद हाथी साबित हो रहा है।