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CG Breaking : फिर मिलेगा महिला समूहों को रेडी टू ईट का काम…मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने दिए संकेत…गरीबी रेखा से 40 लाख कैसे हुए बाहर…जांच की मांग…पढ़ें पूरी खबर



रायपुर :- CG Assembly Budget Session: छत्तीसगढ़ में रेडी टू ईट योजना का काम फिर से महिला स्व-सहायता समूहों को दिए जाने के संकेत दिए गए हैं। मंगलवार को विधानसभा में सवाल के जवाब में महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने कहा कि रेडी टू ईट का काम महिला समूहों को दिए जाने पर युक्तियुक्त कार्यवाही की जाएगी।

दरअसल, भाजपा विधायक रायमुनि भगत ने सवाल पूछा था कि यह सच है कि राज्य सरकार महिला सशक्तिकरण के लिए प्रयासरत है, लेकिन पूर्ववर्ती सरकार में रेडी टू ईट का काम महिला स्व-सहायता समूहों से छीनकर बीज निगम को दे दिया गया।

फिलहाल, सवाल का जवाब देते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कहा कि महिला समूहों को काम सौंपने की दिशा में सरकार गंभीर है। उल्लेखनीय है कि राज्य में 30 हजार से अधिक महिला स्व-सहायता समूह है। 20 नवंबर 2022 को पूर्ववर्ती सरकार ने रेडी टू ईट के कार्यों को बीज निगम को आवंटित करने का निर्णय लिया था, जिसके बाद बीज निगम ने निजी एजेंसियों को यह काम सौंप दिया। पूर्ववर्ती सरकार के इस निर्णय पर प्रदेश के कई जिलों में महिला स्व-सहायता समूहों ने प्रदर्शन करते हुए तीन लाख परिवारों के सामने रोजी-रोटी की चिंता जताई थी। विधानसभा में प्रश्न के जवाब के बाद आंगनबाड़ी व अन्य केंद्रों में पूरक पोषण आहार तैयार करने की जिम्मेदारी एक बार फिर महिला स्व-सहायता समूहों को मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।

कांग्रेस ने दिया था यह तर्क

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दो वर्ष पहले रेडी टू ईट के काम को महिला स्व-सहायता समूहों से अलग करने के मामले में इंटरनेट मीडिया में पोस्ट के माध्यम से जानकारी दी थी। उन्होंने लिखा था कि अब स्व-चलित मशीनों के जरिए रेडी टू ईट का उत्पादन किया जाएगा। आहार की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए बीज निगम द्वारा स्थापित इकाइयों को यह काम दिया जा रहा है।

क्वांटिफाइबल डाटा की रिपोर्ट होगी सार्वजनिक करने पर विचार


पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के क्वांटिफाइबल डाटा आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक करने पर विचार किया जा रहा है।सत्तापक्ष के विधायक अजय चंद्राकर के सवाल पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक करने पर विचार करने की बात कही है। अपने जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा क्वांटिफायबल डाटा आयोग का गठन सामान्य प्रशासन विभाग ने 11 सितंबर 2019 को किया गया। ये आरक्षण संबंधित डेटा रिपोर्ट है, जो कांग्रेस सरकार ने सार्वजनिक नहीं किया है। पूर्ववर्ती सरकार ने किसी भी संस्था को रिपोर्ट या प्रतिवेदन उपलब्ध नहीं कराया। आयोग पर कुल एक करोड़ सात लाख,छह हजार,856 रुपये की राशि व्यय की गई।

ईडी के बाद अब राज्य सरकार करेगी जांच

आबकारी विभाग के राजस्व में 2021 के मुकाबले 2022-23 में कमी के मामले में सरकार जांच करेगी। आबकारी से जुड़े एक प्रश्न के जवाब में मुख्यमंत्री ने बताया कि जो राजस्व 2021 में सरकार को मिला था, वह वित्तीय वर्ष 2022-23 में कम हो गया। यह छत्तीसगढ़ के लोगों के साथ विश्वासघात है। राज्य के खजाने के साथ पूर्ववर्ती सरकार ने चोरी-डकैती की है। इस पर विभागीय जांच की जाएगी।

40 लाख गरीब कैसे बाहर हुए, जांच की मांग

कांग्रेस के शासनकाल में पूर्ववर्ती सरकार ने प्रदेश के 40 लाख लोगों को गरीबी रेखा से होने का दावा किया था। विधानसभा में मंगलवार को भाजपा विधायक मोतीलाल साहू ने खाद्य मंत्री से सवाल पूछा। मोतीलाल साहू ने कहा कि पिछली सरकार ने ढिंढोरा पीटा था कि 40 लाख परिवार को ग़रीबी रेखा से बाहर लाया गया, लेकिन लाखों की संख्या में नए राशन कार्ड बनें। इसका मतलब 40 लाख परिवारों के आंकड़े में गड़बड़झाला है। विधायक ने इस रिपोर्ट पर भी जांच की मांग रखी। खाद्य मंत्री दयालदास बघेल ने जवाब दिया कि 2018 की स्थिति में 57 लाख 99 हजार राशन कार्ड धारी थे। वर्तमान में 95 प्रतिशत राशन कार्ड आधार से लिंक हो चुका है।