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Chaitra Navratri 2023 : नवरात्रि के सातवें दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा…भक्तों के कष्टों को करती हैं दूर…आइए जाने आराधना, पूजन विधि और स्तुति…

लेख: गजाधर पैकरा

नवरात्रि के सातवें दिन दुर्गा जी की सातवीं शक्ति देवी कालरात्रि की पूजा का विधान है। मां कालरात्रि को यंत्र, मंत्र और तंत्र की देवी भी कहा जाता है। ज्योतिषी मान्यताओं के अनुसार देवी कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती है अर्थात इनकी पूजा से शनि के दुष्प्रभाव दूर होते हैं।

दुर्गा पूजा के दिन साधक का मन सहस्त्रार चक्र में स्थित रहता है। उसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है। इस चक्र में स्थित साधक का मांग पूरी तरह से मां कालरात्रि के स्वरूप में स्थित रहता है। यह शुभंकरी देवी है। इनकी उपासना से होने वाले शुभ की गणना नहीं की जा सकती है।

पुराणों के अनुसार देवी दुर्गा ने राक्षस रक्तबीज का वध करने के लिए कालरात्रि को अपने तेज से उत्पन्न किया था।इनकी उपासना से प्राणी सर्वथा भय मुक्त हो जाता है। इनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है। और सिर के बाल बिखरे हुए हैं। गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला तथा इनके तीन नेत्र हैं। जो ब्रह्मांड के सदृश्य गोल है। इनके विद्युत के समान चमकीली किरणें प्रभावित होती रहती है। इनकी नासिका के स्वास से अग्नि की भयंकर ज्वाला निकलती रहती हैं तथा इनका वाहन गर्दभ है।

इनके ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वर मुद्रा से सभी को वर प्रदान करती हैं। तथा दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ अभय मुद्रा में है। बाई तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग धारण किए हुए हैं। मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है लेकिन यह सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं। इसी कारण इनका एक नाम शुभंकरी भी है। अतः इनसे भक्तों को किसी भी प्रकार की भयभीत अथवा आतंकित होने की जरूरत नहीं है।

पूजा फल

माता कालरात्रि अपने उपासकों को काल से भी बचाती है। अर्थात उनकी अकाल मृत्यु नहीं होती। उनके नाम के उच्चारण मात्र से ही भूत, प्रेत, राक्षस और सभी नकारात्मक शक्तियां दूर भागती हैं। मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं। तथा ये ग्रह बाधाओं को भी दूर करने वाली है।

इनके उपासक को अग्नि भय, जल भर, जंतु भय, शत्रु भय, रात्रि भय आदि कभी नहीं होते। अतः हमें निरंतर इनका स्मरण, ध्यान और पूजन करना चाहिए।सभी व्याधियों और शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिए मां कालरात्रि की आराधना विशेष फलदाई है।

पूजन विधि

कलश पूजन करने के उपरांत माता के समक्ष दीपक जलाकर रोली, अक्षत, फल, पुष्प आदि से पूजन करना चाहिए। देवी को लाल पुष्प बहुत प्रिय है। इसलिए पूजन में गुड़हल अथवा गुलाब का फूल अर्पित करने से माता अति प्रसन्न होती हैं। मां काली के ध्यान मंत्र का उच्चारण करें। माता को गुड़ का भोग लगाये तथा ब्राह्मण को गुड़ दान करना चाहिए।

ध्यान मंत्र

एकवेणी जपाकर्णपूरा नगरनार खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी।।
वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयड्करी।।