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नारायणपुर में धर्मांतरण की आग में स्कूली बच्चे के भविष्य खतरे में…आदिवासियों एवं ईसाईयों के बीच मारपीट एवं दंगा फसाद…पढ़ें पूरी खबर

बस्तर । वर्तमान भारत।

गजाधर पैकरा की रिपोर्ट

बस्तर/नारायणपुर। वर्तमान भारत। नारायणपुर में लगी धर्मांतरण की आग में स्कूली बच्चे की भविष्य भी खतरे में हो गया है। गांव के साथ स्कूल से बेदखल हुए मसीही परिवार के बच्चे अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। सरकार द्वारा सिर छिपाने के लिए दिया गया इंदौर स्टेडियम माहका शरण स्थली बन गया है। बच्चे अपनी इसी शरण स्थली में ही शिक्षा ले रहे हैं। सीनियर बच्चों ने अपने जूनियरों को पढ़ाने का जिम्मा उठा रखा है। बच्चें अर्धवार्षिक परीक्षा से भी वंचित हो गए हैं।

आदिवासियों की दो समुदायों की बीच चल रहे धर्म युद्ध में बच्चों की भविष्य तबाह हो रही है। हिंसा के दौरान दोनों पक्षों के बीच मारपीट हो रही है। इस दौरान कुछ उपद्रवियों द्वारा बच्चों के पाठ्यक्रम से जुड़ी सामग्रियों को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। शरण स्थली में पहली से लेकर कॉलेज तक के छात्र-छात्राएं शिक्षा का अलख स्वयं होकर जगा रहे हैं।

भाटपाल, कुढ़ारगांव, रेमावंड, देवगांव, मंल्लिनार, बोरावंड समेत कई दर्जन गांव की बच्चों की शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। बच्चों और उनकी अभिभावकों ने बताया कि आदिवासी समाज के कुछ समर्थकों द्वारा अध्ययन सामग्रियों को नष्ट कर दिया गया है।

बता दें कि 18 दिसंबर से कई परिवार जिला मुख्यालय में शरण लिए हुए हैं। कई लोग अपने रिश्तेदारों के यहां रुककर स्थिति सामान्य होने का इंतजार कर रहे हैं।

नारायणपुर विधायक चंदन कश्यप ने शनिवार को भानपुरी स्थित निवास में चर्चा करते हुए कहा भाजपा की रमन सरकार के कार्यकाल में नारायणपुर विधानसभा क्षेत्र में कई चर्च बने और आदिवासियों का बड़े पैमाने पर धर्मांतरण हुआ। आदिवासियों को यदि मूल धर्म में लाना है तो हाथ पैर जोड़कर विनती करनी चाहिए। डंडे मारकर धर्म परिवर्तन कराना उचित नहीं है।

मेरे 4 साल की विधायकी कार्यकाल में एक भी चर्च नहीं बना और ना ही धर्मांतरण हुआ है। विधायक ने स्पष्ट कहा है कि हिंदू धर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं है। इसलिए आदिवासियों को अपना धर्म छोड़कर अन्य धर्म स्वीकार नहीं करना चाहिए।