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अल्मोड़ा का कसार देवी मंदिर : दुनिया की अद्भुत जगह , जहां से निकलती है अद्भुत ऊर्जा

वर्तमान भारत ।विशेष ।

पूरी दुनिया में आज भी कुछ ऐसे रहस्य है जिसे जानकर आप चमत्कृत हो जाएंगे । ऐसी ही एक जगह है – कुमाऊं की सांस्कृतिक राजधानी कही जाने वाली अल्मोड़ा नगरी की एक छोटी-सी पहाड़ी है कसार देवी! शहर से 10 किमी दूर अल्मोड़ा-बिनसर रोड पर। चीड़ और देवदार के पेड़ों से घिरी। यहां से आप हिमालय की खूबसूरती और कुदरती नज़ारों का भरपूर लुत्फ ले सकते हैं। इस पहाड़ी को क्रैंक हिल या हिप्पी हिल भी कहा जाता है। इसी पहाड़ी पर एक मंदिर है कसार देवी का और उन्हीं के नाम पर एक पूरा गांव भी है।

पहाड़ के ऊपर मंदिर और उनका ऐतिहासिक-धार्मिक महत्व, उत्तराखंड में घूमते हुए आपको ऐसी तमाम जगहें मिल जाएंगी। लेकिन यह जगह किसी और वजह से ख़ास है। धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड होते हैं, वैन एलन बेल्ट। माना जाता है कि इस पिंड में विद्युत चार्ज कणों की परत होती है, जिसे रेडिएशन भी कह सकते हैं। यह पहाड़ी इसी पिंड के ऊपर है। ऐसे में यहां बहुत अधिक भू-चुंबकीय ऊर्जा मौजूद है। धरती पर ऐसी केवल तीन जगहें हैं। बाकी दो स्थान हैं, अमेरिका के पेरू की माचू-पिचू पहाड़ी और यूके विल्टशायर स्थित स्टोन हैंग।

अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के वैज्ञानिक ने तीनों ही जगह की चुंबकीय ऊर्जा को पहचाना और माना है। वे इन जगहों के चार्ज होने के कारणों और प्रभावों पर रिसर्च कर रहे हैं। कसार देवी मंदिर की चुंबकीय ऊर्जा को पहचानकर नासा ने इसे नाम दिया है GPS यानी ग्रैविटी पॉइंट 8। मंदिर के दरवाजे के बाईं ओर लिखा हुआ मिलता है GPS 8। चुंबकीय ऊर्जा के लगातार निकलने से यह जगह ध्यान और साधना के लिए बेहतरीन मानी गई है। यहां आकर अभूतपूर्व मानसिक शांति का अनुभव होता है।

इस जगह का अपना ऐतिहासिक, पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व है। मां दुर्गा के मंदिर के रूप में पूजी जाने वाली कसार देवी का उल्लेख पौराणिक ग्रंथों में भी है। स्कंद पुराण के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना यक्ष और गंधर्वों ने की थी। वहीं, भगवद्पुराण में ज़िक्र मिलता है कि देवी दुर्गा ने शुंभ-निशुंभ का वध यहीं किया था। इस जगह पर पाषाणकालीन सभ्यता के अवशेष भी मिले हैं। वहीं, मंदिर के पिछले हिस्से में बाईं ओर एक शिलालेख है, जिसमें ब्राह्मी लिपि में लिखी पंक्तियां मिलती हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के मुताबिक, यह छठी शताब्दी का शिलालेख माना जाता है। अक्टूबर-नवंबर में यहां एक मेला भी लगता है।