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प्रभारी रेंजर रहते तालाब निर्माण में लाखों का बोगस भुगतान करने वाले डिप्टी रेंजर को दिया गया क्लीन चिट, महज नोटिस की निभाई गई औपचारिकता… कार्यवाही टांय- टांय फिस्स!

आशीष यादव की रिपोर्ट


कोरबा/कटघोरा:- वैसे तो कटघोरा वनमंडल भ्रष्ट्राचार को लेकर पहचान की मोहताज नही है, किन्तु जटगा के तत्कालीन प्रभारी रेंजर रहने के दौरान डिप्टी रेंजर सत्तूलाल जायसवाल के द्वारा पोड़ी- उपरोड़ा विकासखंड के ग्राम कुटेश्वरनगोई जंगल में तालाब खुदाई कार्य में किये गए बोगस भुगतान मामले की शिकायत पर जांच उपरांत लाखों रुपए की गड़बड़ी प्रमाणित होने के बाद महज नोटिस की औपचारिकता निभा उन्हें क्लीन चिट दे दी गई। जहां अधिकारियों के कृपा दृष्टि से आगे की कार्यवाही टांय- टांय फिस्स होकर कटघोरा वनमंडल में भ्रष्ट्राचार की कद में एक और बढ़ोतरी हो गई।

गौरतलब है कि कटघोरा वनमंडल में तत्कालीन पदस्थ रहे डिप्टी रेंजर सत्तुलाल जायसवाल को वन परिक्षेत्र जटगा का बतौर प्रभारी परिक्षेत्राधिकारी का दायित्व डीएफओ द्वारा सौंपा गया था। जिस दौरान 18 मार्च 2021 से 8 सितंबर 2021 तक प्रभारी रेंजर रहने के दौरान सत्तुलाल ने एपीओ वर्ष 2018- 19 में स्वीकृत कैम्पा मद अंतर्गत तुमान परिसर के कक्ष क्रमांक- 278 ग्राम कुटेशर नागोई में तालाब निर्माण कार्य मे करतला ब्लाक के सरगबुंदिया की सरपंच व पसान रेंज में कार्यरत बीटगार्ड प्रद्युम्न सिंह तंवर के परिजनों को मजदूर बताकर लाखों के मजदूरी की राशि उनके खातों में डाली गई। उक्त मामले की शिकायत पर जांच पश्चात उन्हें वित्तीय अनियमितता का दोषी पाये जाने पर नोटिस जारी किया गया था, लेकिन भ्रष्ट्र डिप्टी रेंजर से बोगस भुगतान की रिकवरी अथवा विभागीय कार्यवाही अब तक देखने को नही मिली। विभागीय सूत्रों ने बताया कि इस मामले पर कटघोरा वनमंडल में बैठे अधिकारियों ने सत्तुलाल जायसवाल पर विशेष रहमत बरसाई और उन्हें क्लीन चिट दे दिया गया। बता दें कि डिप्टी रेंजर सत्तुलाल वर्तमान में मरवाही वनमंडल अंतर्गत भी प्रभारी रेंजर बतौर पदस्थ है और यहां भी अपनी भ्रष्ट्र हरकतों से बाज नही आ रहे है। यदि भ्रष्ट्राचार को लेकर कटघोरा वनमंडल की बात करें तो यहां पुटुवा स्टॉप डेम के बहने का मामला और अन्य स्टॉप डेमों से लेकर डब्ल्यूबीएम मार्ग के निर्माण में जमकर आर्थिक अनियमितता के साथ वन विभाग के विभिन्न निर्माण कार्यों में भी फर्जी मजदूरों के नाम पर लाखों- करोड़ों रुपए डकार लेने के मामलों की जांच आज तक लंबित है। जिन पर पर्दा ढंकने का काम किया गया। इन सभी मामलों की निष्पक्ष और त्वरित जांच कर संबंधित लोगों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने की जरूरत बनी हुई है। लैंटाना उन्मूलन का भी काम कागजों में दर्शाकर फर्जी मजदूरों के नाम से लाखों रुपए डकार लिए गए हैं। इन सभी मामलों में शासन- प्रशासन को गंभीरता से संज्ञान लेने की जरूरत अपेक्षित है, ताकि जनता के गढ़ी कमाई का टेक्स के रूप में सरकार को दिए गए पैसे भ्रष्ट्र नौकरशाहों के ग्रास से निकल जाए।