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बड़ी खबर : स्कूली बच्चों को एन्ड लाइन परीक्षा के लिए अब नही आना पड़ेगा स्कूल …. घर तक उपलब्ध कराया जाएगा प्रश्न पत्र : जिला शिक्षा अधिकारी

वर्तमान भारत

विद्यार्थियों की 15 अप्रैल से स्कूल  में उपस्थिति अनिवार्य नही, शिक्षकों की उपस्थिति अनिवार्य

कोरबा 10 अप्रैल 2022/ कक्षा पहली से आठवीं तक के बच्चों के 15 अप्रैल से स्कूल में उपस्थिति अनिवार्य नही है। एन्ड लाइन परीक्षा निर्धारित कार्यक्रम अनुसार ही होगी। स्कूल में उपस्थित नही हो सकने वाले बच्चों के एन्ड लाइन परीक्षा के लिए पालकों के माध्यम से प्रश्न पत्र बच्चों के घर तक उपलब्ध कराया जाएगा। जिला शिक्षा अधिकारी कोरबा श्री जी पी भारद्वाज ने वर्तमान भारत को बताया कि शासन द्वारा जारी निर्देशानुसार 15 अप्रैल के बाद छात्रों के स्कूल आने की  बाध्यता नहीं है, किंतु स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति शत-प्रतिशत शाला में निर्धारित समय तक सुनिश्चित की जानी है। उन्होंने बताया कि  स्कूल में निर्धारित मूल्यांकन कार्यक्रम के अनुरूप एंड लाइन मूल्यांकन कार्य करते हुए प्रदत्त प्रगति पत्रक भर कर 30 अप्रैल 2022 तक बच्चों को उपलब्ध कराया जाना है। छात्रों के एंड लाइन मूल्यांकन के पश्चात इसकी एण्ट्री वेबसाइट पर ऑनलाइन पूर्ण किया जाना है। इस हेतु पूर्व में घोषित निर्धारित मूल्यांकन तिथियों में ही छात्रों को सूचित कर एंड लाइन मूल्यांकन भी ली जानी है। साथ ही ऐसे विद्यार्थी जो विद्यालय में उपस्थित नहीं हो सकेंगे उनके पालकों के माध्यम से घर तक प्रश्न-पत्र उपलब्ध कराया जाना है। एवं उनका भी एंड लाइन मूल्यांकन कर अन्य छात्रों के साथ प्रगति पत्र उपलब्ध कराया जाना है।
           जिला शिक्षा अधिकारी श्री भारद्वाज ने बताया कि 06 अप्रैल 2022 को संचालक, लोक शिक्षण संचालनालय छ.ग.  द्वारा जारी निर्देश में कक्षा 1ली से 8वीं तक के बच्चों के मूल्यांकन, संचालन तथा बच्चों एवं शिक्षकों की उपस्थिति के संबंध में निर्देश जारी करते हुए कहा गया है कि राष्ट्रीय शिक्षा निति के अनुपालन में कक्षा 1ली से 8वीं तक के बच्चों को मूल्यांकन के आधार पर पिछली कक्षा में नहीं रोका जाना है। कक्षा 1ली से 8वीं तक के समस्त बच्चों को सामन्य रूप से वर्तमान शिक्षा सत्र में अगली कक्षा में प्रवेश दिया जाना है। साथ ही जारी निर्देश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि प्रदेश के सभी विद्यालय में बच्चों की अकादमी उपलब्धियों का सतत मूल्यांकन किया जाना है, और उसके आधार पर सभी बच्चों को आवश्यक शिक्षण देने की व्यवस्था भी की जानी है।