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धान के पौधों में बालियां लगने के समय कीट-पतंगों की रोकथाम एवं उपचार के लिए कृषि वैज्ञानिकों की सलाह,

वर्तमान भारत जांजगीर चांपा

जांजगीर चांपा, 19 अक्टूबर, 2021/ जांजगीर-चांपा जिले के ज्यादातर किसान खरीफ सीजन में धान की फसल लेते हैं। जिले में स्वर्णा, स्वर्णा सब-1 एच.एम.टी. MUT-1010, MTU-1001, राजेश्वरी, सुगंधित एवं अन्य किस्म की खेती होती है।

वर्तमान समय में धान में बालियां आने लगी है। वर्तमान समय में फसल पर कीट व्याधि एवं रोग लगने की प्रबल संभावना है। कृषि वैज्ञानिकों के परामर्श के अनुसार कीटों के प्रकोप को रोकने के लिए आवश्यक उपाय जरूरी है।

उप संचालक कृषि श्री तिग्गा ने बताया कि खखड़ी (गंधी कीट) -धान की फसल में धान निकलने के समय इस कीट का प्रकोप दिखता है। यह दुर्गंध युक्त भूरे रंग का होता है। पौधे का रस चूसने के कारण तना सूख जाता है।
उपचार –
फोसलोन 35 ईसी 600 मिली/एकड़ क्लोरेंट्रानिलिप्रोएल 18.5 प्रतिशत एससी 60 ग्राम/एकड़,
फ्लूबेंडियामाइड 39.35 प्रतिशत एम/ एम एससी 20 ग्राम/एकड़
ट्रायजोफॉस 40 प्रतिशत इसी 500 मिली/एकड़ छिड़काव कर सकते हैं।


भूरी चित्ती रोग –
इस रोग में छोटे-छोटे भूरे रंग के धब्बे पत्तियों पर दिखाई देते हैं।
अत्यधिक संक्रमण की अवस्था में आपस म मिलकर पत्तियों को सुखा देते हैं और धान की बालिया पूर्ण रूप से बाहर नहीं निकल पाती।
उपचार –
ट्रायसाइक्लाजोल 75 प्रतिशत डब्ल्यू पी का 120-160 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करे।
प्रोपिकोनालजोल 12.5 प्रतिशत ट्रायसाइक्लाजोल 40 प्रतिशत एससी का 400 एम.एल/एकड़ की दर से छिड़काव करे।


भूरा माहो –
यह कीट छोटे आकार तथा भूरे रंग का होता है। यह पौधे में पानी की सतह से थोड़ा ऊपर पत्तों के घने छतरी के नीचे रहते हैं। कीटों के बारे में शीघ्र पता नहीं चल पाने पर इसका नियंत्रण अधिक जटिल हो जाता है।
उपचार-
थाइमेक्सो 9.5 लेम्डा 12.6, 80 मिली/एकड़ या डाइनेटोफ्यूरन 20 प्रतिशत एसजी 80 ग्राम प्रति एकड़ या
पाइमेट्रोजिन 50 प्रतिशत डब्ल्यू.जी 300 ग्राम प्रति हेक्टयर या ईथयॉन 50 ई.सी 400 एम.एल. प्रति एकड़
फेनोबुकार्ब 50 प्रतिशत ईसी 250-500 मिली/एकड़
फेनोबुकार्ब 50 प्रतिशत ईसी 250-500 मिली/एकड़
बुफ्रोफेनजिन 20 प्रतिशत़ ऐसीफेट 50 प्रतिशत डब्ल्यू पी का 240-400 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।