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शिक्षक समाचार:जब ऐसे होंगे शिक्षक तो कैसे सुधरेगा शिक्षा का स्तर….. शिक्षक को छत्तीसगढ़ की स्पेलिंग भी नहीं पता… सीएसी ने भी इस सत्र स्कूल का नहीं किया अवलोकन … बच्चो का स्तर उनकी कक्षा के स्तर के आसपास भी नही …

मैनपाट । वर्तमान भारत ।

सरगुजा संभाग के हर स्कूल में आजकल दो आदर्श वाक्य अनिवार्य रूप से लिखा गया है -” एक लक्ष्य , सरगुजा श्रेष्ठ” और ” बालः देवो भव “।ये आदर्श वाक्य वास्तव में न सिर्फ प्रेरणास्पद बल्कि अनुकरणीय भी है। सरगुजा संभाग के संयुक्त संचालक ( शिक्षा) ने पूरे संभाग को जिस तरह एक धागे में पिरोने और शिक्षकों को प्रेरित करने की कोशिश की है, वह सराहनीय है। किंतु , बेहद अफसोस के साथ यह लिखना पड़ रहा है कि शाला की दिवालों पर लिखे ये आदर्श वाक्य सिर्फ शो पिस बनकर रह गए है।संयुक्त संचालक महोदय के सपनो को साकार करने के लिए शिक्षकों की भूमिका अहम है। किंतु, अधिकांश स्कूलों में शिक्षकों के लिए इसके कोई मायने नहीं हैं। अधिकारियों के आदेश पर दीवालों पर ये वाक्य जरूर लिखा दिए गए हैं , लेकिन खुद शिक्षक भी उसे हासिल करने के लिए प्रयासरत नही दिख रहे हैं।