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5 May History : संगीत के ‘जादूगर’ से जुड़ा है आज का रोचक इतिहास…जिन्होंने संगीत के लिए छोड़ा घर…इसरो ने सफलतापूर्वक साउथ एशिया सैटेलाइट लॉन्च किया…पढ़ें आज का इतिहास



History 5 May :- आज के इतिहास में सबसे पहले बात होगी ‘संगीत के जादूगर’ के नाम से मशहूर नौशाद की. मुंबई में दादर के ब्रॉडवे सिनेमा के सामने का फुटपाथ. लखनऊ से भागकर आए एक नौजवान के लिए ये फुटपाथ ही उसका घर था. यहीं खाना, रहना और संगीत साधना करना. इस नौजवान का सपना था कि एक दिन इसी सिनेमा में उसकी भी फिल्म लगेगी. ये सपना सच हुआ 1952 में. ‘बैजू बावरा’ नाम की फिल्म इसी सिनेमा में रिलीज हुई. फिल्म सुपरहिट रही. इस सिनेमा के फुटपाथ पर सोने वाले नौजवान ने बैजू बावरा में संगीत दिया था. हम बात कर रहें हैं भारतीय सिनेमा में अमर संगीत देने वाले नौशाद की.

संगीत के लिए छोड़ा घर

25 दिसंबर 1919 को लखनऊ के एक मुस्लिम परिवार में जन्मे नौशाद के घर में संगीत पर पाबंदी थी. अब्बा ने कहा कि अगर इस घर में रहना है तो संगीत छोड़ना पड़ेगा, लेकिन नौशाद ने संगीत के लिए घर छोड़ दिया. भागकर सपनों के शहर मुंबई आ गए. कुछ दिन एक परिचित के यहां रहे, लेकिन मामला जमा नहीं तो दादर आ गए और फुटपाथ को ही अपना ठिकाना बना लिया. यहां उन पर उस्ताद झंडे खान की नजर पड़ी. 40 रुपए महीने की तनख्वाह पर नौशाद को काम पर रख लिया.

बैजू बावरा’ के लिए मिला अवॉर्ड


इसके बाद कंपोजर खेमचंद प्रकाश ने उन्हें फिल्म ‘कंचन’ में असिस्टेंट का काम दिया. अब महीने के 60 रुपए मिलने लगे. यहां से नौशाद के फिल्मी सफर ने हल्की रफ्तार पकड़ी. नौशाद को 1940 में पहली बार एक संगीतकार के रूप में काम करने का मौका मिला. फिल्म थी ‘प्रेम नगर’. लेकिन किन्हीं वजहों से फिल्म रिलीज नहीं हो पाई. 1944 में फिल्म ‘रतन’ आई. ये फिल्म चल निकली. इतनी चली की फिल्म के बजट से ज्यादा कमाई संगीत की रॉयल्टी से ही हो गई. इसके बाद 1954 में फिल्म आई ‘बैजू बावरा’ इस फिल्म के लिए नौशाद को बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला.

‘जब प्यार किया तो डरना क्या…’


1960 में फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ रिलीज हुई. भारतीय सिनेमा में ये फिल्म मील का पत्थर साबित हुई. इस फिल्म का गाना ‘जब प्यार किया तो डरना क्या…’ लोगों की जुबान पर आज भी छाया हुआ है. इस गाने के पीछे नौशाद का ही हाथ था. इस फिल्म में नौशाद का संगीत इतना पसंद किया गया कि ‘मुगल-ए-आजम’ को जब दोबारा कलर में रिलीज किया गया, तब भी संगीत की जिम्मेदारी नौशाद को ही मिली. नौशाद ने ये काम इतनी खूबी से किया कि ब्लैक एंड व्हाइट और कलर दोनों फिल्मों के संगीत में सुनने वाले को कोई फर्क ही महसूस न हो.

1981 में मिला दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड

नौशाद ने न सिर्फ फिल्मों में उम्दा संगीत दिया बल्कि मोहम्मद रफी, सुरैया और शमशाद बेगम जैसे गायकों को पहला मौका भी दिया. भारत की तरफ से ऑस्कर में भेजे जानी वाली पहली फिल्म ‘मदर इंडिया’ का संगीत भी नौशाद ने ही दिया था. इसके अलावा बैजू बावरा, कोहिनूर, पाकीजा, गंगा-जमुना, बाबुल, मेरे महबूब जैसी हिट फिल्मों में भी नौशाद ने ही संगीत दिया था. 1981 में नौशाद अली को दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. 2005 में आई फिल्म ‘ताजमहल’ उनके करियर की आखिरी फिल्म थी. 5 मई 2006 को उनका निधन हो गया.

