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बोईरदादर वार्ड न.48 के स्वास्तिक विहार में 127 प्लॉट बेचे,बंगलापारा में भी हुई है अवैध प्लॉटिंग ,अवैध प्लॉटिंग में आठ लोगों के विरुद्ध अपराध दर्ज

रायगढ़ ब्यूरो

रायगढ़ ।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आदेश पर अमल करना प्रारंभ कर दिया गया है। कलेक्टर ने आदेश दिया था कि अवैध प्लॉटिंग करने वालों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की जाए। आठ लोगों के खिलाफ चक्रधर नगर थाने में अपराध दर्ज कर लिया गया है। इसमें से एक स्थान पर तो 127 लोगों को प्लॉट बेचे जा चुके हैं। बिना अनुमति और पंजीयन के निजी जमीनों को छोटे टुकड़ों में प्लॉटिंग करने के मामले में अब कार्रवाई प्रारंभ हो गई है। पहले ऐसे निर्माण को तोड़ा जा रहा है और बाद में एफआईआर दर्ज की जा रही है। इस कड़ी में बोईरदादर वार्ड न. 48 स्वास्तिक विहार और बंगलापारा के दो जगहों पर प्लॉट काटने वालों को विरुद्ध अपराध दर्ज कर लिया गया है। वार्ड न. 48 बोईरदादर में स्वास्तिक विहार कॉलोनी बिना अनुमति के बनाई जा चुकी है। कलेक्टर के निर्देश पर ईई नगर निगम नित्यानंद उपाध्याय ने अपराध दर्ज करवाया है।

स्वास्तिक विहार के मूल खनं 54 रकबा 2.14 हे. था। विभाजन के बाद खनं 54/1 क/ 1 रकबा 1.228 हे. हेमलता, ललिता, सीमा, विजय पिता मोहनलाल के नाम पर हुआ। वहीं 54/1 क/2 रकबा 0.809 हे. बिहारीलाल पिता रेवाचंद के नाम पर हुई। इसी तरह तीसरा टुकड़ा 54/2 रकबा 0.029 हे. महेंद्र कुमार पिता चतुर सिंह के नाम पर हुई। इन तीनों ही जमीनों को 127 टुकड़ों में बेच दिया गया। इसके पूर्व कॉलोनाइजर लाइसेंस नहीं लिया गया। इसलिए चक्रधर नगर थाने में नगर पालिक अधिनियम की धारा 292-ग, 2, छग नपा अधिनियम 1956 के धारा 292 और 3 के तहत हेमलता, सीमा, ललिता, विजय, बिहारीलाल और महेंद्र कुमार के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया है।

जितेंद्र और अजय के विरुद्ध भी एफआईआर

इसी तरह ईई नगर निगम ने स्टेडियम के पीछे चक्रधर नगर बंगलापारा में खनं 21/5 रकबा 0.02 हे. को भूमि स्वामी जितेंद्र कुमार पिता धु्रव लाल ने आम मुख्तियारनामा द्वारा अजय अग्रवाल पिता राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल को दिया था। 22 फरवरी 2023 के पहले ही जमीन को 14 लोगों के नाम पर रजिस्ट्री करवा दी गई। बिना कॉलोनाइजर लाइसेंस और पंजीयन के ही दोनों ने मिलकर अवैध रूप से प्लॉट बेचे। जितेंद्र कुमार और अजय अग्रवाल के विरुद्ध भी चक्रधर नगर थाने में एफआईआर दर्ज की गई है।

कैसे मिल जाती है बिक्री नकल?

अवैध प्लॉटिंग के काम केवल प्लॉट काटकर बेचने वाला ही दोषी नहीं होता। सबसे पहले पटवारी को पता चलता है कि उक्त जगह पर बिना अनुमति प्लॉट कट रहे हैं। इसके बावजूद पटवारी बिक्री नकल देता है। यही नहीं इस भूमि की रजिस्ट्री भी होती है और डायवर्सन भी हो जाता है। इसके बाद तहसीलदार प्रमाणीकरण भी करता है। अगर अवैध प्लॉटिंग को रोकना है तो राजस्व विभाग में भी कसावट लानी होगी। अवैध प्लॉट के बिक्री नकल ही न मिले तो ऐसे काम रुक जाएंगे।