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आदिवासी बाहुल्य जशपुर के 300 बच्चों ने रेल सेवा को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा…रेल मंत्रालय ने जारी किया था टेंडर…तीन बार सर्वे के बाद भी नहीं आरंभ हुआ कार्य…सांसद गोमती साय ने की थी मांग…पढ़ें पूरी खबर

जशपुर । वर्तमान भारत ।

गजाधर पैकरा

जशपुर (छत्तीसगढ़) वर्तमान भारत। जिले में रेल सेवा की मांग आजादी के पश्चात से लगातार की जा रही है। लेकिन अब तक सुदूर वनांचल और आदिवासी बाहुल्य जशपुर जिले को यह सुविधा प्राप्त नहीं हो पा रही है। लेकिन क्षेत्र की रायगढ़ सांसद गोमती साय ने लगातार यह मांग लोकसभा में रखी है।

इसके साथ साथ अभी इस मांग को लेकर बच्चों ने भी मुहिम आरंभ कर दी है। आदिवासी बाहुल्य जशपुर के 300 से अधिक स्कूली बच्चों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पोस्टकार्ड से पत्र भेजकर जल्द रेल सेवा शुरू करने की मांग की है।

दरअसल सरगुजा संभाग की जशपुर, कोरिया जिले में जर्जर सड़कों के कारण लोगों को यातायात में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यहां लोगों को परिवहन और यात्रा के लिए सड़क मार्ग की सहारा लेना पड़ता है। अन्य जिलों व अन्य राज्यों में यात्रा के लिए मुसाफिरों को मनेंद्रगढ़ या फिर सीधे रायपुर जाकर ट्रेन पर सफर करना होता है।

अब तक जशपुर मार्ग प्रोजेक्ट की आरंभ नहीं होने पर जिले के लगभग 300 बच्चों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पोस्टकार्ड द्वारा पत्र भेजा है। जिसमें रेल लाइन की मांग की गई है।

जानकार के द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार इस रेल लाइन का पहले भी तीन बार सर्वे किया जा चुका है। जिसमें काम की प्रारंभ नहीं की गई। जब 2019 में पहली बार सांसद बनने के पश्चात गोमती साय ने इस मुद्दे को संसद में उठाया। उसके पश्चात नई रेल लाइन के लिए भू-तकनीकी जांच, फील्ड विवरण तैयार करने की प्रक्रिया की शुरुआत हुई थी।

इसका सर्वे सबसे पहले 1970 में, दूसरी बार 1980 में और तीसरी बार यूपीए सरकार में किया गया। जबकि झारखंड के गुमला जिले और छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले कि धर्मजयगढ़ होते हुए कोरबा तक रेल लाइन के विस्तार का कार्य पूर्ण हो चुका है। अब सिर्फ लोहरदगा से धर्मजयगढ़ के बीच का कार्य बाकी है।

जनप्रतिनिधियों के माध्यम से जशपुर में लंबे समय से कोरबा-लोहरदगा और अंबिकापुर-झारसुगड़ा रेल लाइन की मांग की जा रही है। कोरबा-लोहरदगा रेल लाइन के लिए सर्वे को भी स्वीकृत सितंबर माह में मिल चुकी है।

मोदी सरकार की रेल मंत्रालय ने इसके लिए 8 करोड़ का टेंडर भी जारी किया है। वहीं स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी लोगों को जल्द कार्य प्रारंभ होने का आश्वासन दिया है। इस प्रोजेक्ट में लेट लतीफ की वजह से लोगों में काफी आक्रोश का माहौल है। क्योंकि ट्रेन आने से क्षेत्र का विकास होगा तथा यातायात की सुविधाएं में बढ़ोतरी होगी।