कार्ल मार्क्स का हुआ था जन्म

इतिहास के दूसरे अंश में बात कार्ल मार्क्स की. आज ही के दिन 1818 में जर्मनी के ट्रायर में एक यहूदी परिवार में कार्ल मार्क्स का जन्म हुआ. मार्क्स ने 1844 में अपने दोस्त फ्राइडरिच एंगल्स के साथ मिलकर ‘होली फैमिली’ नाम की किताब छपवाई. कार्ल्स मार्क्स ने साल 1848 में ”द कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो” की रचना की थी. उनकी ये रचना काफी प्रसिद्ध हुई. इस रचना को विश्व की सबसे प्रभावशाली राजनीतिक रचनाओं में से एक माना गया है.

मार्क्स के विचारों ने किया प्रभावित

कार्ल मार्क्स की मौत के बाद 1917 में रूसी क्रांति हुई. इस क्रांति के नायक व्लादिमीर लेनिन ने मार्क्सवाद के विचारों से प्रभावित होकर रूस में तीन सदी पुराने जार शासन को उखाड़ फेंका और सर्वहारा सरकार की स्‍थापना की. इस क्रांति के बाद कई देश मार्क्स के विचारों से प्रभावित होकर कम्युनिस्ट होते चले गए.

नेपोलियन बोनापार्ट का हुआ था निधन

नेपोलियन बोनापार्ट का जन्म 15 अगस्त 1769 में फ्रांस के अजाचियो शहर में हुआ था. 9 साल की उम्र में ही पढ़ाई के लिए वे फ्रांस चले गए. बाद में वह फ्रांस की सेना में शामिल हो गए. उनकी प्रतिभा को देखते हुए जल्द ही उन्हें ब्रिगेडियर जनरल बना दिया गया. इस युवा जनरल ने अपने युद्ध कौशल से कई युद्धों में सेना को विजय दिलाई.

फ्रांस लौटने पर नेपोलियन ने नवीन कॉन्सुलेट सरकार की स्थापना कर खुद को वहां का शासक घोषित कर दिया. 25 दिसम्बर 1799 को उसने देश का नया संविधान लागू कर दिया. शासक बनते ही नेपोलियन ने देश की अर्थव्यवस्था, शिक्षा, प्रशासन, और न्याय प्रणाली में कई परिवर्तन किए. उन्होंने चर्च के विशेषाधिकार समाप्त कर दिए. पादरियों और चर्च की संपत्ति को जब्त करने को भी अपने संविधान में शामिल किया. धर्म को लेकर किए गए सुधारों का उस समय काफी विरोध भी किया गया.
साल 1815 में वाटरलू के युद्ध में हार के बाद अंग्रेजों ने नेपोलियन को एक द्वीप सेंट हेलेना में बंदी बना लिया, जहां 6 साल बाद उनकी मौत हो गई.

5 मई को इतिहास में और किन-किन वजहों से याद किया जाता है-

2017: इसरो ने सफलतापूर्वक साउथ एशिया सैटेलाइट लॉन्च किया.

2010: आंध्र प्रदेश के श्री हरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से नई पीढ़ी के साउंडिंग रॉकेट का उड़ान परीक्षण सफल रहा.

2005: ब्रिटेन में मतदान, टोनी ब्लेयर तीसरी बार प्रधानमंत्री बने.

1970: भारत के प्रसिद्ध निशानेबाज समरेश जंग का जन्म.

1961: अमेरिका के पहले अंतरिक्ष यात्री कमांडर ऐलन शेपर्ड अपने अंतरिक्ष यान से अटलांटिक महासागर में उतरे.

1954: हरियाणा के वर्तमान मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता मनोहर लाल खट्टर का जन्म.

1953: भारत के पहले वित्त मंत्री आर. के. शनमुखम चेट्टी का निधन.

1937: परमवीर चक्र सम्मानित भारतीय सैनिक मेजर होशियार सिंह का जन्म.

1935: राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता तथा हिन्दी-गुजराती साहित्यकार आबिद सुरती का जन्म.

1929: भारत के प्रसिद्ध क्रांतिकारियों में से एक अब्दुल हमीद कैसर का जन्म.

1916: भारत के पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह का जन्म.

1903: भारतीय अधिवक्ता, गांधीवादी नेता, राजनीतिज्ञ और स्वतंत्रता सेनानियों में से एक अविनाशलिंगम चेट्टियार का जन्म.