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भू माफियों के हौसले बुलंद

रायगढ़ से आशीष यादव की रिपोर्ट

भू माफियाओं के सामने घुटने टेक दिए राजस्व विभाग

बोईरदादर स्टेडियम के पीछे 12 टुकड़ों में हुई अवैध प्लॉटिंग, बिना अनुमति बिना पंजीयन के बेच दी जमीन, कई इलाकों में बेखौफ चल रहा काम

शहर की प्लानिंग को पलीता लगाने में जुटे भूमाफियाओं के आगे सरकारी सिस्टम ने घुटने टेक दिए हैं। तभी तो कोई भी, कहीं भी आसानी से अवैध प्लाटिंग करके निकल जा रहा रहा है। कोई अनुमति नहीं, कोई पंजीयन भी नहीं किया जा रहा है। पूरी व्यवस्था इन भू-माफियाओं के लिए काम करने लगी है। ताजा मामला रायगढ़ स्टेडियम के पीछे अवैध प्लॉटिंग का है। यहां तो कोरबा निवासी भूमि स्वामी ने बिना अनुमति के 12 लोगों को जमीन बेच दी है

एक ओर रायगढ़ शहर में आवासीय बसाहट को योजनाबद्ध तरीके से बढ़ाने के लिए मास्टर प्लान की तैयारी की जा रही है और दूसरी ओर भूमाफिया इस उद्देश्य को फेल करने में लगे हैं। नियमत: राजस्व विभाग को इन पर कार्रवाई करनी चाहिए लेकिन वह तो इस काम में मददगार की भूमिका में है। जहां भी भूमाफिया प्लॉट काटने काम शुरू कर रहे हैं, पहले प्रशासन की चौखट पर माथा टेक रहे हैं। इसके बाद जहां मर्जी चाहे प्लॉट काटकर बेचे जा रहे हैं। शहर के हर कोने में अवैध प्लॉटिंग का काम बेधडक़ चल रहा है। बोईरदादर स्टेडियम के पीछे ओम हाईट्स के बाजू में तो हद ही हो गई है। यहां करीब 50 हजार वर्गफुट जमीन पर अवैध प्लॉट काटे गए हैं। 12 लोगों को यह बेचा जा चुका है।

रमन अग्रवाल पिता मदनलाल अग्रवाल निवासी कोरबा ने रजिस्ट्री करवाई है। बिक्री नकल भी लेन-देन करके दिया गया है। इतने बड़े भूखंड में प्लॉट बेचने के पूर्व रेरा में पंजीयन अनिवार्य है। नगर निगम और एसडीएम से विकास अनुमति भी ली जानी थी। सभी विभागों से एनओसी के बाद रेरा में पंजीयन कराया जाता। ले-आउट के हिसाब से ही यहां प्लॉट काटे जाते। रमन अग्रवाल ने किसी से अनुमति नहीं ली और 12 लोगों को प्लॉट बेच दिए। खसरा नंबर 9/1, 10 और 11/1क की करीब सवा एकड़ जमीन पर 40024 वर्गफुट को 12 टुकड़ों में बांटकर बेचा गया है। बताया जा रहा है कि मामला नगर निगम और राजस्व अधिकारी के संज्ञान में आया था लेकिन किसी ने कुछ नहीं किया।

इनके नाम से हुई रजिस्ट्री
मौके पर देखने से पता चला कि एक व्यक्ति ने तो जमीन के चारों ओर बाउंड्रीवॉल बना ली है। बाकी प्लॉटों में तीन फुट की दीवार उठाई जा चुकी है। करीब 40024 वर्गफुट को 12 लोगों में बेचा गया है। सबसे बड़ा प्लॉट 7500 वर्गफुट और सबसे छोटा प्लॉट 1383 वर्गफुट है। इसे खरीदने वालों में प्रिया आचार्य, शारदा नायक, प्रीति तिवारी, राजेश्वरी मेहर, प्रीति श्रीवास्तव, राजेश देवांगन, अंशी चौधरी, रत्ना चौधरी, निकिता शर्मा, रुपचंद लालवानी, आशा लालवानी और कमल लालवानी हैं।

पहाड़ मन्दिर रोड पर भी ओढ़ ली खामोशी
तेजतर्रार माने जाने वाले अफसर भी अवैध प्लॉटिंग का नाम आते ही खामोशी ओढ़ लेते हैं। पहाड़ मंदिर रोड पर भी मेन रोड से महज बीस मीटर अंदर प्लॉट काटे गए हैं। यहां निर्माण की तैयारी की जा रही है। विवादित भूमि होने के बावजूद यहां पर करीब आठ प्लॉट काटे जा चुके हैं। बेतरतीब आवासीय बसाहट को रोकने के बजाय इसे बढ़ावा दिया जा रहा है।

मनीष महाराज को कोई रोकने वाला नहीं
इधर अतरमुड़ा में भी गुरु द्रोण स्कूल के सामने रोड किनारे बिना अनुमति के प्लॉट काटे जा चुके हैं। अब अंदर की जमीनों पर भी कोई मनीष महाराज प्लॉट काट रहा है। इसकी जानकारी एसडीएम कार्यालय को है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। दरअसल जिस पटवारी को जांच की जिम्मेदारी दी जाती है, वही भूमाफियाओं से मिल जाता है। यहां से रोड, पानी निकासी की कोई व्यवस्था ही नहीं है।

नाले को पाटा, पंजीयन भी नहीं कराया
टीवी टावर रोड पर ही दुर्गा मंदिर के सामने गली के अंत में करीब चार एकड़ जमीन पर अवैध प्लॉटिंग की जा रही है। उद्योगोंं से स्लैग लाकर टेम्परेरी रोड बनाई जा चुकी है। यहां भी करीब सात लोगों की भूमिस्वामी जमीन पर ठेका लेकर अवैध प्लॉट काटे गए हैं। बगल से गुजर रहे नाले को भी पाटा जा रहा है। यहां पहले से अतिक्रमण है। गली से कोई भारी वाहन गुजर नहीं पाता और अब एक अवैध कॉलोनी आकार ले रही है

गजमार पहाड़ी को काटा, कोई असर नहीं
जब बाड़ ही खेत को खाने लगे तो किसान क्या करे। राजस्व विभाग ने सरकारी जमीनों का संरक्षण करने के बजाय उसे बेचने का अभियान चलाया है। कहां की जमीन किस स्वरूप में है, नहीं देखा जा रहा है। रुपए जुटाने की लालच में गजमार पहाड़ी को भी एक संस्था को बेच दिया गया। जेसीबी लगाकर रोज पहाड़ को काटा जा रहा है। यह बेहद खतरनाक स्थिति है क्योंकि पहाड़ को नुकसान पहुंचाने का मतलब पर्यावरण नियमों का उल्लंघन है। बताया जा रहा है इस मामले में एनजीटी के सामने संस्था और राजस्व अधिकारी को पेश होना पड़ सकता है।

जनप्रतिनिधियों की खामोशी का मतलब क्या?
शहर के कई हिस्सों में अवैध प्लॉटिंग हो रही है। भूमाफियाओं ने नेताओं और अफसरों से गठजोड़ कर लिया है। वार्ड के पार्षद तक आंख मूंदकर बैठे हैं क्योंकि उनका हित भी पूरा हो रहा है। अधिकारी भी बेबस हो चुके हैं। कहीं से कोई आवाज नहीं उठ रही है क्योंकि सब कुछ सेट है। रोड किनारे अतिक्रमण के नाम पर ठेले हटाने वाले अधिकारियों को भी पसीना आ रहा है।