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यादें जिंदा रहेंगी… ठेंगापाली से मुंबई तक यादों का सिलसिला

रायगढ़ से आशीष यादव की रिपोर्ट

रायगढ़। १३ नवंबर २०२१ वह काला दिन था जिस दिन एक मनहूस खबर रायगढ़ पहुंची और एकबारगी पूरा शहर कुछ क्षणों के लिये ठहर सा गया। स्तब्ध कर देने वाली वह खबर रायगढ़ के कर्नल विप्लव त्रिपाठी, उनकी पत्नी अनुजा त्रिपाठी और ०७ वर्ष के पुत्र अबीर त्रिपाठी के अलावे चार जवानों के वीरगति प्राप्त करने की खबर थी। खबर थी कि १३ नवंबर को सुबह पड़ोसी देश म्यांमार की सीमा से लगे अपने एक पोस्ट का निरीक्षण करके वापस लौट रहे ४६ असम राईफल्स के कमांडिंग अधिकारी कर्नल विप्लव त्रिपाठी के काफिले पर नागालैंड मणिपुर लिबरेशन फ्रंट के हाथियारबंद अलगाववादियों ने एम्बुस लगाकर हमला कर दिया। उस हमले का मुंहतोड़ जवाब देते हुए कर्नल विप्लव त्रिपाठी आखिरी सांस तक उनका मुकाबला करते रहे, लेकिन अंतत: गोलियों की बौछार का सामना करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। उनके साथ उनकी पत्नी अनुजा त्रिपाठी और सात वर्षीय पुत्र अबीर त्रिपाठी ने भी अपना प्राणोत्सर्ग किया।
४६ असम राईफल्स के चार जवानों ने भी अपनी शहादत दर्ज की, जबकि ६ जवान घायल हो गये थे।
इस खबर से स्तब्ध समूचा रायगढ़ शहर जब अपनी चेतन अवस्था में लौटा तो देखते ही देखते कर्नल विप्लव त्रिपाठी के ७५ किरोड़ीमल कॉलोनी स्थित निवास में तकरीबन पूरा शहर उमड़ आया। हर किसी की आंखे नम थी, हर किसी के जेहन में यह सवाल था कि ऐसा कैसे हो गया? सवाल यह भी कि कर्नल विप्लव त्रिपाठी की पत्नी और मासूम पुत्र को क्यों गोलियों का निशाना बनाया गया।
कल १३ नवम्बर २०२२ को १३ नवम्बर २०२१ वाले काले दिन को बीते एक साल पूरे हो जायेंगे। बीते एक साल के दौरान कर्नल त्रिपाठी के माता-पिता और छोटे भाई कर्नल अनय त्रिपाठी के लिये हर दिन और हर रात किसी न किसी रूप में अपने बेटे विप्लव उनकी पत्नी अनुजा और पुत्र को याद करते हुए बीते हैं। लगता है अब उनके लिये बेटे, बहू और पौत्र की स्मृति ही जीने का सहारा रह गया है।
इन्हीं बीते एक वर्षों के दरम्यिान रायगढ़ शहर और आस पास के गांव-देहात के लोग भी कर्नल विप्लव त्रिपाठी के सपरिवार सर्वोच्च बलिदान को किसी न किसी तरह याद करते रहे हंै। कहीं उनकी स्मृति में क्रिकेट मैच का आयोजन किया गया, कहीं उनकी स्मृति में गरीब और दुख लोगों की सहायता की गई। १३ नवम्बर २०२१ की त्रासद घटना के बाद २० मई १९२१ को कर्नल विप्लव त्रिपाठी का जन्मदिन शहर के लोगों ने बेहद भावनात्मक रूप से मनाया। नेशनल न्यूज चैनल एबीपी ने भी मुंम्बई में झंडा ऊंचा रहे हमारा नामक अपने शो में अपने दर्शकों को कर्नल विप्लव त्रिपाठी की शौर्य गाथा से अवगत कराया।
यही नहीं पास के ही एक छोटे से गांव ठेंगापाली में कर्नल विप्लव त्रिपाठी की स्मृति में बीते ०६ नवम्बर से १३ नवम्बर तक क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है। कर्नल विप्लव त्रिपाठी की जन्मभूमि रायगढ़ में भी अमेचर कबड्डी संघ जिला रायगढ़ की ओर से उनकी पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में १३ नवम्बर से १५ नवम्बर तक अंतर जिला कबड्डी टूर्नामेंट का आयोजन किया गया है। इस तरह के संस्थागत आयोजनों के अलावे बहुत से व्यक्ति ऐसे भी है जो कर्नल विप्लव त्रिपाठी और उनके परिजनों के बलिदान की याद व्यक्तिगत तौर पर करते रहे हैं।
गांव-देहात से लेकर मुम्बई जैसे महानगर तक शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी और उनकी पत्नी अनुजा त्रिपाठी और पुत्र की स्मृति में आयोजित इस सभी कार्यक्रमों से त्रिपाठी परिवार को जो स्नेह और सम्मान मिला है वह उनके लिये एक बड़ा संबल है। कर्नल विप्लव त्रिपाठी से जुड़ी यादों की एक लम्बी कड़ी है और उनके नहीं रहने पर भी उनकी यादें उन्हें जिंदा रखेंगी।

– सुभाष त्रिपाठी