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नवीन जिला सक्ती में झोलाछाप डॉक्टरों की बल्ले बल्ले ,सीएमएचओ बोले टीम गठित कर करेंगे कार्रवाई

आशीष यादव की रिपोर्ट

सक्ती =जिले के देवरमाल और ग्रामीण अंचलों में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है। चाय की गुमटियों जैसी दुकानाें में झोलाछाप डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार इस गांव में एक डॉक्टर और एक नर्स घूम घूम कर ईलाज करने की मामला प्रकाश में आया है यह भी जानकारी मिली है कि कुछ दिनों तक चाँपा के निजी अस्पताल में प्रेटिस किया गया और गांव में डॉक्टर बनकर घर घर जाकर इलाज किया जा रहा है ।मरीज चाहे उल्टी, दस्त, खांसी, बुखार से पीड़ित हो या फिर अन्य कोई बीमारी से। सभी बीमारियों का इलाज यह झोलाछाप डॉक्टर करने को तैयार हो जाते हैं। खास बात यह है कि अधिकतर झोलाछाप डॉक्टरों की उम्र 40 से 45 साल के बीच है। मरीज की हालत बिगड़ती है तो उससे आनन फानन में जिला अस्पताल सक्ती भेज दिया जाता है। जबकि यह लापरवाही स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों की जानकारी में भी है।
जिले के बाहर बड़े डॉक्टरों के पास मरीजों को भेजने पर मिलते हैं झोलाछाप डॉक्टरों को कमीशन कमीशन के चक्कर में बीमारी बढ़ाकर के प्राइवेट अस्पतालों में पेसेंट भेजते है झोलाछाप डॉक्टरों की तगड़ी सेटिंग रहती है जिम्मेदार अधिकारी इनके सामने नतमस्तक रहते हैं। गांव के गरीब तबके के लोग ब्याज में पैसे लेकर के इलाज करवाने जिले से बाहर बिलासपुर रायपुर जाते हैं वहां झोलाछाप डॉक्टर और बिलासपुर रायपुर के डॉक्टरों का सेटिंग हुआ रहता है उन्हें गरीबों के परेशानियों से कोई सरोकार नहीं रहता है गरीब पैसे ब्याज उधार में लेकर के बाहर जाते हैं और वहां उन्हें डॉक्टरों द्वारा बुरी तरह लूट लिया जाता है शहर में जाकर मरीज कुछ नहीं कर पाता यह सब जिम्मेदार अधिकारियों को नहीं दिख रहा है अगर इनके जिम्मेदार अधिकारी इस गतिविधि पर रोक नहीं लगाया गया तो ग्रामीण अंचलों के लोग इन बड़े-बड़े डॉक्टरों के हाथे लूटते रहेंगे बड़े-बड़े बातें करने वाले क्षेत्रीय नेता इन गरीब लोगों के लिए भी किसी प्रकार से मदद नहीं कर पा रहे हैं अब देखना यह है कि इस खबर के बाद जिम्मेदार अधिकारी इस मामले पर किस प्रकार से संज्ञान लेते हैं।
सक्ती अनुभाग के ग्रामीण क्षेत्र के देवरमाल देवरी सहित दर्जनों गांव ऐसे हैं जहां सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध होते हुए भी नहीं हैं। वहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर सुविधाएं हैं।उसके बाद भी इसका फायदा सीधे तौर पर झोलाछाप डॉक्टर उठा रहे हैं। देवरमाल गांव के ग्रामीणों अनुसार गांव में सरकारी इलाज की सुविधा है।फिर भी बीमार होने पर झोलाछाप डॉक्टरों से ही इलाज कराना पड़ता है।

बिना लाइसेंस के दवाओं का भंडारण भी करते हैं झोलाछाप डॉक्टर

झोलाछाप चिकित्सकों द्वारा बिना पंजीयन के एलोपैथी चिकित्सा व्यवसाय ही नहीं किया जा रहा है। बल्कि बिना ड्रग लाइसेंस के दवाओं का भंडारण व विक्रय भी अवैध रूप से किया जा रहा है। घर के भीतर कार्टून में दवाओं का अवैध तरीके से भंडारण रहता है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई सालों से अवैध रूप से चिकित्सा व्यवसाय कर रहे लोगों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई। इन दिनों मौसमी बीमारियों का कहर है। झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानें मरीजों से भरी पड़ी हैं। गर्मी व तपन बढ़ने के कारण इन दिनो उल्टी, दस्त, बुखार जैसी बीमारियां ज्यादा पनप रही हैं। झोलाछाप इन मर्जों का इलाज ग्लूकोज की बोतलें लगाने से शुरू करते हैं। एक बोतल चढ़ाने के लिए इनकी फीस 200 से 400 रुपए तक होती है।
स्वास्थ्य विभाग नहीं करता कार्रवाई
झोलाछाप डॉक्टरों की वजह से अब तक कई लोगों की असमय जान चली गई है देवरमाल स्थित प्राइवेट घर पर क्लीनिकों पर ईलाज किया जाता है यही नही घर घर पहुंच कर इलाज किया जाता है लेकिन अभी तक स्वास्थ्य विभाग ने स्थाई तौर पर झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई नहीं की। ग्रामीण क्षेत्र में एक बार भी प्रशासन की कार्रवाई देखने को नहीं मिली है। झोलाछाप डॉक्टर मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं और प्रशासन दूर से ही इन्हें देख रहा है।
केस बिगड़ने पर अस्पताल रैफर कर देते हैं मरीज
बीते कुछ वर्षों से फर्जी डिग्रीधारी डॉक्टरों की वृद्धि हुई है। ग्रामीण क्षेत्र में कोई मात्र फर्स्ट एड के डिग्रीधारी हैं तो कोई अपने आप को बवासीर या दंत चिकित्सक बता रहा है लेकिन इनके निजी क्लीनिकों में या घर मे घूम घूम कर लगभग सभी गंभीर बीमारियों का इलाज धड़ल्ले से किया जा रहा है।

क्या कहते है सूरज सिंह राठौर सी. एम. एच.ओ.सक्ती
टीम बनाकर होगी कार्रवाई
जल्द ही एक टीम बनाई जाएगी। यह टीम पूरे जिले में जहां झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानें चल रही हैं वहां कार्रवाई करेगी।