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जशपुर के सभी पीडीएस दुकानों में 100 लीटर मिट्टी तेल का रिजर्व कोटा रखना हुआ अनिवार्य…खाद्य विभाग ने दुकान संचालकों को किया निर्देश जारी…पढ़ें पूरी खबर

गजाधर पैकरा की रिपोर्ट

जशपुर (छत्तीसगढ़) वर्तमान भारत। जिले के सभी सरकारी राशन दुकानों में अब कम से कम सौ लीटर मिट्टी तेल का रिजर्व कोटा रखना अनिवार्य होगा। खाद्य विभाग ने इसके लिए सभी दुकान संचालकों को निर्देश जारी कर,मांग पत्र और निर्धारित राशि जमा करने को कहा है।

जिला खाद्य अधिकारी अमृत कुजूर ने बताया कि जिले में 482 पीडीएस दुकान संचालित किया जा रहा है। इनमें से अधिकांश दुकानों का संचालन ग्राम पंचायतों के माध्यम से किया जा रहा है। मिट्टी तेल की इस समस्या को ध्यान में रखते हुए,विभाग ने यह निर्देश जारी किया है। उन्होनें बताया कि निर्धारित न्यूनतम कोटा की उपलब्धता से उपभोक्ताओं को जरूरत के अनुसार मिट्टी तेल मिल सकेगा।

मिट्टी तेल की मांग न होने से दुकानों से गायब

मिट्टी तेल (किरोसीन) की उपभोक्ता स्तर पर मांग भी पूर्व की तुलना में काफी कम हो चुकी है। इसके पीछे दो कारण बताएं जा रहें हैं। एक तो छत्तीसगढ़ में विद्युत विस्तार। बीते पन्द्रह साल के दौरान केन्द्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रदेश से गांव गांव तक बिजली पहुंच चुकी है। वनबाधित गांव में जहां विद्युत लाइन पहुंचने में कठिनाई होती हैं,वहां सौर उर्जा के माध्यम से रात के समय रोशनी की व्यवस्था की गई है। बिजली की उपलब्धि ने स्वाभाविक तौर पर,मिट्टी तेल पर लोगों की निर्भरता को कम किया है।

इसके साथ ही,केन्द्र सरकार द्वारा मिट्टी तेल में सबसीडी की प्रावधान भी समाप्त कर दिया है। इससे मिट्टी तेल की कीमत में दोगुना से अधिक की वृद्वि दर्ज की गई है। जिला खाद्य अधिकारी का कहना है कि बीते कुछ महिनों तक मिट्टी तेल की कीमत 90 रूपए से अधिक हो गई थी। लेकिन,अब यह घटकर 70 रूपए में आ गया है।

मिट्टी तेल बरसात को जरूरी

बता दें कि, सामान्य दिनों में मिट्टी तेल की मांग भले ही न हो। लेकिन,बरसात के दिनों में सुदूर ग्रामीण अंचल में इसकी मांग बढ़ जाती है। विशेष कर,वन्य क्षेत्रों के गांवों में वर्षा के दौरान गांवों की बिजली दो तीन दिनों तक बाधित हो जाती है। इस दौरान,बिजली के बैकप देने वाले यंत्रों की बैटरी भी डाउन हो जाने से लोगों की परेशानी बढ़ जाती है। विशेषकर जिले के हाथी और सर्प प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को रात के समय स्वयं की सुरक्षा के लिए मिट्टी तेल की जरूरत महसूस होती है। जिला प्रशासन की पहल से इन्हें बड़ी राहत मिल सकती है।