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Jashpur NEWS : जशपुर में अवैध ईट भट्टे के आड़ में हो रही जंगल की नाश…शासन को हो रहा राजस्व का नुकसान…हरे- भरे पेड़ों की अवैध कटाई…पढ़ें पूरी खबर


जशपुरनगर :- छत्तीसगढ़ राज्य की जशपुर जिले में नियम और मापदंडों को ताक में रख कर सुलग रहे बंगला ईट भट्ठे की आंच में जिले के जंगल की हरियाली और नाबालिगों का बचपन बुरी तरह से झुलस रहा है। समस्या के लिए जिम्मेदार खनिज विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों के पास इससे निबटने के लिए ना तो समय है और ना ही कार्ययोजना।

नतीजा आबादी भूमि, कृषि भूमि हो या वनभूमि, बंगला ईट भट्टों को सुलगते हुए शहर के आसपास से लेकर सुदूर ग्रामीण अंचल तक देखा जा सकता है।

ज्ञात हो कि, शहर के नजदीक जशपुर ब्लाक के रेंगोला गांव में बड़े-बड़े बंगला (पंजा) ईट भट्ठा लगे हुए है। वहीं जिले के बगीचा ब्लाक के ग्राम छिरोडीह में 1 किलोमीटर के दायरे में 20 से अधिक बंगला ईट भट्टे को सुलगते हुए देखा जा सकता है। ईट भट्टा के संचालक बेखौफ होकर पास में प्रवाहित ईब नदी से पानी और रेत का अवैध दोहन कर रहें है। वहीं भट्ठे को सुलगाने के लिए आसपास के जंगल से जीवित हरे भरे पेड़ों की अवैध कटाई की जा रही है। इस गांव में ईट भट्ठों के आसपास के जंगलों में मौजूद पेड़ों के ठूंठ को देखकर समझा जा सकता है कि इन अवैध ईट भट्ठों से जंगल कितनी तेजी से उजड़ रहें हैं।

इसके लिए नहीं मिलती अनुमति

दरअसल, बंगला ईट भट्ठे का संचालन पूरी तरह से अवैध है। जिले में इसके लिए खनिज विभाग ने एक भी परमिट जारी नहीं किया है। खनिज निरीक्षक आरएल राजपूत ने बताया कि खनिज अधिनियम में मिट्टी की पारम्परिक व्यवसाय से जुड़े जाति के लोगों के लिए छूट का प्रविधान किया गया है। लेकिन इस छूट का लाभ उठाने के लिए पर्यावरण विभाग से अनुमति लेना आवश्यक होता है। इसलिए अब तक विभाग की ओर से बंगला ईट भट्ठा लगाने के लिए एक भी अनुमति जारी नहीं की गई है। निरीक्षक राजपूत का कहना है कि अवैध ईट भट्ठा, गौण खनिज उत्खनन और परिवहन की सूचना मिलने पर विभाग द्वारा जब्ती और अर्थदंड की कार्रवाई की जाती है।

शासन को हो रहा राजस्व का नुकसान

फिलहाल, जिले में भारी पैमाने में चल रहे अवैध बंगला ईट भट्ठा के व्यवसाय से शासन को भारी राजस्व का नुकसान हो रहा है। वहीं सरकार को रायल्टी का भुगतान कर व्यवसाय करने वाले ईट कारोबारियों को भी इन अवैध ईट भट्ठो से नुकसान उठाना पड़ रहा है। राजस्व निरीक्षक राजपूत ने बताया कि राज्य सरकार ने ईट के लिए 50 रूपये प्रति क्यूबिक मीटर की रायल्टी तय की है। व्यवसायियों को 500 ईट के लिए 50 रूपये का रायल्टी चुकाना पड़ता है।

वहीं, चिमनी ईट भट्ठा स्थापित व संचालन करने के लिए मोटी लाइसेंस फीस के साथ पर्यावरण विभाग की अनुमति के पेचीदा प्रक्रिया से भी गुजरना पड़ता है। लेकिन अवैध बंगला ईट भट्टा संचालक बिना किसी अनुमति व रायल्टी की अपनी जेब भरे में जुटे हुए है। खनिज विभाग के अनुसार इन भट्टो पर कार्रवाई होने की स्थिति में ईट भट्ठे में बने हुए ईट की मात्रा के अनुसार,अर्थदंड लगाया जाता है।

“गौण खनिज के अवैध उत्खनन,परिवहन की सूचना मिलने पर विभाग द्वारा कार्रवाई की जाती है। बंगला ईट भट्ठे की अनुमति विभाग द्वारा नहीं दी गई है। निरीक्षण कर उचित कार्रवाई की जाएगी”- आरएल राजपूत, खनिज निरीक्षक,जशपुर